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पत्रकारिता का प्रभाष युग लौटना मुश्किल… हिन्दी पत्रकारिता के अमिट सितारे थे प्रभाष जोशी…

ब्यावरा (म.प्र.) : आजादी के बाद हिन्दी पत्रकारिता को देश के चार
सम्पादकों ने नई दिशा दी थी. इनमें धर्मवीर भारती, सच्चिदानंद वात्सायन
अज्ञेय, राजेन्द्र माथुर और प्रभाष जोशी थे. कुछ मामलों में प्रभाष जी की
पत्रकारिता, उनके आदर्शो का कोई सानी नहीं था. उन्होंने हर विचारधारा से
जुड़े लोगों के विचारों को महत्व दिया. अपने साथ काम करने वाले सहयोगियों
को लिखने की खुली आजादी दी. वे अपने पत्रकार परिवार को अपना कुनबा मानकर
उन्हें अत्यधिक महत्व देते थे. कुल मिलाकर आज के दौर की तुलना की जाये तो
यह कहना उचित ही होगा कि प्रभाष युग का लौटना मुश्किल  है.
उपरोक्त विचार प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार एन.के.सिंह ने स्व प्रभाष जोशी
की पुण्य तिथि पर आयोजित एक वैचारिक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर
व्यक्त किये.

<p>ब्यावरा (म.प्र.) : आजादी के बाद हिन्दी पत्रकारिता को देश के चार<br />सम्पादकों ने नई दिशा दी थी. इनमें धर्मवीर भारती, सच्चिदानंद वात्सायन<br />अज्ञेय, राजेन्द्र माथुर और प्रभाष जोशी थे. कुछ मामलों में प्रभाष जी की<br />पत्रकारिता, उनके आदर्शो का कोई सानी नहीं था. उन्होंने हर विचारधारा से<br />जुड़े लोगों के विचारों को महत्व दिया. अपने साथ काम करने वाले सहयोगियों<br />को लिखने की खुली आजादी दी. वे अपने पत्रकार परिवार को अपना कुनबा मानकर<br />उन्हें अत्यधिक महत्व देते थे. कुल मिलाकर आज के दौर की तुलना की जाये तो<br />यह कहना उचित ही होगा कि प्रभाष युग का लौटना मुश्किल  है.<br />उपरोक्त विचार प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार एन.के.सिंह ने स्व प्रभाष जोशी<br />की पुण्य तिथि पर आयोजित एक वैचारिक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर<br />व्यक्त किये.</p>

ब्यावरा (म.प्र.) : आजादी के बाद हिन्दी पत्रकारिता को देश के चार
सम्पादकों ने नई दिशा दी थी. इनमें धर्मवीर भारती, सच्चिदानंद वात्सायन
अज्ञेय, राजेन्द्र माथुर और प्रभाष जोशी थे. कुछ मामलों में प्रभाष जी की
पत्रकारिता, उनके आदर्शो का कोई सानी नहीं था. उन्होंने हर विचारधारा से
जुड़े लोगों के विचारों को महत्व दिया. अपने साथ काम करने वाले सहयोगियों
को लिखने की खुली आजादी दी. वे अपने पत्रकार परिवार को अपना कुनबा मानकर
उन्हें अत्यधिक महत्व देते थे. कुल मिलाकर आज के दौर की तुलना की जाये तो
यह कहना उचित ही होगा कि प्रभाष युग का लौटना मुश्किल  है.
उपरोक्त विचार प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार एन.के.सिंह ने स्व प्रभाष जोशी
की पुण्य तिथि पर आयोजित एक वैचारिक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर
व्यक्त किये.

श्री सिंह ब्यावरा में श्री अंजनीलाल मंदिर धाम परिसर  पर जिला प्रेस
क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि किसी भी सम्पादक अथवा पत्रकार का मूल्यांकन उसकी धरोहर
से ही किया जा सकता है. प्रभाष जी सम्पादकों की भीड़ से अलग, अनूठे
व्यक्तित्व के धनी थे. उन्होंने अपनी टीम का चयन हर रंग के विचारों से
जुड़े प्रभावी लोगों के रुप में किया था. श्री राम बहादुर राय, मंगलेश
डबराल, श्री बनवारी जैसे नाम प्रभाष जी ने अपनी टीम में जोड़े थे.
प्रभाष जी ने सभी को खबर दी और सभी की खबर ली. वे हर परिस्थिति में डिगे
नहीं. उन्हें जो लोग विचारधारा विशेष के प्रति लगाव रखने वाला बताता था
वही बाद में उनका प्रशंसक बनकर उनके पक्ष में खड़ा होता नजर आता था. इसका
कारण यह था कि वे मूल्य आधारित पत्रकारिता पर ही ध्यान देते थे. वे किसी
भी विचारों पर असहमति व्यक्त करने वालों को भी पर्याप्त स्थान और महत्व
दिया करते थे. उन्होंने पत्रकार के साथ ही एक एक्टिविस्ट की भूमिका
निभाते हुए सूचना के अधिकार, पेड न्यूज आदि के लिये प्रभावी संघर्ष किया.

