Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रदेश

बिना परीक्षा ड्यूटी पंजाब विश्वविद्यालय खजाने से हुआ भुगतान

आरटीआई के तहत मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ बिना किसी एग्जामिनेशन ड्यूटी किये शिक्षकों को भुगतान कर रहा है जिस से उच्च अधिकारिओं द्वारा नियंत्रण के बुरी तरह विफल होने के साथ विश्वविद्यालय के कोष से गबन के संकेत भी मिलते हैं। यह वित्तीय अनियमितताएं चंडीगढ़ स्थित आरटीआई कार्यकर्ता डॉ राजिंदर के सिंगला को विश्वविद्यालय द्वारा दिए गये दस्तावेजों से उजागर हुई हैं। शहर के विभिन्न कॉलेजों में काम कर रहे 4 शिक्षकों का हवाला देते हुए सिंगला ने पूछा था कि इस विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षा 2015  में इन में से किन्होने निरीक्षक/फ्लाइंग दस्ते के रूप में ड्यूटी दी तथा उन्हें विश्वविद्यालय कोष से भुगतान किया गया।  विश्वविद्यालय से जवाब आया की इनमे से ड्यूटी केवल एक शिक्षक ने की है जबकि पेमेंट दो को दे दी गयी। इस से न केवल परीक्षा प्रणाली और लेखा परीक्षा में बैठे लोगों द्वारा जनता के धन के दरुपयोग का पता चलता है बलिक ऑडिट से दी जा रही मंजूरी पर भी प्रशन चिन्ह लगता है।

<p>आरटीआई के तहत मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ बिना किसी एग्जामिनेशन ड्यूटी किये शिक्षकों को भुगतान कर रहा है जिस से उच्च अधिकारिओं द्वारा नियंत्रण के बुरी तरह विफल होने के साथ विश्वविद्यालय के कोष से गबन के संकेत भी मिलते हैं। यह वित्तीय अनियमितताएं चंडीगढ़ स्थित आरटीआई कार्यकर्ता डॉ राजिंदर के सिंगला को विश्वविद्यालय द्वारा दिए गये दस्तावेजों से उजागर हुई हैं। शहर के विभिन्न कॉलेजों में काम कर रहे 4 शिक्षकों का हवाला देते हुए सिंगला ने पूछा था कि इस विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षा 2015  में इन में से किन्होने निरीक्षक/फ्लाइंग दस्ते के रूप में ड्यूटी दी तथा उन्हें विश्वविद्यालय कोष से भुगतान किया गया।  विश्वविद्यालय से जवाब आया की इनमे से ड्यूटी केवल एक शिक्षक ने की है जबकि पेमेंट दो को दे दी गयी। इस से न केवल परीक्षा प्रणाली और लेखा परीक्षा में बैठे लोगों द्वारा जनता के धन के दरुपयोग का पता चलता है बलिक ऑडिट से दी जा रही मंजूरी पर भी प्रशन चिन्ह लगता है।</p>

आरटीआई के तहत मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ बिना किसी एग्जामिनेशन ड्यूटी किये शिक्षकों को भुगतान कर रहा है जिस से उच्च अधिकारिओं द्वारा नियंत्रण के बुरी तरह विफल होने के साथ विश्वविद्यालय के कोष से गबन के संकेत भी मिलते हैं। यह वित्तीय अनियमितताएं चंडीगढ़ स्थित आरटीआई कार्यकर्ता डॉ राजिंदर के सिंगला को विश्वविद्यालय द्वारा दिए गये दस्तावेजों से उजागर हुई हैं। शहर के विभिन्न कॉलेजों में काम कर रहे 4 शिक्षकों का हवाला देते हुए सिंगला ने पूछा था कि इस विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षा 2015  में इन में से किन्होने निरीक्षक/फ्लाइंग दस्ते के रूप में ड्यूटी दी तथा उन्हें विश्वविद्यालय कोष से भुगतान किया गया।  विश्वविद्यालय से जवाब आया की इनमे से ड्यूटी केवल एक शिक्षक ने की है जबकि पेमेंट दो को दे दी गयी। इस से न केवल परीक्षा प्रणाली और लेखा परीक्षा में बैठे लोगों द्वारा जनता के धन के दरुपयोग का पता चलता है बलिक ऑडिट से दी जा रही मंजूरी पर भी प्रशन चिन्ह लगता है।

विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार (लेखा) ने 23 सितम्बर के अपने पत्र में बताया की सेक्टर 36  के एम्.सी.एम्. डीएवी कॉलेज फॉर वीमेन में कार्यरत  एसोसिएट प्रोफेसर रूपिंदर चट्ठा और सेक्टर 42   के गवर्नमेंट कालेज फॉर गर्ल्स के एसोसिएट प्रोफेसर शुभ्प्रीत कौर को वार्षिक परीक्षा 2015 में निरीक्षकों/ फ्लाइंग दस्ते की ड्यूटी निभाने के लिए पेमेंट दी गयी है। जबकि  इसके विपरीत डिप्टी रजिस्ट्रार (परीक्षा) ने स्पष्ट शब्दों में स्वीकार किया है कि इस परीक्षा में रूपिंदर चट्ठा के इलावा उक्त चार शिक्षकों में से किसी और ने यह ड्यूटी नहीं दी। रूपिंदर चट्ठा ने सेक्टर 26 के एस.जी.जी.एस. कालेज में 24 अप्रैल 2015 (सुबह का सत्र) को फ्लाइंग दस्ता अधिकारी का कर्तव्य निभाया था।

