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आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने यूपी सरकार द्वारा यादव सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी का किया विरोध, सीएम को लिखा पत्र

आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यादव सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी का खुले तौर पर विरोध किया है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजे अपने पत्र में उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी पत्नी एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर की पीआईएल में 16 जुलाई 2015 को मामले के व्यक्तिगत भ्रष्टाचार से कहीं बहुत आगे बढ़ कर राज्य सत्ता में बैठे लोगों के संरक्षण में भ्रष्टाचार का उदाहरण मानते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए जिसपर कार्यवाही भी शुरू हो गयी. इसके बाद सरकार ने तकनीकी पहलुओं पर मात्र सीबीआई जाँच रोकने को याचिका किया जिसमे बड़े-बड़े अधिवक्ताओं पर लाखों रुपये खर्च होंगे जो राजकोष का अपव्यय है. अतः इन्होंने तत्काल इस प्रक्रिया को रोकने की बात कही, साथ ही निकट भविष्य में इस गैर-जरुरी याचिका में हुए अपव्यय के लिए उत्तरदायित्व नियत करने हेतु कोर्ट जाने की बात भी कही.

<p>आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यादव सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी का खुले तौर पर विरोध किया है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजे अपने पत्र में उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी पत्नी एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर की पीआईएल में 16 जुलाई 2015 को मामले के व्यक्तिगत भ्रष्टाचार से कहीं बहुत आगे बढ़ कर राज्य सत्ता में बैठे लोगों के संरक्षण में भ्रष्टाचार का उदाहरण मानते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए जिसपर कार्यवाही भी शुरू हो गयी. इसके बाद सरकार ने तकनीकी पहलुओं पर मात्र सीबीआई जाँच रोकने को याचिका किया जिसमे बड़े-बड़े अधिवक्ताओं पर लाखों रुपये खर्च होंगे जो राजकोष का अपव्यय है. अतः इन्होंने तत्काल इस प्रक्रिया को रोकने की बात कही, साथ ही निकट भविष्य में इस गैर-जरुरी याचिका में हुए अपव्यय के लिए उत्तरदायित्व नियत करने हेतु कोर्ट जाने की बात भी कही.</p>

आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यादव सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी का खुले तौर पर विरोध किया है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजे अपने पत्र में उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी पत्नी एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर की पीआईएल में 16 जुलाई 2015 को मामले के व्यक्तिगत भ्रष्टाचार से कहीं बहुत आगे बढ़ कर राज्य सत्ता में बैठे लोगों के संरक्षण में भ्रष्टाचार का उदाहरण मानते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए जिसपर कार्यवाही भी शुरू हो गयी. इसके बाद सरकार ने तकनीकी पहलुओं पर मात्र सीबीआई जाँच रोकने को याचिका किया जिसमे बड़े-बड़े अधिवक्ताओं पर लाखों रुपये खर्च होंगे जो राजकोष का अपव्यय है. अतः इन्होंने तत्काल इस प्रक्रिया को रोकने की बात कही, साथ ही निकट भविष्य में इस गैर-जरुरी याचिका में हुए अपव्यय के लिए उत्तरदायित्व नियत करने हेतु कोर्ट जाने की बात भी कही.

Amitabh opposes Yadav Singh SLP, writes to CM

IPS officer Amitabh Thakur has openly opposed the filing of SLP in Yadav Singh case by UP government. In his letter to CM Akhilesh Yadav, he said that the Allahabad High Court in its order dated 16 July 2015 in PIL filed by his activist wife Dr Nutan Thakur handed over the case to CBI as being symptomatic of misuse of authority by people in the corridors of power, on which the CBI has started the process. The State government has filed this SLP on certain technical grounds merely to stop CBI enquiry where huge amount of state exchequer will be squandered on big advocates hired for this. Hence he has called for immediately stopping this legal process, at the same time saying that he would move Court to fix responsibility of officials for filing this unwarranted petition.

सेवा में,
श्री अखिलेश यादव,
मा० मुख्य मंत्री,
उत्तर प्रदेश सरकार,
लखनऊ  

विषय- श्री यादव सिंह मामले में मा० सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी के विरोध विषयक

महोदय,

निवेदन है कि मैं, अमिताभ ठाकुर उत्तर प्रदेश में एक आईपीएस अफसर हूँ और साथ ही एक नागरिक के रूप में मैं पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के क्षेत्र में कार्य करता हूँ. मैं यह पत्र इस देश और उत्तर प्रदेश के नागरिक के रूप में अपनी व्यक्तिगत हैसियत में बहुचर्चित अभियंता श्री यादव सिंह मामले में मा० सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी के विरोध में प्रेषित कर रहा हूँ.

