Binod Kumar : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जनता के साथ पिछले कुछ समय में जो भी वायदे किए, उन पर खरा तो उतरना दूर अब वह उससे मुकरने भी लगी है। इससे लग तो यही रहा है कि मोदी सरकार याददाश्त खो रही है। अच्छे दिन व काले धन को लेकर भाजपा के नेता चाहे वह प्रधानमंत्री मोदी हों या उनके सांसद, देश में सत्ता संभालने से पहले कुछ और कहते थे तथा अब कुछ और कह रहे हैं। अच्छे दिनों को लेकर तो अब इस सरकार का मजाक ही उड़ रहा है। टी.वी. चैनलों व सोशल मीडिया पर इसकी खूब चर्चा हो रही है।
24 अगस्त, 2015 को केंद्रीय इस्पात व खनन मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इंदौर में यह बात कहकर सबको चौंका दिया कि अच्छे दिनों का जुमला भाजपा का नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर आम आदमी ने दिया था, लेकिन वह भूल गए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मई, 2014 को वड़ोदरा में विजय रैली के दौरान अच्छे दिन आ गए कहकर अपने भाषण को शुरू किया था। आर.टी.आई. मामले में भी भाजपा के नेताओं के सुर बदलने लगे हैं। जून, 2013 में भाजपा के एक प्रवक्ता अभिमन्यु सिंह ने आर.टी.आई. को लेकर केंद्र सरकार को खूब घेरा। उन्होंने कहा था कि भाजपा आर.टी.आई. का विरोध नहीं करती लेकिन 21 अगस्त, 2015 को जब भाजपा सत्ता में है तो केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस में जवाब दिया कि राजनीतिक दलों को आर.टी.आई. के दायरे में लाने से उसके सुचारू काम में बाधा आती है।
यही नहीं 22 जनवरी, 2014 को जब भाजपा विपक्ष में थी तो राजनाथ सिंह ने कटक में कहा था कि पूरा देश जानना चाहता है कि नेताजी सुभाष की मौत किन हालात में हुई। दिलचस्प है कि दिसम्बर 2014 में जब भाजपा की सरकार आ चुकी थी, सुभाष चंद्र बोस पर मांगी गई आर.टी.आई. के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि बोस संबंधी दस्तावेजों का खुलासा दूसरे देशों से भारत के संबंधों को खराब कर सकता है काले धन के मामले में भी भाजपा अब मुकरने की स्थिति में है। 7 नवम्बर, 2013 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली के दौरान कहा था कि अगर काला धन देश में वापस आता है तो हर गरीब के खाते में 15 से 20 लाख रुपए आएंगे। हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह यह कहते हुए नजर आए कि काला धन महज एक राजनीतिक जुमला था।
भारत-चीन युद्ध पर आधारित हैंडरसन ब्रुक्स-भगत रिपोर्ट के संबंध में मार्च 2014 में केंद्रीय मंत्री बनने से पहले अरुण जेतली ने कहा था कि यह रिपोर्ट तो दशकों पहले सार्वजनिक कर दी जानी चाहिए थी लेकिन सत्ता में आने के बाद जुलाई 2014 में जेतली का बयान था कि भारत-चीन युद्ध आधारित रिपोर्ट को सार्वजनिक करना राष्ट्रहित में नहीं है। धारा 370 पर भी भाजपा ने मुकरने में कोई कमी नहीं छोड़ी। 1 दिसम्बर, 2013 को जम्मू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में कहा था कि अब वक्त आ गया है कि अनुच्छेद 370 पर बहस होनी चाहिए लेकिन इसी वर्ष 25 मई को भाजपा के प्रवक्ता एम.जे. अकबर ने पटना में यह कहा कि अनुच्छेद 370 पर यथास्थिति बनाई रखी जाएगी।
बिमल कुमार के फेसबुक वॉल से.