कठुआ, उन्नाव और सूरत में हुई बलात्कार की वीभत्स घटनाओं के अलावा देश भर के कई अलग -अलग कोनों से दिल दहला देने वाले बलात्कार के समाचार आ रहे हैं. इन घटनाओं पर सरकारी चुप्पी और मीडिया की घोर असंवेदनशीलता का विरोध करने के लिए रांची में 21 अप्रैल को एक सैंडल मार्च का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में झारखंड के आईसा, एपवा, डीवाईएफआई, एआईपीएफ, एस एफ आई, ए आई एस एफ, आदिवासी युवा मोर्चा, झारखंड निर्माण मजदूर , यूनाईटेड मिली फोरम, जेआईडीएफ सहित कई महिला व युवा संगठनों ने भागीदारी की.
इस कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए इस मार्च के संदर्भ में कहा गया कि देश में पहले छात्राओं पर हमला हुआ, फिर मुस्लिमों पर, उसके बाद किसानों पर हमला हुआ अब औरतों और बच्चियों पर हमला हो रहा है.. हम कहां जा रहे है! विज्ञप्ति में आगे लिखा गया कि सरकार अपने संवेदनहीन रवैये से बाज नहीं आती है तो ‘बेटी बचाओ, बेटी बढाओ’ योजना, ‘महिला सशक्तिकरण’ योजना, ‘फास्ट ट्रक कोर्ट’, ‘निभया फंड’ जैसी कई सरकारी योजना धरी की धरी रह जाएंगी. इस प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया कि बेटियों को बलात्कारियों से बचाओं.
सैंडल मार्च कार्यक्रम में रांची के सैकड़ों रहिवासियों ने भाग लिया और सरकार के संवेदनहीन रवैए के प्रति आक्रोश व्यक्त किया. इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि झारखंड समेत कठुआ, उन्नाव, सूरत और दिल्ली समेत देशभर में हो रहे बलात्कार एवं बढ़ती हिंसा में बच्चियों तक को नहीं बख्शा जा रहा है. इस तरह की घटनाओं में पुलिस वाले भी संलिप्त पाए जा रहे हैं. पुलिस की इस तरह की हरकत से समाज के असामाजिक तबके के लोगों का मनोबल भी बढ़ता जा रहा है. देश के कोने कोने में बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं और देश चुप है. वक्ताओं ने आगे कहा कि बच्चियों के साथ निरंतर रेप की घटनाओं ने पुरे देश की मानसिकता पर सवाल खड़ा किया
है. यही नहीं यह घटनाएं बेटी के प्रति समाज की सोच को भी दर्शाती हैं. ऐसे में लगातार हो रही इन बलात्कार और हत्या की घटनाओं से औरतें मर्माहत हैं. इसी के चलते झारखण्ड की औरतों ने सड़क पर उतर कर अपना ग़ुस्सा का इजहार किया.
गौरतलब है कि देश के 21 राज्यों में 12 से भी कम उम्र की बच्चियां हाल ही में बलात्कार का शिकार हुई. झारखण्ड में तो एक महीने में नौ बच्चिओं के साथ रेप हुआ साथ ही 24 जिलों में लड़कियों पर हमले भी हुए.
ऐसे में इस सैंडल मार्च द्वारा आयोजकों ने लोगों और सरकार के सामने कुछ मांगे रखी –
• पोस्को कानून के तहत फांसी की सजा हो.
• बलात्कार के ख़िलाफ़ कड़े कानून बनाने और उन्हें कड़ाई से लागू करो.
• बलात्कारियों को संरक्षण देना बंद करो.
• अधिक महिला पुलिस स्टेशन स्थापित करो.
• महिला हिंसा कानून को सख्ती से लागू करो.
• महिला अपराधों से निपटने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट को नियमित करो.
• निभया फंड लागू करो और पीड़ित परिवार को मदद करो.
• झारखण्ड में महिला नीति आयोग की स्थापना हो.
• जस्टिस वर्मा की सिफारिशों को देशभर में अबिलंब लागू करो.
• सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों ,स्कूल-कॉलेज, यूनिवर्सिटी और बैंकों में महिला सुलभ शौचालय मुहैया करवाए जाएं.
• हर पुलिस स्टेशन में पुलिस के लिए काउंसिलिंग सेंटर बनाया जाए.
• बजट को लिंग के आधार पर डिजाइन किया जाए.
रांची से विशद कुमार की रिपोर्ट.
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