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माल्य को एक किसान की चिट्ठी : आपने कर्ज लेते हुए डरने वाले हर भारतीय नागरिक का भय खत्म किया है

अप्रिय विजय माल्या जी,

आपका देश से फुर्र होना तो पहले से ही तय था मेरी तरह देश की जनता को आपके डिफाल्टर होने की खबर बहुत दिनों से थी बस ये खबर उन लोगो के लिए कोई खबर नही थी जो आपके जाने के लिए इंतजाम में लगें हुए थे। विदेश जाना कोई बस पकड़कर बगल के शहर में जाना तो है नही वैसे तो आप एनआरआई स्टेट्स में रहकर भारतीयता का लुत्फ़ लूट रहे थे इसलिए हो सकता है आपको वीजा जैसी औपचारिकताओं से न गुजरना पड़ा हो और अगर पड़ा भी हो तो भारत सरकार को इसकी कानोंकान खबर नही लगी सच में ये विदेश मंत्रालय की बहुत बड़ी उपलब्धि है। नियम कायदे कानून के हिसाब से तो बाकायदा विदेश मंत्रालय में एक अलग से सेल होती है जिनके पास ये हिसाब होता है देश के अलग अलग पोर्ट से कितने लोग विदेश गए और कितने विदेशी देश में दाखिल हुए मगर आप तो सीधा इधर से अंतरध्यान हुए और सीधे उधर विदेश में प्रकट हो गए है। विदेश एक बहुत बड़ा शब्द है न जाने आप कहाँ है हमारे देश की एजेंसियां तो फ़िलहाल किसी देश का नाम लेने की स्थिति में भी नही है अपुष्ट सूत्रों के हवालें से आपके लन्दन में होने की खबर मिली है।

<p>अप्रिय विजय माल्या जी,<br /><br />आपका देश से फुर्र होना तो पहले से ही तय था मेरी तरह देश की जनता को आपके डिफाल्टर होने की खबर बहुत दिनों से थी बस ये खबर उन लोगो के लिए कोई खबर नही थी जो आपके जाने के लिए इंतजाम में लगें हुए थे। विदेश जाना कोई बस पकड़कर बगल के शहर में जाना तो है नही वैसे तो आप एनआरआई स्टेट्स में रहकर भारतीयता का लुत्फ़ लूट रहे थे इसलिए हो सकता है आपको वीजा जैसी औपचारिकताओं से न गुजरना पड़ा हो और अगर पड़ा भी हो तो भारत सरकार को इसकी कानोंकान खबर नही लगी सच में ये विदेश मंत्रालय की बहुत बड़ी उपलब्धि है। नियम कायदे कानून के हिसाब से तो बाकायदा विदेश मंत्रालय में एक अलग से सेल होती है जिनके पास ये हिसाब होता है देश के अलग अलग पोर्ट से कितने लोग विदेश गए और कितने विदेशी देश में दाखिल हुए मगर आप तो सीधा इधर से अंतरध्यान हुए और सीधे उधर विदेश में प्रकट हो गए है। विदेश एक बहुत बड़ा शब्द है न जाने आप कहाँ है हमारे देश की एजेंसियां तो फ़िलहाल किसी देश का नाम लेने की स्थिति में भी नही है अपुष्ट सूत्रों के हवालें से आपके लन्दन में होने की खबर मिली है।</p>

अप्रिय विजय माल्या जी,

आपका देश से फुर्र होना तो पहले से ही तय था मेरी तरह देश की जनता को आपके डिफाल्टर होने की खबर बहुत दिनों से थी बस ये खबर उन लोगो के लिए कोई खबर नही थी जो आपके जाने के लिए इंतजाम में लगें हुए थे। विदेश जाना कोई बस पकड़कर बगल के शहर में जाना तो है नही वैसे तो आप एनआरआई स्टेट्स में रहकर भारतीयता का लुत्फ़ लूट रहे थे इसलिए हो सकता है आपको वीजा जैसी औपचारिकताओं से न गुजरना पड़ा हो और अगर पड़ा भी हो तो भारत सरकार को इसकी कानोंकान खबर नही लगी सच में ये विदेश मंत्रालय की बहुत बड़ी उपलब्धि है। नियम कायदे कानून के हिसाब से तो बाकायदा विदेश मंत्रालय में एक अलग से सेल होती है जिनके पास ये हिसाब होता है देश के अलग अलग पोर्ट से कितने लोग विदेश गए और कितने विदेशी देश में दाखिल हुए मगर आप तो सीधा इधर से अंतरध्यान हुए और सीधे उधर विदेश में प्रकट हो गए है। विदेश एक बहुत बड़ा शब्द है न जाने आप कहाँ है हमारे देश की एजेंसियां तो फ़िलहाल किसी देश का नाम लेने की स्थिति में भी नही है अपुष्ट सूत्रों के हवालें से आपके लन्दन में होने की खबर मिली है।

