राजस्थान के नंबर 2 अख़बार राजस्थान पत्रिका के उदयपुर एडिशन में 8 नवंबर को छपे पेड फ़ोटो फीचर ने पत्रकार और शिक्षक बिरादरी में अख़बार की जबरदस्त किरकिरी करवाई है। अपनी ही खबर का पेड फीचर छापने के बाद अब प्रबुद्धजन लताड़ रहे हैं की क्या ये उन्ही गुलाब कोठारी का अख़बार है जी बात बात पर पत्रकारिता में स्वच्छता और नैतिक मूल्यों की दुहाई देता है।
एक तरफ गुलाब कोठारी अपने लेखों में धर्म, अध्यात्म और वेद पुराण का तड़का डालकर मन वचन और कर्म से सच्चाई के अनुसरण का सन्देश देते हैं तो दूसरी तरफ इनके वेतनभोगी संपादकीय प्रभारी और शाखा प्रबन्धक इस तरह के दिखावटी सम्मान समारोह को धनार्जन का माध्यम बना बना रहे हैं।
सबसे खास बात है कि न तो इन्हें अपनी करनी का मलाल है, ना ही इन्होंने अब तक खेद जताया है। दूसरी तरफ शिक्षकों का कहना है कि पैसा लेकर ही सम्मान करना था और पैसा लेकर फ़ोटो छापने थे तो सम्मान समारोह का नाटक क्यूँ किया गया? सम्मान से वंचित शिक्षक तो यहाँ तक कह गए कि हमें पहले पता होता तो हम भी अपने सम्मान की एडवांस बुकिंग करवा लेते।
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