भ्रष्टमंत्री के खिलाफ खबर लिखने वाले शाहजहाँपुर के सोशल मीडिया पत्रकार जगेन्द्र सिंह नहीं रहे। आरोप है कि मंत्री के इशारे पर पत्रकार पर जानलेवा हमला कर उन्हें जलाया गया। लगभग 60 फीसदी जले पत्रकार जगेन्द्र सिंह ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। पत्रकारों पर हमला कोई नई बात नहीं है। कलम की ताकत से घबरा कर मीडिया और मीडियाकर्मी पर हमले की खबर देश-विदेश से समय-समय पर आती रहती है। मीडिया पर हमला करने वालों में जहां राजसत्ता को शामिल देखा जाता है वहीं पुलिस-प्रसाशन, राजनेता-अपराधी गठजोड़, उग्रवादी-नक्सली और आतंकवादी अपने खिलाफ छपी खबर से तिल-मिला कर पत्रकारों पर हमला कर देते हैं। कलम से मुकाबला नहीं करने के कारण हताश हथियार अपना घिनौना आचरण दिखा जाता है। लेकिन मीडिया पर हमले को लेकर मीडियाकर्मियों का प्रतिरोध भी होता है। इसके बावजूद पत्रकारों को मुक्कमल सुरक्षा नहीं मिल पाती है।
विश्व में पत्रकारों की सुरक्षा पर नजर रखने वाली ब्रिटेन की संस्था आई.एन.एस.आई. (इंटरनेशनल न्यूज सैफ्टी इंस्टीट्यूट) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार सूची में सबसे खराब पांच देशों में भारत पत्रकारों के लिए दूसरा सबसे खतरनाक देश है। पहले नंबर पर सीरिया है। इस संस्था ने इस वर्ष की प्रथम छमाही आंकड़े जारी किए थे। इस दौरान भारत में छह, सीरिया में आठ, पाकिस्तान में पांच, सोमालिया में चार और ब्राजील में तीन पत्रकारों की हमलों में मौत हो चुकी है। छह माह पुराने इस आंकड़े में अगर उत्तर प्रदेश में पिछले छह माह में हुई पांच पत्रकारों की हत्याओं को भी जोड़ दें तो संभवत भारत, सीरिया से भी आगे निकल जाएगा।
जाहिर है कलम पर बंदूक का कहर जारी है। हाल ही में पटना में भी एक पत्रकार को अपराधियों ने गोली मार दी थी। घटना में घायल पत्रकार की इलाज के दौरान मौत हो गयी। अपराधी पकड़ से बाहर हैं। हालांकि, शाहजहांपुर (उ.प्र.) के जुझारू पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जला कर मार डालने के आरोप में उत्तर प्रदेश के मंत्री राम मूर्ति वर्मा, इंस्पेक्टर प्रकाश राय समेत कई के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है। पीडि़त पक्ष ने मंत्री राम मूर्ति वर्मा पर पत्रकार की हत्या का आरोप लगाया था। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 120 बी के तहत एफआइआर दर्ज कर ली है। जगेंद्र सिंह ने मंत्री के खिलाफ खूब खबरें लिखीं। यही वजह रही कि उन पर कई बार हमले हुए।
मौजूदा दौर में पत्रकारिता कर्म दिनों दिन मुश्किल बनता जा रहा है। पत्रकारों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं। दरअसल, मीडिया और पत्रकारों पर हमला वही करते हैं या फिर करवाते हैं जो कलम की ताकत से डर जाते हैं उनके अंदर सच का सामना करने की हिम्मत नहीं होती है। मीडिया जब पोल खोलने लगता है तो बौखलाहट में नेता-अपराधी गठजोड हमला कर देता है या हमले करवाता है। पुलिस और शासन-तंत्र इन्हीं का साथ देते हैं। बल्कि कई बार तो मिल हुए भी नजर आत हैं। दिखावे के तौर पर जरूर मामले दर्ज कर लिये जाते हैं, लेकिन होता कुछ नहीं।
राजनेता के खिलाफ कलम उठाने की सजा जगेन्द्र सिंह को मिली है। देखा जाये तो कई मामलों में मीडिया हाउस भी अपने पत्रकार के खिलाफ चले जाते है। बिहार की राजधानी पटना से प्रकाशित एक दैनिक पत्र के पत्रकार ने जब एक खबर नेताजी के खिलाफ लिखी तो। खामियाजा पत्रकार का झेलनी पड़ी। उस पत्रकार के लेखनी से नेता हिल गये। लेकिन उन्होंने अखबार पर दबाव बना दिया। पत्रकार को छुट्टी पर भेज दिया गया। खबर का खण्डन भी आया। मीडिया हाउस अपने फायदे के लिए झुकता नजर आता है। खबरों को लेकर समझौता होता दिखता है। घोषित या अघोषित रूप से सरकारी या निजी मीडिया के पत्रकारों को राजतंत्र का कोपभाजन होना पड़ता है। नौकरी जाने के डर से कलम थोड़ा झुक सा जाता है। नहीं झुकता है तो पत्रकार के कलम या उसे या दोनों को झुका दिया जाता है।
लेखक संजय कुमार बिहार के वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनका निवास पता है- ”303, दिगम्बर प्लेस, लोहियानगर, कंकड़बाग, पटना-800020, बिहार”.