वैसे आपने अच्छा ही किया 9000 करोड़ डकार कर। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको को पहली दफा लोन का अर्थ समझ आ रहा है वरना अभी तक तो वो लोन देते थे और बदलें में लोन लेने वाले को मूल सहित खरीद लेते थे आपने उनकी मलाई चाटी और उन्ही के गाल पर चांटा लगाकर साफ़ हो गए। आपको वापिस देश लाना न इस सरकार के बस की बात है और किसी और सरकार के बस की बात थी हम कुछ कुछ मोर्चो पर बहुत आक्रमक रहतें है और कुछ पर एकदम चुप्पी साध लेते है। हमारा भारत ऐसे ही इंक्रीडिबल इंडिया बना है। आपकी ही परम्परा का ललित मोदी आपको बाकी के सारे गुर सिखा देगा कि कैसे भारत संघ के कानून को टेम्स नदी के पुल पर खड़े होकर चिंदी चिंदी करके फाड़ फेंकना है।

आपके पास वकीलों की फ़ौज़ है और नेताओं की दोस्ती ऐसे में कोई आपका कोई कुछ नही उखाड़ पाएगा आराम से मौज लीजिए। आपके कलाबोध के लिए ये देश सदैव आपका ऋणी रहेगा आप बीयर और शराब किंग कहे जाते है सच में आपके नशे में ये देश ऐसा मशगूल हुआ कि जब तक आँख खुली आप बेगाने देश जा चुके थे। आपके इस तरह चलें जानें से बैंको के ऑडिट हेड को जरूर थोड़ी परेशानी हो रही है मगर उसका भी कोई समाधान राहत पैकेज देकर भारत सरकार निकाल लेगी आपके यूं चले जाने से वो कर्जदार जरूर निराश है जिनके पास आप जैसा रसूख नही है अब आपसे कर्जा न वसूल पाने की कुंठा में बैंक उन कर्जदारों पर डंडा सख्त करेंगे जिन्होंने खेती बाड़ी या बिटिया के ब्याह के लिए अपनी जमीन बैंक में गिरवी रखकर कर्जा लिया है। कुछ जरूरतमंद कर्जदारों के लिए आप जरूर मुसीबत खड़ी कर गए है मगर आपको इससे क्या फर्क पड़ता है क्योंकि आपने तो कर्ज लेते समय ही सोच लिया था कि एक दमड़ी भी नही लौटानी है।

आप जहां भी है देर सबेर पता लग ही जाएगा और जगह पता लगने से क्या होता है क्योंकि आप सच्चे अर्थो में विश्व नागरिक है आपके पास मुद्रा है तो सारी दुनिया आपकी अपनी है असल मुसीबत तो उन वक्त के मारों की है जिनके कर्जा चुकाने की विल है मगर पैसा नही जिनके पास भूख है मगर रोटी नही। आपसे पहले कर्जा लेते हुए हर भारतीय नागरिक डरा करता था मगर अब आपने वो डर खत्म किया है आपने बताया कि यदि पेट के साथ दिमाग भी बड़ा हो तो आप आराम से देश का पैसा हजम कर सकतें हैं।

टैक्स पेयर जनता आपको लेकर कोई इंकलाब करेगी इसकी कोई उम्मीद नही है वो खुद ईएमआई के जरिए जिन्दा है आपने व्यापक अर्थो में एक उम्मीद को जन्म दिया है भारत जैसे विकासशील देश को इसकी सख्त जरूरत थी। कला, अर्थ, कूटनीति और आपके आत्मविश्वास के लिए ये देश आपको सदैव याद रखेगा। मैं आपकी लम्बी उम्र की दुआ करता हूँ ताकि आपको देख हमें अपने देश की मजबूरी बार बार याद आती रहे।

आपकी ही तरह कुछ देश का कुछ दोस्तों का कर्जमंद

एक भारतीय किसान

डॉ. अजित

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मुजफ्फरनगर

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