Sanjaya Kumar Singh : खबर है कि मेक इन इंडिया का नारा देने वाली सरकार के राज में सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति चीन में बन रही है। कांग्रेस के ज़माने में सबसे ज्यादा मूर्तियाँ बनीं और लगीं। एक से एक उम्दा मूर्तिशिल्प के उदाहरण आपको चौक चौराहों पार्कों में मिल जायेंगे जो भारतीय मूर्तिकारों के जीवंत मूर्तिकला के बेहतरीन उदाहरण हैं। फिर सरदार पटेल की मूर्ति चीन में क्यों बन रही है? गुजरात में सरदार पटेल की मूर्ति लगाने का ठेका निजी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो को 2989 करोड़ रुपए में दिया गया है।
अखबार के मुताबिक, सूत्रों की मानें तो कंपनी ने मूर्ति बनाने का जिम्मा चीन को ढाई महीने पहले ही सौंप दिया है। इस मामले में गोपनीयता बरती जा रही है। दूसरी ओर, सरकार देशवासियों से अपील करती है कि दीवाली पर चीनी लाइट का उपयोग ना करें क्योंकि इससे देश का काफी पैसा चीन चला जाएगा। भाजपा और भक्तों का कहना है कि चीनी लाइट सस्ती हो तब भी देशवासियों को इनका उपयोग नहीं करना चाहिए। एक तरफ आम देश वासियों के लिए यह अपील और फिर लार्सन एंड टुब्रो के सामने मुंह क्यों सिल गए? इस बारे में अमर उजाला में प्रकाशित खबर यूं है:
राष्ट्रीय एकता के प्रतीक पटेल की चीन में बन रही मूर्ति
देश की एकता कीअविस्मरणीय मिसाल के तौर पर गुजरात में स्थापित होने वाली विश्व प्रसिद्ध सरदार बल्लभभाई पटेल की मूर्ति चीन में बन रही है। बताया जा रहा है कि देश के जाने-माने मूर्तिकार राम सुतार और अनिल सुतार दो दिन पहले ही चीन में बन रही पटेल की मूर्ति के कामकाज का मुआयना कर लौटे हैं। इस मामले में उनके दोबारा से चीन जाने के आसार है। हालांकि अमर उजाला से बातचीत में सुतार ने कहा है कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है और वे निजी काम से चीन गए थे।
मगर लारसन एंड टरबों के सूत्रों की मानें तो कंपनी ने मूर्ति बनाने का जिम्मा चीन को ढाई महीने पहले ही सौंप दिया है। इस मामले में गोपनीयता बरती जा रही है। चीन की कंपनी को एडवांस राशि भी दे दी गई है और चीन में मूर्ति बनाने का कामकाज शुरू हो गया है। प्रतीक के रूप में थरमोकोल से बनी मूर्ति की लगभग 50 फीट का हिस्सा बन चुका है। इतनी बड़ी मूर्ति को चीन से लाने में मुश्किल होगी। इसलिए 3-3 फीट के पीस में कांसे से बनने वाली मूर्ति के अंगों को ढाला जा रहा है। यहां आने के बाद सभी भागों को जोड़ मूर्ति को पूर्ण स्वरुप दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस मामले में लारसन एंड टरबो के अधिकारियों की चीन के प्रतिनिधियों के साथ अहम बैठक ढाई माह पूर्व चेन्नई में हुई थी। जिसमें चीन की कंपनी को पटेल की कांसे की मूर्ति बनाने के प्रस्ताव को हस्तांतरित कर दिया गया और मूर्ति को डिजाइन करने वाले सुतार से कंपनी की ओर से कहा गया है कि वे कामकाज की देख-रेख के लिए चीन जाने को तैयार रहें। इसके बाद चीन की कंपनी के अधिकारियों ने सुतार के साहिबाबाद स्थित फैक्ट्री पर आकर उनसे मूर्ति की 3डी इमेज हासिल कर ली।
अमर उजाला से बातचीत में खुद अनील सुतार ने स्वीकार किया है कि उन्होंने 30 फीट की सरदार पटेल की मूर्ति का निर्माण किया है जिसका काम पूरा हो गया है। जबकि उनके वेबसाइट पर लिखा है कि वे 522 फीट की मूर्ति बना रहे हैं। हालांकि मूर्ति के हाथ को लेकर उठ रहे विवाद पर सुतार ने कहा है कि समस्या हल हो गई है। सरदार पटेल ट्रस्ट ने बीते अक्टूबर में इस विश्व प्रसिद्ध माने-जाने वाली मूर्ति के निर्माण का जिम्मा देश की नामी-गिरामी कंपनी लारसन एंड टरबो को 2989 करोड़ में दिया था। उस वक्त भी कंपनी के चेयरमैन ने कहा था कि वे मूर्ति बनाने के लिए चीन की कंपनियों से बात कर रहे हैं। माना जा रहा कि लागत कम करने के लिए भारतीय राष्ट्रवाद के इस प्रतीक की मूर्ति का ढांचा चीन में बनाया जा रहा है। 2014 लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद करने के मकसद से पीएम मोदी ने पटेल की विश्व विख्यात मूर्ति बनवाने का ताना-बाना बूना था। इसके लिए अभियान चलाकर देश के गांव-गांव से भाजपा ने लोगों से लोहा इकट्ठा किया था।
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.