Mukesh Yadav : सुषमा स्वराज बनाम मोदी (ललित) विवाद : हर तरफ इशारों ही इशारों में बातें हो रही हैं! चलों थोड़ा दो टूक करते हैं,..राइट! नरेंद्र मोदी है असली मास्टरमाइंड! नहीं, इसमें हैरानी की कोई बात नहीं! कहने वाले कह रहे हैं कि जेटली को आगे कर नरेंद्र मोदी ने शिकार किया है! थोड़ी देर के लिए ललित मोदी जैसे प्यादे को अलग रख दीजिए। दरअसल, मोदी सरकार और मोदी कैबिनेट में ऐकॉमोडेट होने के लिए सुषमा स्वराज ने अपनी जुबान तक सिल दी। सुषमा परिपक्व राजनेता है। जानती हैं कि उनका नेता तानाशाह है। इसलिए बर्दाश्त किया। लाइम लाइट से खुद को दूर रखा।
काश! एक तानाशाह इतने में ही संतुष्ट हो सकता! असंभव! तानाशाह का इगो मांगे मोर! मोदी इतने से ही संतुष्टि नहीं हो सकता! उसे मालूम है, मौका मिलते ही विरोधी वार करेगा! ये राजनीति है। फिर देर क्यों? विरोध करने वाले हर फन को वक्त रहते कुचल दिया जाए। इसलिए सुषमा स्वराज की बारी आनी ही थी (राजनाथ इज नेक्स्ट इन क्यू)। जिस मुद्दे से विपक्ष भी बेखबर है। क्योंकि इससे वोट नहीं मिलते। चुनाव नहीं जीते जाते। लेकिन विरोधियों को आसानी से निपटाया जा सकता है। वाह क्या मौका है!
आज की राजनीति सही को सही और गलत को गलत कहने की नहीं बल्कि आप सही को कितना गलत और गलत को किस हद तक सही साबित कर सकते हैं, इस पर निर्भर है! इसलिए ललित मोदी को कथित मानवीय आधार पर वीजा दिलाना, सही है या गलत; कांग्रेस के आलावा मुख्य विपक्षी दलों के लिए यह गैर जरुरी है। यही वजह है कि आज की राजनीति ‘आप’ जैसे बच्चों का खेल नहीं है, जो अनन-फानन में स्वराज जैसे नेता का इस्तीफा मांगने लगे।
लालू, मुलायम और नीतीश जैसे नेता बखूबी समझते हैं कि बिहार चुनाव की पूर्वसंध्या पर ललित मोदी जैसे बेमतलब (चुनावी मौसम में) के मसले को अर्णव गोस्वामी के माध्यम से उठाने का मतलब सिर्फ और सिर्फ सुषमा स्वराज को ठिकाने लगाने का प्रयोजन है। इसलिए कट्टर भाजपा विरोधी यूपी–बिहार के तमाम नेता सुषमा स्वराज के बचाव में खड़े हैं! क्योकि वक्त आने पर मोदी के विरोध में स्वराज ही उनका हथियार है! हैं ना इंटरेस्टिंग! बेशक इस मुद्दे पर भाजपा और आरएसएस फिलहाल सुषमा स्वराज के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं। लेकिन जानकारों के मुताबिक यह ‘बचाव’ फैब्रिकेटेड है! बाकी हकीकत वक्त ही बयान करेगा।
पत्रकार मुकेश यादव के फेसबुक वॉल से.