Connect with us

Hi, what are you looking for?

ये दुनिया

सुप्रीम कोर्ट ने पलटी खाई, पोर्न वेबसाइट्स ब्लॉक करने का निर्देश जारी करने से किया इनकार

भारत में पोर्न वेबसाइटों पर बैन लगाया जाना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्ट‍िस की राय इसी ओर इशारा करती है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में सभी पॉर्न वेबसाइट्स को ब्लॉक करने का निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इसे निजी स्वतंत्रता का मामला बताया। संविधान के अनुच्छेद- 21 के तहत लोगों को व्यक्त‍िगत आजादी हासिल है। मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने कहा कि अदालत इस बारे में कोई अंतरिम आदेश नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि कोई भी कोर्ट आकर यह कह सकता है कि मैं बालिग हूं और आप मुझे अपने घर के बंद कमरों में कुछ भी देखने से कैसे रोक सकते हैं? यह संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है।

<p>भारत में पोर्न वेबसाइटों पर बैन लगाया जाना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्ट‍िस की राय इसी ओर इशारा करती है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में सभी पॉर्न वेबसाइट्स को ब्लॉक करने का निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इसे निजी स्वतंत्रता का मामला बताया। संविधान के अनुच्छेद- 21 के तहत लोगों को व्यक्त‍िगत आजादी हासिल है। मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने कहा कि अदालत इस बारे में कोई अंतरिम आदेश नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि कोई भी कोर्ट आकर यह कह सकता है कि मैं बालिग हूं और आप मुझे अपने घर के बंद कमरों में कुछ भी देखने से कैसे रोक सकते हैं? यह संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है।</p>

भारत में पोर्न वेबसाइटों पर बैन लगाया जाना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्ट‍िस की राय इसी ओर इशारा करती है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में सभी पॉर्न वेबसाइट्स को ब्लॉक करने का निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इसे निजी स्वतंत्रता का मामला बताया। संविधान के अनुच्छेद- 21 के तहत लोगों को व्यक्त‍िगत आजादी हासिल है। मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने कहा कि अदालत इस बारे में कोई अंतरिम आदेश नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि कोई भी कोर्ट आकर यह कह सकता है कि मैं बालिग हूं और आप मुझे अपने घर के बंद कमरों में कुछ भी देखने से कैसे रोक सकते हैं? यह संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है।

अदालत ने इसे एक गंभीर मामला मानते हुए कहा कि इस दिशा में हमें कुछ कदम उठाने चाहिए। अदालत का कहना है कि केंद्र सरकार को पॉर्न वेबसाइटों पर बैन को लेकर अपना रुख साफ करने की जरूरत है। दत्तू ने कहा कि हमें देखना होगा कि आखिर सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी विजय पंजवनी, जो इंदौर के कमलेश वासवानी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। वासवानी ने पॉर्न साइटों पर पूरी तरह से बैन लगाने को लेकर जनहित याचिका दायर की हुई है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस बारे में विस्तृत हलफनामा सौंपने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी उसके ही पुराने रुख के अलग है जिसमें उसने कहा था कि ऐसे उत्तेजक कॉन्टेंट को ब्लॉक किया जाना चाहिए। तत्कालीन मुख्य न्यायधीश जस्टिस आरएम लोढा ने इसी जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अगस्त 2014 में ऐसे ऑनलाइन कॉन्टेंट को ब्लॉक करने के लिए सख्त कानून बनाए जाने पर सहमति जताई थी। उन्होंने टेलिकम्यूनिकेशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय व गृह मंत्रालय को इस खतरे से निपटने के लिए साझा रूप से काम करने को कहा था।

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

दुख-सुख

: बस में अश्लीलता के लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे यात्रियों को यूं नसीहत दी उस पीड़ित लड़की ने : Sanjna Gupta :...

Advertisement