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एक खास धार्मिक समुदाय की सकल जनसंख्या विकास दर 24 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत से भी 7 फीसद ज्यादा है

Sanjay Tiwari : बहुत आसानी से एक राष्ट्रीय समस्या का सरलीकरण कर लिया गया. जनसंख्या वृद्धि पर रोना अलग तरह की आधुनिकता है लेकिन जैसे ही धार्मिक आधार पर उसका नतीजा सामने आया हमने इसे जायज ठहरा दिया. पूरे मामले को हिन्दू मुसलमान बना दिया. क्या इस शुतरमुर्गी रवैये से समस्या का समाधान हो जाएगा? देश की राष्ट्रीय जनसंख्या विकास दर 17 फीसद है. जबकि एक खास धार्मिक समुदाय की सकल जनसंख्या विकास दर 24 प्रतिशत है. राष्ट्रीय औसत से भी 7 फीसद ज्यादा.

<p>Sanjay Tiwari : बहुत आसानी से एक राष्ट्रीय समस्या का सरलीकरण कर लिया गया. जनसंख्या वृद्धि पर रोना अलग तरह की आधुनिकता है लेकिन जैसे ही धार्मिक आधार पर उसका नतीजा सामने आया हमने इसे जायज ठहरा दिया. पूरे मामले को हिन्दू मुसलमान बना दिया. क्या इस शुतरमुर्गी रवैये से समस्या का समाधान हो जाएगा? देश की राष्ट्रीय जनसंख्या विकास दर 17 फीसद है. जबकि एक खास धार्मिक समुदाय की सकल जनसंख्या विकास दर 24 प्रतिशत है. राष्ट्रीय औसत से भी 7 फीसद ज्यादा.</p>

Sanjay Tiwari : बहुत आसानी से एक राष्ट्रीय समस्या का सरलीकरण कर लिया गया. जनसंख्या वृद्धि पर रोना अलग तरह की आधुनिकता है लेकिन जैसे ही धार्मिक आधार पर उसका नतीजा सामने आया हमने इसे जायज ठहरा दिया. पूरे मामले को हिन्दू मुसलमान बना दिया. क्या इस शुतरमुर्गी रवैये से समस्या का समाधान हो जाएगा? देश की राष्ट्रीय जनसंख्या विकास दर 17 फीसद है. जबकि एक खास धार्मिक समुदाय की सकल जनसंख्या विकास दर 24 प्रतिशत है. राष्ट्रीय औसत से भी 7 फीसद ज्यादा.

हालांकि यह बीते दशक (1991-2001) के 29.52 फीसद के मुकाबले नीचे आया है लेकिन अभी भी राष्ट्रीय औसत से बहुत ज्यादा है. उम्मीद करनी चाहिए कि बिना “पेट्रोल” और “आग” की चिन्ता किये इस दशक में भी यह सुधार जारी रहेगा ताकि अगली दफा जब आंकड़ा आये तो मामले को हिन्दू मुसलमान होने का मौका न मिल पाये. बढ़ती जनसंख्या सबकी समस्या है. रोटी पानी मजहब पूछकर पेट नहीं भरते. और इनकी वृद्धिदर जनसंख्या वृद्धिदर के हिसाब से नहीं बढ़नेवाली.

वेब जर्नलिस्ट संजय तिवारी के फेसबुक वॉल से.

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