मैं अपनी बात कहने के लिए श्री यादव सिंह मामले में मेरी पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा मा० इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच द्वारा रिट याचिका संख्या 12396 (एमबी)/2014 (डॉ नूतन ठाकुर बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य) में दिनांक 16/07/2015 के बहु-प्रशंसित निर्णय के कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण अंश प्रस्तुत कर रहा हूँ-

The allegations against the ninth respondent are not just allegations of personal corruption or of personal aggrandizement. The essence of the allegation is that the ninth respondent has been able to use his personal proximity in the corridors of power with successive governments in State by indulging in corruption, amassing wealth for conferring favours on himself, the members of his family and business associates. The ninth respondent has, it is alleged, been able to shield himself due to his proximity with the corridors of power both in the previous government and the present government in the State of Uttar Pradesh

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अर्थात मा० हाई कोर्ट ने श्री यादव सिंह प्रकरण को प्रथमद्रष्टाया व्यक्तिगत भ्रष्टाचार से कहीं बहुत आगे बढ़ कर राज्य सत्ता में बैठे लोगों द्वारा अपने अधिकारों के दुरुपयोग और रसूखदार राजनैतिक और प्रशासनिक सत्ता के सीधे संरक्षण में श्री यादव सिंह के पुष्पित-पल्लवित होने की सम्भावना का ज्वलंत उदहारण मानते हुए इस प्रकरण में सीबीआई जांच कराये जाने के आदेश दिए. इसके अनुपालन में सीबीआई द्वारा दिनांक 04/08/2015 को कई स्थानों पर छापा डालने और श्री यादव सिंह और उनके कई परिवार वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के की कार्यवाही हुई.

लेकिन इसके बाद दिनांक 05/08/2015 को कुछ तकनीकी/विधिक पहलुओं के आधार पर इस आदेश को मा० सर्वोच्च न्यायालय में स्पेशल लीव पेटीशन (एसएलपी) के माध्यम से चुनौती दी गयी. समाचारपत्रों से ज्ञात खबरों के अनुसार इस मामले में कई सारे बहुत बड़े-बड़े अधिवक्ता प्रदेश सरकार द्वारा हायर किये जायेंगे जिनपर प्रत्येक सुनवाई में लाखों रुपये फीस दिया जाएगा. निश्चित रूप से यह सारा श्रम इस उद्देश्य से होगा कि मामला सीबीआई द्वारा न जांचा जाए.

निवेदन करूँगा कि एक जागरूक नागरिक के रूप में मैं प्रदेश सरकार के इस पहल से व्यक्तिगत स्तर पर अत्यंत ही व्यथित हूँ और एक नागरिक के रूप में स्वयं को पूरी तरह ठगा सा महसूस कर रहा हूँ क्योंकि मुझे साफ़ दिख रहा है कि मेरे टैक्स के पैसे का उपयोग एक ऐसे मामले में सीबीआई जांच कराये जाने से रोकने का प्रयास करना है जिसमे लगभग 99 फीसदी लोगों का यह मानना है कि सीबीआई जांच जरुर होनी चाहिए ताकि यदि इस मामले में परदे के पीछे भी लोग शामिल हैं तो उनका सच सामने आ सके.

ऐसे में जब जनमत और स्वयं मेरी धारणा इस और है कि मामले में सत्य के संधान और पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के निमित्त हेतु सीबीआई जाँच होनी चाहिए, प्रदेश सरकार द्वारा इस तरह सीबीआई जांच का विरोध और इसमें शासकीय श्रम, धन-जन और न्यायिक प्रक्रिया का प्रारंभ मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर पूरी तरह अग्राह्य और कष्टप्रद है और मैं एक नागरिक और टैक्स-पेयर की हैसियत से यह अपना कर्तव्य समझता हूँ कि मैं अपने मनोभावों और अपनी सोच से सरकार को अवगत कराऊं और यह निवेदन करूँ कि इस न्यायिक प्रक्रिया को राज्यहित और जनहित में इसी स्तर पर तत्काल रोका जाए.

साथ ही यह भी निवेदन कर रहा हूँ कि निकट भविष्य में आवश्यक और उचित समझे जाने पर मैं इस प्रक्रिया में राजकोष से हुए धन के व्यय के लिए भी उत्तरदायित्व नियत करने और उनके निजी स्तर से राजकोष में इस धन की भरपाई किये जाने हेतु अपने निजी स्तर पर न्यायिक कार्यवाही करने पर विचार कर रहा हूँ ताकि मेरी समझ के अनुसार जो अकारण पब्लिक मनी का दुरुपयोग हुआ है, उसके लिए जिम्मेदार लोगों का उत्तरदायित्व नियत हो सके.

पत्र संख्या- AT/Yadav Singh/01                                  
दिनांक-06/08/2015

भवदीय,
अमिताभ ठाकुर)
5/426, विराम खंड,
गोमतीनगर, लखनऊ
#094155-34526

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