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देश में साम्प्रदायिक परिस्थिति से दुखी ए‍क और लेखिका ने साहित्‍य अकादमी अवार्ड लौटाने का किया ऐलान

केरल: देश में चिंताजनक साम्प्रदायिक परिस्थिति से क्षुब्ध नयनतारा सहगल और अशोक वाजपेयी द्वारा साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार लौटाए जाने के बाद अब मलयामल लेखिका सारा जोसफ ने भी अपना पुरस्‍कार लौटाने का ऐलान कर दिया। उन्‍होंने 2003 में अपने उपन्यास “अलाहायुदे पेनम्मकल” (डॉटर ऑफ गॉड द फादर) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता था। इस पुरस्‍कार को लौटाने की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि यह अब वो भारत नहीं जिसमें मैं रहा करती थी।

केरल: देश में चिंताजनक साम्प्रदायिक परिस्थिति से क्षुब्ध नयनतारा सहगल और अशोक वाजपेयी द्वारा साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार लौटाए जाने के बाद अब मलयामल लेखिका सारा जोसफ ने भी अपना पुरस्‍कार लौटाने का ऐलान कर दिया। उन्‍होंने 2003 में अपने उपन्यास “अलाहायुदे पेनम्मकल” (डॉटर ऑफ गॉड द फादर) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता था। इस पुरस्‍कार को लौटाने की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि यह अब वो भारत नहीं जिसमें मैं रहा करती थी।

जोसफ ने कहा कि, ‘मौजूदा सरकार में भय का वातावरण बढ़ता जा रहा है और आजादी खत्‍म होती जा रही है।’ एमएम कलबुर्गी और दादरी में अखलाक की हत्‍या को लेकर उन्‍होंने कहा कि, लोग मारे जा रहे हैं, लेखकों की हत्‍या हो रही वहीं गायकों के शो रद्द हो रहे हैं। यह वो स्‍वतंत्र भारत नहीं जिसमें मैं रहा करती थी।’ गौरतलब है कि जोसफ से पहले नयनतारा सहगल और अशोक वाजपेयी ने अपना साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार लौटा दिए थे वहीं शशि देशपांडे ने अकादमी की आम परिषद से इस्‍तीफा दे दिया था।
साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की शुरुआत 1954 से की गई। यह पुरस्कार हर साल भारतीय भाषाओं के श्रेष्ठ साहित्यकारों को दिया जाता है। इसमें एक ताम्रपत्र के साथ 1 लाख रुपए दिए जाते हैं। हर साल अनुवाद साहित्य, बाल साहित्य और युवा लेखन पुरस्कार भी दिए जाते हैं। 1955 से अब तक तकरीबन 60 लोगों साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया जा चुका है। सबसे पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार माखनलाल चतुर्वेदी को 1955 में ‘हिमतंरगिणी’ के लिए दिया गया था। आचार्य नरेंद्र देव को 1957 में बुद्ध धर्म शास्त्र के लिए मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया। साल 1962 में यह पुरस्कार किसी भी लेखक को नहीं दिया गया था।

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