सबको मालूम था कि राकेश शर्मा बिना बेइज्जती के उत्तराखंड से टलने वाले नहीं हैं और वही हुआ। उत्तराखंड सरकार द्वारा अवैध तरीके से की गई मुख्य सचिव के पद पर राकेश शर्मा की पुनर्नियुक्ति को केन्द्र सरकार ने नकार दिया। हरीश रावत द्वारा राकेश शर्मा को पुनर्नियुक्ति दिए जाने पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने कड़ा रूख अपनाते हुए इनको हटाने के निर्देश दिए। देश में यह पहला मामला है जब किसी सरकार ने इस तरह से सीएस की पोस्ट पर अवैध नियुक्ति की। सेवा विस्तार के लिए राकेश शर्मा की फाइल दो महीने से केन्द्र सरकार में टहल रही थी। शर्मा को मालूम पड़ गया था कि उनका सेवा विस्तार होने वाला नहीं है। इसकी वजह केन्द्र सरकार के कानों में राकेश शर्मा के काले कारनामें रहे।
आपदा के समय इन्हीं राकेश शर्मा ने दो दिन देहरादून में रहने के बावजूद नरेन्द्र मोदी को केदारघाटी जाने नहीं दिया। राकेश शर्मा उस समय प्रमुख सचिव आपदा और नागरिक उडडयन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे थे। इसके अलावा राकेश शर्मा का नाम तमाम घोटालों में भी आता रहा। केन्द्र सरकार को इनके बारे में सारी जानकारी थी। शर्मा ने अपने आभामंडल के जरिये हरीश रावत को अपना मुरीद बना रखा था। सारे महत्वपूर्ण फैसले शर्मा ही करते थे।
पुनर्नियुक्ति के समय हरीश रावत ने मीडिया को बताया था कि अर्धकुंभ, आपदा पुनर्निमाण जैसे कार्य राकेश शर्मा ही कर सकते हैं। इसीलिए इनकी पुनर्नियुक्ति की जा रही है। उनका साफ संदेश था कि दूसरे आइएएस इस काम को नहीं कर सकते। खास बात ये थी कि राकेश शर्मा की पुनर्नियुक्ति के मामले में उत्तराखंड भाजपा और नेता प्रतिपक्ष अपने मुंह सिले रहे। राकेश शर्मा के मामले में हरीश रावत की भी किरकिरी हुई है। इस पूरे प्रकरण से राकेश शर्मा के समर्थित पत्रकारों के चेहरे उतर गए हैं। अब अगर केन्द्र सरकार द्वारा शर्मा की पुनर्नियुक्ति को अवैध करार दिए जाने के बाद भी हरीश रावत द्वारा उन्हें नहीं हटाया जाता है तो यह टकराव शर्मा के लिए नई मुसीबत बन सकता है।
अपने भ्रष्ट कुकर्मों को लेकर कुख्यात राकेश शर्मा लगता है अब अपने ही बुने जाल में फंसने लगे हैं। भ्रष्ट नेताओं के साथ उनका यह याराना अब उनकी फजीहत का कारण बन रहा है। हरीश रावत को गांठकर तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए चाटुकार-दलाल मीडियाजनों के मुंह पर टुकड़े फेंकने में माहिर राकेश शर्मा पहले तो मुख्य सचिव बनने में कामयाब रहे और फिर जिस तरह से रिटायरमेंट के बाद सीएस की कैडर पोस्ट पर अपनी पुनर्नियुक्ति का खेल करवाया, वह बताता है कि इस राज्य में किस तरह भ्रष्टों, दलालों, और महाचोरों का नंगा खेल चल रहा है। हरीश रावत के साथ ही विपक्षी भाजपा भी शर्मा के इस खेल में पूरी नंगई के साथ खड़ी है। इस राज्य को भ्रष्टों, लूटखोरों की शरणस्थली बनाने में अहम रोल अदा करने वाले शर्मा और उसके सियासी आकाओं की असल जगह तो जेल होनी चाहिए।
उत्तराखंड के पत्रकार द्वय विमल दीक्षित और दीपक आजाद के फेसबुक वॉल से.