: सन समूह को कोर्ट से मिली राहत, FM नीलामी में लेगा हिस्सा : चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने आज अपने एक अंतरिम आदेश में सन समूह को एफएम रेडियो लाइसेंस के तीसरे चरण की नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति दे दी। न्यायमूर्ति एम सत्यनारायण ने इस आदेश में नीलामी के नतीजों को अगले आदेश तक सीलबंद लिफाफे में रखे जाने का निर्देश दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह आदेश सन समूह द्वारा दायर मुख्य रिट याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगा जिसमें समूह ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया है।
इस मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से सुरक्षा संबंधी स्वीकृति के अभाव में सन समूह को नीलामी में भाग लेने से रोकने का आदेश दे रखा है। मंगलवार को अदालत ने सन समूह की अंतरिम याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। इस याचिका में समूह ने अदालत से अनुरोध किया था कि वह नीलामी प्रक्रिया में उसे भाग लेने देने की मंजूरी देने का निर्देश केंद्र को दे। छह याचिकाओं के दस्ते के साथ अपने अंतरिम अनुरोध में सन समूह और इसकी कंपनियों ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के 15 जुलाई वाले आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी।
वरिष्ठ वकील रमन ने याचिकाकर्ता की ओर से कहा था कि समूह को सुरक्षा मंजूरी देने से इंकार इस आधार पर कर दिया गया था कि उस पर टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले से जुड़े एयरसेल-मैक्सिस मामले में मनी लांडरिंग और कथित अवैध टेलीफोन एक्सचेंज मामले से जुड़े आरोप हैं। इन मामलों में पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन और उनके भाई एवं सन समूह के मालिक कलानिधि मारन आरोपी हैं। उन्होंने कहा कि जब आरोप-पत्र में नामजद व्यक्तियों को मंत्रीपद का आनंद लेने की अनुमति है तो महज प्राथमिकी में नाम होने के आधार पर लोगों को एफएम स्टेशन चलाने से कैसे रोका जा सकता है? उन्होंने दावा किया कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 में कहीं भी सुरक्षा मंजूरी का जिक्र नहीं है। रमन ने आगे कहा कि केंद्र सरकार के उन बयानों में विसंगतियां हैं जिसमें उसने कहा था कि मारन बंधुओं ने सन टीवी के लिए एक छोटी टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना करके सरकारी खजाने को 443 करोड़ रूपए का नुकसान पहुंचाया। जबकि इस संदर्भ में दायर प्राथमिकी कहती है कि नुकसान महज 1.17 करोड़ रूपए का था।