शाम हो चली है और हम कपूरथला के रास्ते में हैं जहाँ हमें पंजाब के बहादुर सुपरिंटेंडेंट पुलिस अफ़सर के परिजनों के दुख में शरीक होने की कोशिश करनी है। सुबह से अब तक अन्य छ: मृतकों (तीन होमगार्डों और तीन अन्य नागरिकों) के परिजनों से मिलना, दो अंतिम संस्कारों में शामिल हो पाना, घायलों से अस्पताल में मिलना और उस थाने को हम लोग देख आये जिसे आतंकवादियों ने क़ब्ज़े में ले लिया था।
कुल सात मृतकों में पाँच दलित समुदाय से, एक मुस्लिम गूजर और एक अन्य है। एक एसपी साहब के अलावा सब बेहद ग़रीब परिवारों से हैं और सभी को इस नुक़सान से उबरने में मदद की ज़रूरत है। प्रेस ने कहीं इस मुस्लिम गूजर के मारे जाने को दर्ज नहीं किया। न यह कि रेलवे लाइन पर बाँधे गये बमों के बारे में भी गुज़रों ने ही अड़ोस पड़ोस और रेलवे के लाइनमैन को सूचना दी थी। थाना पाकिस्तान बार्डर पर है जो जम्मू कश्मीर से सटा है पर रात की ड्यूटी में पुरानी थ्री नाट थ्री के साथ सिर्फ होमगार्डों की ड्यूटी थी। सिर्फ दो बंदूंके कुल पाँच छ: फ़ायर करके जाम हो गईं और एके 47 से लैस आतंकवादियों ने इन ग़रीबों को बेदर्दी से मार डाला। हैंड ग्रेनेड भी पुराने थे, एक भी नहीं दगा।
समझना मुश्किल है कि दिल्ली में सीमा के बारे में लफ़्फ़ाज़ी झाड़ने वाले नेताओं की बारडर की तैयारी का नमूना यह है? फ़िलहाल यहाँ पंजाब पुलिस बहुत दमदार साहसी और सक्षम स्वरूप में मौजूद है पर उसकी सारी क्षमता वी आई पी सुरक्षा पर ख़र्च है। पंजाब में धान के खेतों में टुयबवेल नहरें और नदियाँ पानी सींच रहे हैं पर कल यहाँ निर्दोषों का ख़ून हमारे तंत्र की लापरवाही से ज़मीन लाल कर गया!
वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह के एफबी वाल से.