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राकेश शर्मा जैसा नौकरशाह इमानदार है तो बेइमान कौन होते हैं!

Deepak Azad : भाई लोगों, आपके लिए राकेश शर्मा जैसे नौकरशाह अगर ईमानदार हैं तो बेइमान कौंन होते हैं जरा इस पर भी प्रवचन करोगें तो उत्तराखंड के लोगों और देश के दूसरे हिस्से में निवास करने वालों को भी कुछ ज्ञान मिल सकेगा। यह शुद्व रूप से उत्तराखंड के सरोकारों से जुडा एक राजनीतिक व सामजिक कर्म है, जिसका ध्येय शर्मा जैसे नौकरशाहों और उनके राजनीतिक आकाओं को यह बताना है कि भाई इस राज्य में इस तरह की अंधेरगर्दी लम्बे समय तक नहीं चल सकती। और, अगर ऐसा ही भ्रष्टाचार, कुशासन और माफिया संस्कृति इसी तरह फलती रही तो यह राज्य एक नए सकंटों में फंस जाएगा।

<p>Deepak Azad : भाई लोगों, आपके लिए राकेश शर्मा जैसे नौकरशाह अगर ईमानदार हैं तो बेइमान कौंन होते हैं जरा इस पर भी प्रवचन करोगें तो उत्तराखंड के लोगों और देश के दूसरे हिस्से में निवास करने वालों को भी कुछ ज्ञान मिल सकेगा। यह शुद्व रूप से उत्तराखंड के सरोकारों से जुडा एक राजनीतिक व सामजिक कर्म है, जिसका ध्येय शर्मा जैसे नौकरशाहों और उनके राजनीतिक आकाओं को यह बताना है कि भाई इस राज्य में इस तरह की अंधेरगर्दी लम्बे समय तक नहीं चल सकती। और, अगर ऐसा ही भ्रष्टाचार, कुशासन और माफिया संस्कृति इसी तरह फलती रही तो यह राज्य एक नए सकंटों में फंस जाएगा।</p>

Deepak Azad : भाई लोगों, आपके लिए राकेश शर्मा जैसे नौकरशाह अगर ईमानदार हैं तो बेइमान कौंन होते हैं जरा इस पर भी प्रवचन करोगें तो उत्तराखंड के लोगों और देश के दूसरे हिस्से में निवास करने वालों को भी कुछ ज्ञान मिल सकेगा। यह शुद्व रूप से उत्तराखंड के सरोकारों से जुडा एक राजनीतिक व सामजिक कर्म है, जिसका ध्येय शर्मा जैसे नौकरशाहों और उनके राजनीतिक आकाओं को यह बताना है कि भाई इस राज्य में इस तरह की अंधेरगर्दी लम्बे समय तक नहीं चल सकती। और, अगर ऐसा ही भ्रष्टाचार, कुशासन और माफिया संस्कृति इसी तरह फलती रही तो यह राज्य एक नए सकंटों में फंस जाएगा।

सवाल केवल राकेश शर्मा का भी नहीं है, इस राज्य में पिछले डेढ दशक में इसको लूटने खसोटने वालों की एक लम्बी जमात है, जो नौकरशाही से लेकर राजनीति तक और मीडिया तक पसरी पडी है। इस कैंपेन का लक्ष्य भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को लोकायुक्त की नियुक्ति तक ले जाना है। इस राज्य में पिछले दो साल से लोकायुक्त नहीं है, आखिर क्यों? अगर भाई आप लोगों को उत्तराखंड में सबकुछ ईमानदारी से चलता हुआ ही दिख रहा है तो हम यकीन के साथ कहें सकते हैं कि उत्तराखंड से बाहर बैठक जो आप ईमानदारी को प्रमाण पत्र बांटते फिर रहे हैं तो आप भी उसी बीमारी से ग्रसित मानसिकता के उत्पादक हैं जो हमारे समाज को खोखला कर रही है।

उत्तराखंड के पत्रकार दीपक आजाद के फेसबुक वॉल से.

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