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डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘मुज़फ़्फ़रनगर बाक़ी है’ की एक साथ 22 राज्यों के 50 शहरों में स्क्रीनिंग

फैजाबाद : जन सिनेमा के फिल्मकार शुभ्रदीप चक्रवर्ती की पुण्यतिथि पर तरंग सिनेमा हॉल में डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘मुज़फ़्फ़रनगर बाक़ी है’ की स्क्रीनिंग की गई। इस मौके पर सैकड़ों लोगों ने एक साथ इस फिल्म को देख सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ प्रतिरोध दर्ज किया। बताते चलें कि शुभ्रदीप फैजाबाद के ही रहने वाले थे। नकुल साहनी की फिल्म ‘’मुज़फ़्फ़र नगर बाक़ी है’’  दो साल पहले वहां हुए दंगों की पड़ताल करते हुए यह सच सामने लाती है कि किस तरह राजनीतिक दलों ने वोट की रोटी सेंकने के लिए लोगों की खून-खराबे की राजनीति की और समाज में आग लगाकर मासूमों को मरने के लिए छोड़ दिया।

<p>फैजाबाद : जन सिनेमा के फिल्मकार शुभ्रदीप चक्रवर्ती की पुण्यतिथि पर तरंग सिनेमा हॉल में डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘मुज़फ़्फ़रनगर बाक़ी है’ की स्क्रीनिंग की गई। इस मौके पर सैकड़ों लोगों ने एक साथ इस फिल्म को देख सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ प्रतिरोध दर्ज किया। बताते चलें कि शुभ्रदीप फैजाबाद के ही रहने वाले थे। नकुल साहनी की फिल्म ‘’मुज़फ़्फ़र नगर बाक़ी है’’  दो साल पहले वहां हुए दंगों की पड़ताल करते हुए यह सच सामने लाती है कि किस तरह राजनीतिक दलों ने वोट की रोटी सेंकने के लिए लोगों की खून-खराबे की राजनीति की और समाज में आग लगाकर मासूमों को मरने के लिए छोड़ दिया।</p>

फैजाबाद : जन सिनेमा के फिल्मकार शुभ्रदीप चक्रवर्ती की पुण्यतिथि पर तरंग सिनेमा हॉल में डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘मुज़फ़्फ़रनगर बाक़ी है’ की स्क्रीनिंग की गई। इस मौके पर सैकड़ों लोगों ने एक साथ इस फिल्म को देख सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ प्रतिरोध दर्ज किया। बताते चलें कि शुभ्रदीप फैजाबाद के ही रहने वाले थे। नकुल साहनी की फिल्म ‘’मुज़फ़्फ़र नगर बाक़ी है’’  दो साल पहले वहां हुए दंगों की पड़ताल करते हुए यह सच सामने लाती है कि किस तरह राजनीतिक दलों ने वोट की रोटी सेंकने के लिए लोगों की खून-खराबे की राजनीति की और समाज में आग लगाकर मासूमों को मरने के लिए छोड़ दिया।

गौरतलब है कि यह फिल्म सिर्फ फ़ैज़ाबाद में ही नहीं बल्कि देश भर के 22 राज्‍यों के 50 शहरों में आठ हजार से ज्‍यादा लोगों ने एक ही दि‍न में ये फि‍ल्‍म 55 स्क्रीनों पर देखी। शहर में इस फिल्म का प्रदर्शन सामाजिक संस्था जनमंच ने किया। फि‍ल्‍म देखने पहुंचे सपा जि‍लाध्‍यक्ष जयशंकर पाण्‍डेय ने कहा कि सांप्रदायि‍क शक्‍ति‍यों के खि‍लाफ सबको मि‍लजुलकर लड़ने की जरूरत है। कार्यक्रम के संयोजक दिनेश सिंह ने कहा कि यह फिल्म समाज को बांटने की फासीवादी राजनीति करने वाले नेताओं के मुहं पर तमांचा है। आफाक उल्‍लाह ने कहा कि फिरकापरस्त हमेशा सच से डरते आए हैं लेकिन सच न तो किसी से डरता है और न ही मरता है। राहुल पाण्डेय ने कहा कि हमारी गंगा जमुना तहज़ीब को फिरकापरस्तों ने हमेशा तोड़ने की कोशिश की लेकिन ये हमारी ज़िद है कि हम उनकी नापाक कोशिशों को कामयाब नहीं होने देते। इस मौके पर राम जी राम यादव, सत्यभान जनवादी, सौमित्र मिश्रा, कमलेश श्रीवास्तव, गुफरान सिद्दीकी आदि शामिल रहे।

प्रेस विज्ञप्ति

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