Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रदेश

छत्‍तीसगढ़ में शिक्षा के हालात बदहाल, केंद्र और राज्य स्तर पर हुए सर्वे में हुआ खुलासा

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सालाना पांच हजार करोड़ रुपए का खर्च करने के बाद भी यहां की शिक्षा व्यवस्था बदहाल स्थिति में है। हालात यह हैं कि छठवीं के विद्यार्थी को तीसरी कक्षा का का भी ज्ञान नहीं और आठवीं कक्षा का विद्यार्थी पांचवीं की किताब भी नहीं पढ़ सकता। यह कहना है कि राज्य के मुख्य सचिव विवेक ढांड का जोकि शिक्षा गुणवत्ता अभियान की शुरुआत में सरकार की तरफ से जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्कूलों की दुदर्शा पर जाएं तो इसे सुधारने में सौ साल लग जाएंगे।

<p><strong>रायपुर:</strong> छत्तीसगढ़ में सालाना पांच हजार करोड़ रुपए का खर्च करने के बाद भी यहां की शिक्षा व्यवस्था बदहाल स्थिति में है। हालात यह हैं कि छठवीं के विद्यार्थी को तीसरी कक्षा का का भी ज्ञान नहीं और आठवीं कक्षा का विद्यार्थी पांचवीं की किताब भी नहीं पढ़ सकता। यह कहना है कि राज्य के मुख्य सचिव विवेक ढांड का जोकि शिक्षा गुणवत्ता अभियान की शुरुआत में सरकार की तरफ से जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्कूलों की दुदर्शा पर जाएं तो इसे सुधारने में सौ साल लग जाएंगे।</p>

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सालाना पांच हजार करोड़ रुपए का खर्च करने के बाद भी यहां की शिक्षा व्यवस्था बदहाल स्थिति में है। हालात यह हैं कि छठवीं के विद्यार्थी को तीसरी कक्षा का का भी ज्ञान नहीं और आठवीं कक्षा का विद्यार्थी पांचवीं की किताब भी नहीं पढ़ सकता। यह कहना है कि राज्य के मुख्य सचिव विवेक ढांड का जोकि शिक्षा गुणवत्ता अभियान की शुरुआत में सरकार की तरफ से जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्कूलों की दुदर्शा पर जाएं तो इसे सुधारने में सौ साल लग जाएंगे।

छत्तीसगढ़ में शिक्षा के इस हालात को उन्होंने केंद्र और राज्य स्तर पर हुए सर्वे के हवाले से बताया। उन्होंने कहा कि सालों से हजारों करोड़ रुपए खर्च हुए लेकिन शिक्षा के स्तर में वह सुधार नहीं हुआ जो होना चाहिए था। मुख्य सचिव के इस कबूलनामे की वजह यह भी है कि हाल ही में पंचायतों और वार्डों के जरिए जो सर्वे करवाए गए, उनमें भी ज्यादातर स्कूल सी और डी ग्रेड के निकले। यह सरकार द्वारा ही सर्वे का नतीजा है। 43 हजार 529 स्कूलों में सर्वे कराया गया, जिनमें करीब 16 हजार स्कूल सी और डी ग्रेड के निकले। इस दौरान मुख्य सचिव ने ये भी कहा कि कार्यक्रम के दौरान कोई भी अधिकारी संसाधनों की लिस्ट बनाकर सरकार को नहीं दे और ना ही संसाधनों का रोना रोए। जो संसाधन स्कूलों में है उसी से काम चलाया जाए। क्योंकि संसाधन पूरा करने में सौ साल लग जाएंगे। मुख्य सचिव विवेक ढांड ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि वह पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के केरल स्थित रामेश्वरम गांव गये थे। वहां उन्होंने उनके स्कूल की हालत देखी है। कलाम साहब भी अगर स्कूल की दशा-दिशा पर ध्यान देते तो शायद वो देश के राष्ट्रपति नहीं बन पाते। मुख्यमंत्री ने भी इसी बात को दोहराते हुए कहा कि हम सभी नेता और अधिकारी भी सरकारी स्कूलों से पढ़कर निकले हैं। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि स्कूलों में परीक्षा खत्म कर दी गई, इसलिए बच्चे पढ़ नहीं रहे। उन्होंने यह बात मुख्य सचिव विवेक ढांड द्वारा स्कूलों के बदहाल स्थिति वाले बयान के बाद कही। उन्होंने कहा कि स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए ही डा. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवक्ता अभियान की शुरुआत की जा रही है। अभियान के तहत सभी को मूल्यांकन के लिए 100 सवालों और मुद्दों से जुड़ा एक फॉर्मेट दिया गया है, जिसके जरिए ही स्कूलों की ग्रेडिंग में सुधार लाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने जन-प्रतिनिधि और अधिकारियों का आह्वान किया कि वे भावी पीढ़ी के शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए अपना अमूल्य और सक्रिय योगदान दें। उन्होंने कहा कि यह अभियान शिक्षा के लिए सामाजिक गतिशीलता की अवधारणा पर आधारित है।

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

दुख-सुख

: बस में अश्लीलता के लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे यात्रियों को यूं नसीहत दी उस पीड़ित लड़की ने : Sanjna Gupta :...

Advertisement