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दुख-सुख

भूख हड़ताल पर बैठे ब्रिजस्टोन मज़दूरों के टेंट पर पुलिस ने चढ़ाया बुलडोज़र (देखें तस्वीरें)

मानेसर, गुड़गाँव। अपने हक़-अधिकारों के लिए एक महीने से लड़ रहे मानेसर की ब्रिजस्टोन फैक्ट्री के मज़दूरों पर पुलिस ने बुलडोजर चढ़ाकर क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे मज़दूरों को धरनास्थल से भगाने की कोशिश की। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री कान्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन के अनंत ने कहा कि यह सब फैक्ट्री प्रबंध्न के ईशारे पर हुआ है, प्रबंधन लम्बे समय से मज़दूरों को पुलिस द्वारा धमका कर यह हड़ताल ख़त्म करवाना चाहता है और कल क्रमिक भूख हड़ताल के पहले ही दिन मैनेजमेंट के ईशारे पर पुलिस ने शांतिपूर्वक हड़ताल पर बैठे मज़दूरों पर बुलडोज़र चला दिया। प्रबंधन की इस चाल का पूरे सेक्टर के मज़दूर एकजुट होकर जवाब देंगे क्योंकि यही हालत ऑटोमोबाइल सेक्टर के काम कर रहे हर मज़दूर की है। चाहे फिर मारुती में काम करने वाले मज़दूरों पर लाठीचार्ज की घटना हो या ब्रिजस्टोन के मज़दूरों को गैर कानूनी तरीके के काम से निकाल कर उनका दमन। इस पूरे सेक्टर के मज़दूरों की हालत एक जैसी है।

मानेसर, गुड़गाँव। अपने हक़-अधिकारों के लिए एक महीने से लड़ रहे मानेसर की ब्रिजस्टोन फैक्ट्री के मज़दूरों पर पुलिस ने बुलडोजर चढ़ाकर क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे मज़दूरों को धरनास्थल से भगाने की कोशिश की। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री कान्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन के अनंत ने कहा कि यह सब फैक्ट्री प्रबंध्न के ईशारे पर हुआ है, प्रबंधन लम्बे समय से मज़दूरों को पुलिस द्वारा धमका कर यह हड़ताल ख़त्म करवाना चाहता है और कल क्रमिक भूख हड़ताल के पहले ही दिन मैनेजमेंट के ईशारे पर पुलिस ने शांतिपूर्वक हड़ताल पर बैठे मज़दूरों पर बुलडोज़र चला दिया। प्रबंधन की इस चाल का पूरे सेक्टर के मज़दूर एकजुट होकर जवाब देंगे क्योंकि यही हालत ऑटोमोबाइल सेक्टर के काम कर रहे हर मज़दूर की है। चाहे फिर मारुती में काम करने वाले मज़दूरों पर लाठीचार्ज की घटना हो या ब्रिजस्टोन के मज़दूरों को गैर कानूनी तरीके के काम से निकाल कर उनका दमन। इस पूरे सेक्टर के मज़दूरों की हालत एक जैसी है।

मानेसर की ब्रिजस्टोन फैक्ट्री के मज़दूर 18 सितम्बर को फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा गैर कानूनी तरीके से निकाले जाने के बाद से फैक्ट्री के बाहर बैठ कर प्रबंधन और प्रशासन के खि़लाफ़ धरना कर रहे थे। ब्रिजस्टोन के मज़दूरों का कहना है कि वह अपनी यूनियन को पंजीकृत करवाना चाहते थे मगर फैक्ट्री प्रबंधन को यह नामंजूर था। मजदूरों की यूनियन को पंजीकृत होने से रोकने के लिए फैक्ट्री प्रबंधन ने सब प्रयास किये और नाकामयाब होने की सूरत में मज़दूरों को डराने के लिए प्रबंधन ने सितम्बर के पहले हफ्ते में 20 स्थायी मजदूरों को काम से बिना किसी वजह के निकाल दिया। इसके बावजूद भी मज़दूरों ने हार नहीं मानी और अपने साथियों को काम से निकाले जाने का विरोध करने के लिए 17 सितम्बर की सुबह टूल डाउन करने का फैसला किया जिसके लिए उनके पास कोर्ट से आर्डर भी था।

लेकिन 18 सितम्बर की सुबह प्रबंधन ने मजदूरों के पहुँचने से पहले ही पुलिस और गुंडों को फैक्ट्री गेट पर तैनात किया हुआ था। जब मज़दूरों ने फैक्ट्री में प्रवेश करने की कोशिश की तो पुलिस और गुंडों ने उनके साथ मार पीट कर के उन्हें वहां से भगा दिया और कुछ मजदूरों को जबरन फैक्ट्री के भीतर ले गए। इसके बाद प्रबंधन ने गैर कानूनी तरीके से 400 मजदूरों को काम से निकाल दिया। इसके बाद ब्रिजस्टोन के सभी मज़दूर फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा की गयी इस बर्बरता के ख़िलाफ़ श्रम विभाग भी गए और साथ ही फैक्ट्री के बाहर हड़ताल पर बैठ गए। मजदूरों की माँग है कि सभी निकाले गए मज़दूरों को काम पर रखा जाए। अपनी इस माँग को लेकर मजदूर पिछले एक महीने से संघर्ष कर रहे है। 17 अक्टूबर को मज़दूरों ने अपनी क्रमिक भूख हड़ताल की शुरुआत की। लेकिन मजदूरों की हड़ताल से घबराये पफैक्ट्री प्रबंधन ने पुलिस को भिजवा कर शान्ति पूर्वक हड़ताल पर बैठे मज़दूरों पर बुलड़ोजर चढ़वा दिया और उनके तम्बू को वहां से उखड़वा दिया। पुलिस लगातार मज़दूरों को डरा धमका कर वहां से भाग जाने को कह रही है मगर मज़दूर पुलिस की धमकियों और गुंडों का बहादुरी से सामना करते हुए अभी भी डटे हुए है। तस्वीरें देखने के लिए नीचे लिखे Next पर क्लिक करें>>

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