गंभीरता बीमारी है, यह उपाय नहीं है। यह मृत्यु तक ले जाती है, न कि अनंत जीवन तक। जीवन खेलपूर्णता, मजा है, क्योंकि सारा अस्तित्व एक विशाल सर्कस है। यह सब आमोद-प्रमोद है–रंग-बिरंगे फूल, इतने सारे सुंदर जानवर, पक्षी, बादल, और बिना किसी प्रयोजन के; उनके होने से कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं होता है। जीवन का कोई लक्ष्य नहीं है। जीवन स्वयं में खेल है। यह अनंत ऊर्जा है, अतिप्रवाहित ऊर्जा–अस्तित्व फैलता चला जाता है। किसी परमात्मा ने इसे नहीं बनाया है, क्योंकि जहां कहीं किसी चीज का निर्माण होता है उसका प्रयोजन होता है। जहां कभी कुछ भी किसी कारण से बनाया जाता है, और जब कोई बनाता है, बनायी गई चीज और कुछ नहीं बस मशीन ही होगी। अस्तित्व का ऐसा कोई उपयोग नहीं है, यह अनंत तक बना रहता है, ऊर्जा के अनेकानेक रूपों को अनंत खेल। मस्ती बहुत ही पावन शब्द है, प्रार्थना से अधिक पावन। यह एक मात्र शब्द है जो तुम्हें खेलपूर्ण होने का भाव देता है, जो तुम्हें फिर से बच्चा बना देता है। तुम फिर से तितलियों के पीछे भागने लगते हो, समुद्र किनारे सीपियां, रंगीन पत्थर बीनते हो।
xxx
घास के छोटे से पत्ते से लेकर विशालतम तारे तक, हर चीज की जरूरत है, समान रूप से जरूरत है। अस्तित्व में किसी तरह की ऊंच-नीच नहीं है। घास के पत्ते और तारे में कोई असामनता नहीं है; वे समान हैं। अस्तित्व उन्हें समानरूप से सहारा देता है। वह किसी तरह का भेदभाव नहीं करता। पापी के साथ, संत के साथ समानरूप से। सूर्य सभी के लिए चमकता है, फूल सभी के लिए खिलते हैं, पक्षी सभी के लिए गाते हैं। यह हमारा घर है। बिना आनंद के अहसास के इसे महसूस नहीं किया जा सकता। इसलिए यहां मेरा सारा प्रयास यह है कि तुम्हें प्रफुल्लित, आनंदित, गाते और नाचते, सभी तरह के उपाय उपलब्ध करवाए जाएं ताकि तुम विश्रांत हो सको, तुम अपनी संस्कारित उदासी, गंभीरता से बाहर आ सको, ताकि तुम फिर से बच्चे बन सको, समुद्र किनारे दौड़ते सींपियां, रगीन पत्थर इकट्ठा करते, तितलियों के पीछे दौड़ते, जंगली फूलों को महान आश्चर्य के साथ इकट्ठा करते हुए।
xxx
लेट गो इस घटना की गहरी समझ है कि हम इस अस्तित्व के हिस्से हैं। अलग से अहंकार रखना हमारी सामर्थ्य नहीं है; हम सब के साथ एक हैं। और सब विशाल है, बहुत विशाल। तुम्हारी समझ संपूर्ण के साथ प्रवाहित होने में मदद करेगी। पूर्ण से अलग तुम्हारा कोई लक्ष्य नहीं है, और पूर्ण का कोई लक्ष्य नहीं है। यह कहीं भी नहीं जा रहा है। लेट गो की समझ, बिना किसी लक्ष्य के, बिना कुछ प्राप्ति के विचार के, बिना किसी द्वंद्व या संघर्ष के, यह जानते हुए कि स्वयं के साथ संघर्ष मूर्खतापूर्ण है, बस यहां होने मात्र में मदद करती है।
जाने माने आध्यात्मिक गुरु ओशो के प्रवचन के कुछ अंश.