आरटीआई के माध्यम से प्राप्त हुए रूपिंदर चट्ठा द्वारा बीए समाजशास्त्र की उत्तर-पुस्तिकाएं के स्पॉट मूल्यांकन सम्बन्धी रिकॉर्ड्स उनकी फ्लाइंग दस्ता अधिकारी की ड्यूटी को और भी शक के दायरे में खड़ा करते हैं। परीक्षा नियंत्रक द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार एक शिक्षक एक दिन में सुबह और शाम के दोनों सत्रों में ज्यादा से ज्यादा 60 जवाब-पुस्तकों का मूल्यांकन कर सकते हैं। जबकि रूपिंदर चट्ठा ने अनुमत सीमा से लगभग दोगुना यानि की 116 उत्तर-पुस्तिकाएं प्रति दिन के हिसाब से चेक की है। विश्वविद्यालय परिसर में स्थान मूल्यांकन में इतना व्यस्त होने के बावजूद उसी समय एक अन्य कालेज में फ्लाइंग दस्ता अधिकारी की ड्यूटी कैसे की गयी, संदेह पैदा करती है।

इसके अलावा, सहायक रजिस्ट्रार (सीक्रेसी) श्रीमती चट्ठा द्वारा 30  अप्रैल से 5 मई 2015 की अवधि के दौरान मूल्यांकन की गयी उत्तर-पुस्तिकाओं को दिखाने में नाकाम रहे जबकि उन्हें इस अवधि का कनवेंस चार्ज दिया गया है। पंजाब विश्वविद्याल के चांसलर डॉ एम हामिद अंसारी को आज भेजी अपनी विस्तृत शिकायत में सिंगला ने इस मामले की जांच और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ अवैध रूप से दिए गये पैसे की वसूली की गुहार लगाई है।

RTI unveils payment from University coffers without performance of examination duty

Panjab University, Chandigarh has been found to make payments to the teachers for duties they have actually not performed, making enough indications of the embezzlement of funds, with checks and controls having been miserably failed. The financial irregularities surfaced from the documents supplied by the University to a Chandigarh based RTI activist Dr Rajinder K Singla. Enlisting 4 teachers working in various colleges of the city, Singla had sought to know their duties performed as Inspector/Flying Squad in PU Annual Exams-2015 and payment made to them by the University on this account. Reply given by the University disclosed that the University released payment to 2 teachers whereas only one had performed the said duty. How people sitting at the top of examination system and audit cleared this lapse is known to the University only.

Assistant Registrar Accounts informed the applicant on September 23 that the University had made payment on account of Inspectors/Flying Squad in Annual Exams-2015 to Mrs Rupinder Chatha (Associate Professor in MCM DAV College for Women-36) and Ms Shubhpreet Kaur (Associate Professor in PGGCG-42). Contrarily however, Deputy Registrar (Examinations) has admitted in clear terms that in the said exams, only Mrs Rupinder Chatha had performed the duty of Flying Squad Officer at SGGS College, Sector 26 on April 24, 2015 (Morning Session), and no one else.

Records obtained via RTI further bring the duty of Mrs Rupinder Chatha as Flying Squad Officer under scanner in view of her spot evaluation of answer-books of BA Sociology. As per the instructions given by the Controller of Examinations, a teacher can evaluate a maximum of 60 answer-books in a day (both morning & evening sessions). Mrs Rupinder Chatha, however, evaluated @ 116 answer-books per day (1397 answer-books in 12 days: April 16, 17, 19-24, 26-29), almost double the permitted limit. How could then she simultaneously perform the duty of Flying Squad Officer on April 24 at SGGS College, Sector 26, Chandigarh when she was already over busy with spot evaluation in the University Campus. This raises further doubt on the functioning of those who regulate examination duties, spot-evaluation of answer-books and release of payments. In addition, Assistant Registrar, Secrecy has disclosed payment to Mrs Chatha on account of conveyance for evaluation of answer-books for the period April 30 to May 5, 2015, but failed to disclose any answer-books evaluated by her on these dates.  Singla has now made a detailed representation duly substantiated with documentary evidence to Dr M. Hamid Ansari, Chancellor and others for investigation into the matter and action against the offenders, besides recovery of money released illegally.

Dr Rajinder K Singla
RTI Activist, Chandigarh
Mobile: 09417538456
WhatsApp: 07508955630

Advertisement. Scroll to continue reading.

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

सोशल मीडिया

यहां लड़की पैदा होने पर बजती है थाली. गर्भ में मारे जाते हैं लड़के. राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र में बाड़मेर के समदड़ी क्षेत्र...

Advertisement