Vivek Satya Mitram : बॉस, सच्चाई ये है कि इस देश पर राज़ सिर्फ कांग्रेस कर सकती है। बीजेपी के वश की बात नहीं। मूर्खों की जमात है। ना तो इनका पॉलिटिकल सेंस अच्छा है ना ही कॉमन सेंस। ना तो इन्हें हिस्ट्री याद रहती है ना ही जियोग्राॉफी। जो केजरीवाल बहुत से मोर्चों पर विफल साबित होने लगा था उसे इन्होंने सीबीआई रेड करवाके अभयदान दे दिया। इतना भी याद नहीं रहा इन्हें कि भारत में निकम्मे से निकम्मे नेता और पार्टियां जब जब बर्बाद होने के कगार पर खड़ी थीं ‘सहानुभूति’ की संजीवनी से लैंड्सलाइड विक्ट्री के साथ सत्ता में वापस लौटीं। खैर अच्छा है, मूर्ख हमारे ऊपर राज करें उससे तो अच्छा ही है कि कोई शातिर राजकाज चलाए। बधाई हो केजरीवाल, तु़म्हारे एजेंट बीजेपी में अपना काम ठीक तरह से कर रहे हैं।
Om Thanvi : मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के घर पर छापा अलग बात है, पर उनका दफ्तर मुख्यमंत्री का दफ्तर भी है। अगर मुख्यमंत्री को भरोसे में लेकर छापा नहीं मारा गया तो इसका मतलब क्या समझा जाए? क्या सीबीआइ या उसके नियंत्रक प्रधानमंत्री केजरीवाल के कामकाज पर भी संदेह करते हैं? लेकिन संसद में अरुण जेटली कह रहे हैं अधिकारी पर छापा मुख्यमंत्री के सचिव बनने से पहले के पदों के लिए है, केजरीवाल सरकार से इस छापे का कोई संबंध नहीं है। फिर मुख्यमंत्री को भरोसे में लेने में क्या दिक्कत थी? यह प्रकरण केंद्र-राज्य के संबंधों की बुनियाद को तो खोखला करेगा ही, राज्य ही नहीं खुद केंद्र सरकार के अधिकारियों में भी रोष पैदा करेगा। राजेन्द्र कुमार भ्रष्ट हैं तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए, मगर बात प्रक्रिया की है। मोदी सरकार और केजरीवाल सरकार के बीच चल रही तनातनी को देखते हुए केंद्र को और एहतियात बरतना चाहिए – अगर मोदी कोई दूसरा संदेश खुद नहीं देना चाहते। अगर देना चाहते हैं तो उनके स्तर पर यह संकीर्ण राजनीति मानी जाएगी। और देखिए कितने मंत्री और भाजपा नेता सीबीआइ की कार्रवाई की सफाई देने के लिए टीवी पर मौजूद हैं! चोर की दाढ़ी में तिनका?
Sanjaya Kumar Singh : सीबीआई का छापा संजीव चतुर्वेदी को काम देने के लिए है। लोग भूल गए थे, ना काम करूंगा, ना करने दूंगा। क्षमा कीजिएगा, ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा।
पत्रकार विवेक सत्य मित्रम, ओम थानवी और संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.