प्रभाष जोशी पत्रकार साथियों को अपने परिवार का सदस्य मानते थे. वे
उन्हें अपने कुनबे का सदस्य बताकर उनका पूरा सम्मान करते थे. प्रभाषजी का
देश के कई प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपति अथवा बड़े नौकरशाहों से व्यक्तिगत
संबंध थे. लेकिन उन्होंने अपनी पुस्तकों का विमोचन उनसे न कराते हुए
प्रख्यात पर्यावरणविद् अनुपम मिश्रा, हरिवंशजी, शशि शेखर, श्रवण गर्ग एवं
मुझसे कराया. यह मेरे लिये आश्चर्य कर देने वाली बात थी कि गुरु की
पुस्तक के विमोचन में उन्होंने शिष्य को आगे किया. जब उनसे प्रख्यात
आलोचक डा. नामवर सिंह ने पूछा तो प्रभाष जी ने बताया कि हमारे मालवा में
किसी भी मंगल कार्य के दौरान सबसे पहले अपने कुनबे को बुलाया जाता है.
मेरा कुनबा तो मेरे अपने साथी पत्रकार और सहयोगी ही है.

जिला कलेक्टर आनंद कुमार शर्मा ने कहा कि पत्रकारिता के आदर्शो पर चलने
वाला समाज में स्तुत्य होता है. प्रभाषजी ऐसी ही शख्सियत थे. श्री शर्मा
ने इस अवसर पर पत्रकारिता के धर्म को ईमानदारी से निभाने वाले नरसिंहपुर
के एक वरिष्ठ पत्रकार का स्मरण किया. उन्होंने कहा कि प्रभाष जी ने अपनी
लेखनी से हर वर्ग को कायल कर रखा था.

जिला पुलिस अधीक्षक शशिकांत शुक्ला ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में
पत्रकारिता की दिशा तो ठीक है, किंतु पत्रकारों की दशा जरुर ठीक नहीं है.
वे विपरीत परिस्थितियों में कठिन संघर्ष करते है. उन्हें कई प्रकार की
चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके वे अपनी सक्रियता समाज
में बनाये हुए है.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री नारायण गोयल ने कहा
कि प्रभाष जी के दौर में पत्रकारिता का व्यवसायीकरण नहीं हुआ था. उस समय
व्यक्ति का अपना खुद का व्यवसाय होता था और पत्रकारिता के माध्यम से समाज
की सेवा हुआ करती थी. लेकिन आज स्थिति उलट गई है. इस दौर में पत्रकारों
को अधिक परिश्रम करना पड़ रहा है.

उन्हें कई मोर्चो पर लडऩा पड़ता है. लेकिन बदले में उनकी मेहनत के अनुकूल
लाभ नहीं मिलता. श्री गोयल ने पत्रकारों से हर विषय पर अपनी पैनी निगाह
रखने की बात कही. मंच पर जिला प्रेस क्लब के ट्रस्टी प्रेम वर्मा भी
मौजूद थे. प्रारंभ में प्रेस क्लब के जिलाध्यक्ष गोविंद बड़ोने द्वारा
स्वागत भाषण देते हुए अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये. संचालन
पत्रकार सत्येन्द्र भारिल्य ने किया. आभार पत्रकार भानु ठाकुर ने माना.
अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ पत्रकार तनवीर वारसी, ओम व्यास, गोपाल
अग्रवाल, पंकज अग्रवाल, राजीव शेखर शर्मा, अभिलाष जोशी, गजराज मीणा,
नरेन्द्र जैन, राजेश गढ़वाल, रमेश मालवीय, पुरषोत्तम वैष्णव, मुकेश
नामदेव, संदीप कटारिया, गोपीलाल चौहान आदि ने किया.
इस अवसर पर एसडीएम अंजली शाह, तहसीलदार व्ही के सेन,  सीएमओ इकरार अहमद,
रिटा. प्रोफेसर के.जी.जोशी, बीइओ जे.पी. यादव, थाना प्रभारी जे.पी. राय,
मुकेश गौड़ सहित जिले भर के पत्रकारगण मौजूद थे.

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