मुंबई, 25 अगस्त। ‘संथारा’ के मामले में मुसलमान भी जैन समाज के साथ एकजुट हुए हैं। मुस्लिम समुदाय की विभिन्न संस्थाओं से जुड़े मुसलमानों ने गच्छाधिपति आचार्य धर्मधुरंधर सूरीश्वरजी महाराज के सान्निध्य में आयोजित प्रदर्शन में भायंदर में बड़ी संख्या में जैन समाज के साथ मिलकर कोर्ट द्वारा ‘संथारा’ को आत्महत्या करार दिए जाने का विरोध किया। पिछले कई सालों में यह पहला मौका है, जब जैन धर्म के बिल्कुल व्यक्तिगत मामले में मुसलमानों ने भी इस तरह से खुलकर दिया है।
विख्यात जैन संत गच्छाधिपति आचार्य धर्मधुरंधर सूरीश्वरजी महाराज एवं मुनि रिषभविजय महाराज की अगुवाई में भायंदर में हजारों लोगों ने संथारा पर कोर्ट के फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में नगरसेवक आसिफ शेख एवं एजाज अहमद सहित मुस्लिम समुदाय की विभिन्न संस्थाओं से जुड़े करीब ढाई सौ से भी ज्यादा लोगों ने जैन समाज के साथ जुड़कर कोर्ट के फैसले का विरोध में सड़कों पर उतरे। मुसलमान युवकों ने काली पट्टी बांधी और हाथ में जैन धर्म के ध्वज लेकर रास्ते भर जैन संतों के साथ चलते हुए जैन धर्म की जय जयकार के नारे बुलंद करते रहे। इससे पहले कई मुस्लिम युवाओं ने गच्छाधिपति आचार्य धर्मधुरंधर सूरीश्वरजी महाराज को पवित्र कुरान भेंट की एवं उनसे आशीर्वाद लिया। मुसलिम समाज द्वारा जैन समाज के समर्थन में इस तरह मजबूती से खड़े होकर धार्मिक मामलों में सहयोग के इस अभूतपूर्व उदाहरण को भायंदर में सामाजिक सामंजस्य के बेहतरीन माहौल के रूप में देखा रहा है। जैन धर्म में ‘संथारा’ को अति पवित्र परंपरा बताते हुए राजेश पुनमिया ने कहा कि धर्म के मामले में कानून का हस्तक्षेप उचित नहीं है। कोर्ट के इस फेसले पर पुनर्विचार होना चाहिए। युवा समाजसेवी मोती सेमलानी ने कहा कि जैन धर्म में ‘संथारा’ आत्मा के कल्याण की दिशा में आगे बढ़ने की परंपरा है, इसमें कानून का दखल बर्दाश्त नहीं होगा। मुस्लिम समाज के लोगों ने ‘संथारा’ को जैन धर्म की परंपरागत धार्मिक व्यवस्था बताते हुए इसके मामले में कानूनी दखल का विरोध किया है।
‘संथारा’ के मामले में विरोध प्रदर्शन में विजय राठोड़ सेवाड़ी, रमेश बाफना, राजेश श्रीश्रीमाल, भेरूलाल जैन, नगरसेवक सुरेश खंडेलवाल, नगरसेवक ध्रुव किशोर पाटिल सहित राजेश पुनमिया, मोती सेमलानी व जीतू सुराणा तथा भंवरलाल मेहता का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। इस विरोध प्रदर्शन में जैन समाज के साथ बड़ी संख्या में मुसलमानों ने भी हिस्सा लेकर प्राचीन जैन धार्मिक परंपरा ‘संथारा’ को राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा आत्महत्या करार दिए जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट के मुताबिक आइपीसी की धारा 306 व 309 के तहत ‘संथारा’ आत्महत्या है। अगर कोई संथारा स्वीकार करता है, तो उसे आत्म हत्या मानकर संथारा लेने में सहयोग करनेवालों पर भी आत्महत्या के लिए प्रोरित करने का मुकदमा चलेगा।