अमर उजाला के हिमाचल प्रदेश के 07 अक्टूबर के अंक में लीड में लगी खबर -शिमला से चोरी बेशकीमती घंटे की जांच, सीबीआई के हवाले। यह खबर 2010 में एडवांस स्टडी से चोरी हुए कीमती धातु से बने घंटे को लेकर है। इस खबर में लिखा है कि मंगलवार को शिमला हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। हकीकत यह है कि यह फैसला छह दिन पहले यानी 01 अक्तूबर का है। दैनिक भास्कर ने शिमला भास्कर के मेन पेज का बॉटम लगाया है। उसके बाद 05 अक्तूबर को हिमाचल के हमीरपुर से प्रकाशित हो रहे हिंदी दैनिक समाचार पत्र डीएनएस ने सीबीआई जांच पर संपादकीय लिखा।
हिमाचल में अमर उजाला के क्या हाल हैं, यह इसी से पता चलता है कि छह दिन पुरानी खबर को आप पेज 1 पर लगा रहे हैं, वह भी लीड। अखबारों से खबरें छूट जाती हैं। पर इसका यह मतलब नहीं कि आप उन्हें पेज 1 पर दूसरे सप्ताह में लीड ही लगा दें। अमर उजाला के अलावा पंजाब केसरी, दिव्य हिमाचल और हिमाचल दस्तक ने भी यह खबर लगाई, पर इन अखबारों ने दो कालम से ज्यादा नहीं ली। हुआ यूं होगा कि पांच दिन पहले की खबर जब इन लोगों को पता चली तो इन अखबारों के पत्रकारों ने एक-दूसरे का बांट दी। छह दिन पुरानी इस खबर को अमर उजाला वाले लीड लगा बैठे। इसे डेस्क प्रभारियों की नालायकी ही कहेंगे कि वे छह दिन पहले दैनिक भास्कर जैसे अखबार के हिमाचल मेन पेज पर छपी खबर को ही भूल गए। दरअसल हिमाचल के संपादक गिरीश चंद्र गुरुरानी और उनके साथ डेस्क प्रभारी रहे दविंद्र सिंह गुलेरिया जब से अमर उजाला छोड़कर गए हैं, हिमाचल में अमर उजाला के हाल ही खराब हो गए हैं। ये दोनों लगभग सात साल तक एक साथ अमर उजाला में रहे। इसी टीम के बल पर अमर उजाला शिमला शहर में 19 हजार का सुर्कलेशन आंकड़ा पार कर गया था। इन लोगों के समय अमर उजाला ने हिमाचल में सर्कुलेशन में 1 लाख 22 हजार का कीर्तिमान स्थापित किया था। गिरीश चंद्र गुरुरानी, एस राजेन टोडरिया और राघवेंद्र नारायण मिश्र जैसे धाकड़ लोगों के समय हिमाचल में नंबर वन बना अमर उजाला अब हिमाचल में ढलान पर है। कभी भी कुछ भी छापा जा रहा है।