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इस आईजी कल्लूरी को केंद्र से शह मिली हुई है

Ambrish Kumar : बस्तर के आईजी शिवराम कल्लूरी हैं. अपने साथ इनसे करीब डेढ़ दशक पहले कोरबा में मुठभेड़ हुई थी. मुख्यमंत्री अजीत जोगी वहां बालको के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहे थे. तब जो नेशनल मीडिया कवरेज में गया उसमें इंडियन एक्सप्रेस से मैं था और हिंदू, टाइम्स और पीटीआई के प्रकाश होता भी साथ थे. किसी बात पर हम लोग उखड़ गए तो ये कल्लूरी पहुंचे बीच बचाव के लिए तो सबसे पहले इन्हीं पर गुस्सा निकला. पूछा गया आप कौन हैं, तो बोले एसपी हूँ. फिर कहा गया मुख्यमंत्री दौरे पर हैं और आप सादी वर्दी में टहल रहे हो. दरअसल वे कहीं से भी एसपी नहीं लग रहे थे और तब मीडिया का दबदबा भी कुछ ज्यादा था.

<p>Ambrish Kumar : बस्तर के आईजी शिवराम कल्लूरी हैं. अपने साथ इनसे करीब डेढ़ दशक पहले कोरबा में मुठभेड़ हुई थी. मुख्यमंत्री अजीत जोगी वहां बालको के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहे थे. तब जो नेशनल मीडिया कवरेज में गया उसमें इंडियन एक्सप्रेस से मैं था और हिंदू, टाइम्स और पीटीआई के प्रकाश होता भी साथ थे. किसी बात पर हम लोग उखड़ गए तो ये कल्लूरी पहुंचे बीच बचाव के लिए तो सबसे पहले इन्हीं पर गुस्सा निकला. पूछा गया आप कौन हैं, तो बोले एसपी हूँ. फिर कहा गया मुख्यमंत्री दौरे पर हैं और आप सादी वर्दी में टहल रहे हो. दरअसल वे कहीं से भी एसपी नहीं लग रहे थे और तब मीडिया का दबदबा भी कुछ ज्यादा था.</p>

Ambrish Kumar : बस्तर के आईजी शिवराम कल्लूरी हैं. अपने साथ इनसे करीब डेढ़ दशक पहले कोरबा में मुठभेड़ हुई थी. मुख्यमंत्री अजीत जोगी वहां बालको के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहे थे. तब जो नेशनल मीडिया कवरेज में गया उसमें इंडियन एक्सप्रेस से मैं था और हिंदू, टाइम्स और पीटीआई के प्रकाश होता भी साथ थे. किसी बात पर हम लोग उखड़ गए तो ये कल्लूरी पहुंचे बीच बचाव के लिए तो सबसे पहले इन्हीं पर गुस्सा निकला. पूछा गया आप कौन हैं, तो बोले एसपी हूँ. फिर कहा गया मुख्यमंत्री दौरे पर हैं और आप सादी वर्दी में टहल रहे हो. दरअसल वे कहीं से भी एसपी नहीं लग रहे थे और तब मीडिया का दबदबा भी कुछ ज्यादा था.

अब वे बस्तर के माई बाप हो गए. चार दिन पहले ही छतीसगढ़ भवन में मैं सुनीलम और पूर्व सांसद नेताम बस्तर पर ही चर्चा कर रहे थे. डीएम अवस्थी इस समय डीजी नक्सल आपरेशन हैं. उनसे रायपुर में काफी जमती भी थी. कानपुर के रहने वाले हैं. बताया गया कि इस कल्लूरी को केंद्र से शह मिली हुई है. उत्पीडन की छूट है. दरअसल सारा विवाद आदिवासियों की जमीन को लेकर है. बड़े कार्पोरेट घरानों की नजर उस पर है और उनके रास्ते को साफ़ करने के लिए कल्लूरी जैसे अफसर मदद कर रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार और शुक्रवार मैग्जीन के संपादक अंबरीश कुमार के फेसबुक वॉल से.

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