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मोदी का एक मंत्रालय समाचार एजेंसी रायटर्स के खिलाफ कार्रवाई करेगा!

19-10-2015 को रॉयटर्स द्वारा प्रकाशित समाचार पर प्रेस विज्ञप्ति

19-10-2015 को रॉयटर्स द्वारा प्रकाशित समाचार पर आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में इस बात पर दोबारा जोर दिया जाता है कि रॉयटर्स का समाचार भ्रमित करने वाला है, जिसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। जैसा कि रॉयटर्स के समाचार में बताया गया है, वैसा माननीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कभी भी सरकारी नीति की आलोचना नहीं की है। इसलिए यह लेख सरकार की छवि खराब करने के विचार से तथ्यों को सनसनीखेज बनाने के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया। तथ्यों को इस प्रकार तोड़ना-मरोड़ना पूर्ण रूप से अनैतिक है।

<p><strong>19-10-2015 को रॉयटर्स द्वारा प्रकाशित समाचार पर प्रेस विज्ञप्ति</strong></p> <p>19-10-2015 को रॉयटर्स द्वारा प्रकाशित समाचार पर आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में इस बात पर दोबारा जोर दिया जाता है कि रॉयटर्स का समाचार भ्रमित करने वाला है, जिसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। जैसा कि रॉयटर्स के समाचार में बताया गया है, वैसा माननीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कभी भी सरकारी नीति की आलोचना नहीं की है। इसलिए यह लेख सरकार की छवि खराब करने के विचार से तथ्यों को सनसनीखेज बनाने के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया। तथ्यों को इस प्रकार तोड़ना-मरोड़ना पूर्ण रूप से अनैतिक है।</p>

19-10-2015 को रॉयटर्स द्वारा प्रकाशित समाचार पर प्रेस विज्ञप्ति

19-10-2015 को रॉयटर्स द्वारा प्रकाशित समाचार पर आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में इस बात पर दोबारा जोर दिया जाता है कि रॉयटर्स का समाचार भ्रमित करने वाला है, जिसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। जैसा कि रॉयटर्स के समाचार में बताया गया है, वैसा माननीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कभी भी सरकारी नीति की आलोचना नहीं की है। इसलिए यह लेख सरकार की छवि खराब करने के विचार से तथ्यों को सनसनीखेज बनाने के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया। तथ्यों को इस प्रकार तोड़ना-मरोड़ना पूर्ण रूप से अनैतिक है।

मंत्रालय ने रॉयटर्स से इस मुद्दे पर बिना किसी शर्त के माफी मांगने के साथ-साथ 19-10-2015 की प्रेस विज्ञप्ति पर स्‍पष्‍टीकरण मांगा है। इस मामले को भारतीय प्रेस परिषद और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पास आवश्‍यक कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है।  उपरोक्‍त स्‍पष्‍टीकरण देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मीडिया से 19-10-2015 की प्रेस विज्ञप्ति में रॉयटर्स द्वारा प्रकाशित समाचार न लेने का सुझाव दिया था। हालांकि इसके बावजूद कुछ समाचार पत्रों और उनके ऑन-लाइन प्रकाशन ने रॉयटर्स का समाचार प्रकाशित किया।  एक बार फिर अनुरोध किया जाता है कि जिन्होंने ऑन-लाइन या अन्य माध्यम पर यह समाचार प्रकाशित किया है, वे आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार आवश्‍यक स्‍पष्‍टीकरण जारी करें और अपने ऑन-लाइन पृष्ठों से भी समाचार हटाएं।

19-10-2015 को मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति द्वारा जारी स्‍पष्‍टीकरण एक बार फिर नीचे दिया गया है-

‘रॉयटर्स, मंत्रालय के आईसीडीएस कार्यक्रम के लिए बजटीय आवंटन के मुद्दे पर महिला एवं बाल विकास मंत्री के साथ चर्चा करना चा‍हता था। मंत्री महोदया ने कहा था कि सरकार ने राज्यों को राशि का आवंटन बढ़ाने की वित्त आयोग की सिफारिशों को मान लिया है, क्‍योंकि उन्हेंं यह उम्मीद है कि राज्य सामाजिक क्षेत्र योजनाओं के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आवश्यंक अतिरिक्‍त संसाधन प्राप्त करने में समक्ष हो जाएंगे। इसी के आधार पर मुख्यमंत्रियों के दल ने विभिन्न सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए लागत साझा करने के तरीके की सिफारिश की थी, ताकि अधिक राशि के आवंटन को देखते हुए सभी योजनाओं के लिए केन्द्र और राज्यों के योगदान को उचित रूप से युक्तिसंगत किया जा सके।

मंत्री महोदया द्वारा यह भी कहा गया कि राज्य अपने हिस्से का उपयोग कुछ योजनाओं के कुछ हिस्सों पर खर्च नहीं कर रहे हैं, जिससे अनिश्चितता बढ़ी। विशेष रूप से यह बात आंगनवाड़ी कर्मियों के मेहनताने के कुछ हिस्सों के लिए सत्य हैं। मंत्री महोदया ने अंत में कहा कि उन्हें विश्वातस है कि इसका समाधान जल्द ही निकल आएगा, क्योंकि वित्त मंत्रालय को इस मामले की पूरी जानकारी है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री की कुछ टिप्पणियों की रॉयटर्स के आज के लेख में की गई व्‍याख्‍या पूरी तरह से गलत है, जिसे हम सिरे से नकारते हैं। मीडिया से अनुरोध है कि वे रॉयटर्स की गलत और शरारतपूर्ण विवेचना को अपने समाचार में शामिल न करें। मंत्रालय रॉयटर्स के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगा।’

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