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केंद्र सरकार शुरू करे चौबीस घंटे का सिंधी न्यूज चैनल, मामला हाईकोर्ट पहुंचा, मंत्रालय से जवाब मांगा

सिंधी समुदाय के लिए चौबीस घंटे का सिंधी भाषा का न्यूज चैनल शुरू करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता एनजीओ सिंधी संगत का दावा है कि सिंधी समुदाय देश में भाषाई अल्पसंख्यक हैं। ऐसे में अदालत दूरदर्शन को यह निर्देश जारी करे की वह सिंधी न्यूज चैनल शुरू करें। न्यायमूर्ति वीपी वैश की खंडपीठ ने मामले में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय व दूरदर्शन से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी 2016 को होगी। एनजीओ का दावा है कि वह पांच हजार पुराने सिंधी भाषा व संस्कृति को बचाने व प्रसार करने के लिए काम कर रही है।

<p>सिंधी समुदाय के लिए चौबीस घंटे का सिंधी भाषा का न्यूज चैनल शुरू करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता एनजीओ सिंधी संगत का दावा है कि सिंधी समुदाय देश में भाषाई अल्पसंख्यक हैं। ऐसे में अदालत दूरदर्शन को यह निर्देश जारी करे की वह सिंधी न्यूज चैनल शुरू करें। न्यायमूर्ति वीपी वैश की खंडपीठ ने मामले में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय व दूरदर्शन से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी 2016 को होगी। एनजीओ का दावा है कि वह पांच हजार पुराने सिंधी भाषा व संस्कृति को बचाने व प्रसार करने के लिए काम कर रही है।</p>

सिंधी समुदाय के लिए चौबीस घंटे का सिंधी भाषा का न्यूज चैनल शुरू करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता एनजीओ सिंधी संगत का दावा है कि सिंधी समुदाय देश में भाषाई अल्पसंख्यक हैं। ऐसे में अदालत दूरदर्शन को यह निर्देश जारी करे की वह सिंधी न्यूज चैनल शुरू करें। न्यायमूर्ति वीपी वैश की खंडपीठ ने मामले में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय व दूरदर्शन से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी 2016 को होगी। एनजीओ का दावा है कि वह पांच हजार पुराने सिंधी भाषा व संस्कृति को बचाने व प्रसार करने के लिए काम कर रही है।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी ने कहा कि देश में करीब 122 भाषाएं हैं। ऐसे में हर एक भाषा का अलग से चैनल लाना संभव नहीं है। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा कि एनजीओ 2008 से मंत्रालय व प्रसार भारती से सिंधी समुदाय के लिए अलग से चौबीस घंटे का चैनल लाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन प्रसार भारती का जवाब है कि संसाधनों व कर्मचारियों की कमी के चलते यह संभव नहीं है कि वह समुदाय के लिए चैनल लाएं। उधर, जेठमलानी ने कहा कि सरकार नुकसान में है ऐसे में समुदाय को चैनल से वंचित रहना पड़ेगा। जबकि आए-दिन नए चैनल लाए जा रहे हैं। उनका कहना था कि संविधान में विभिन्न समुदाय के विकास की बात कही गई है, लेकिन सिंधी समुदाय के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया है, जो गलत है।

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