Sanjaya Kumar Singh : भ्रष्टाचार और झूठ बोलने का आईएसआई मानक… सुषमा जी ने जो कहा उसका सार संक्षेप यही हुआ ना कि जो कांग्रेस ने किया उससे हमने कम किया। वो ये भूल गईं कि ना खाउंगा ना खाने दूंगा का मतलब ये नहीं होता है कि, “कांग्रेस से कम खाउंगा और कम ही खाने दूंगा”। अब कांग्रेस में ना सोनिया गांधी की बेटी वकील हैं ना राहुल की। पर पी चिदंबरम की पत्नी तो थीं। इसलिए वकील बनकर फीस लेने में कितना ज्यादा, कितना कम – ये भाजपा तय करके बताएगी। पांच साल में भारतीय जनता पार्टी – भ्रष्टाचार और झूठ बोलने का आईएसआई मानक तय कर दे तो बड़ी राष्ट्रसेवा होगी। कहां तक जुमला, कहां से झूठ। कहां तक फीस, कहां से रिश्वत। कौन करे तो भ्रष्टाचार – और कैसे करें तो शिष्टाचार। कांग्रेस ने क्वात्रोची और एंडरसन को भगाया (बचाया) तो हमने मोदी (ललित) को बचाया।
बहुत अच्छा बोलती हैं सुषमा स्वराज। प्रतिभाशाली तो हैं और मनुष्य आखिर अपनी प्रतिभा से ही कमाता, खाता नौकरी और कमाई करता है। सुषमा जी अच्छा बोलती हैं। उन्हें हक है उसका उपयोग करने का। नैतिकता गई तेल लेने। कोई लाल बहादुर शास्त्री का जमाना थोड़े है। अब तो एक छोड़ो दो ट्रेन दुर्घटनाएं होती हैं कोई इस्तीफा नहीं मांगता है। सुरेश प्रभु पहले अपने भांजे की कमाई करा दें। वो पवन बंसल से कम हैं क्या। वोट तो लोग (मुफ्त में) देते नहीं चले आते सवाल करने। सारी प्रतिभा झोंक दी सरकार बनाने में अब बचाने में – पांच साल निकल जाएंगे। जनता का क्या? फिर नई सरकार चुन लेगी। बिहार में कोई नहीं है चुनने लायक। पर सरकार तो बनेगी ही। कोई ना कोई चुना जाएगा ही। और पैसे का क्या है। कोई बता रहा था एक पासपोर्ट वेरीफिकेशन का उत्तर प्रदेश पुलिस का सिपाही सात सौ रुपए मांग रहा था। उसमें वकील की फीस कितनी भी हो जायज है। सर्विस टैक्स उसपर वैसे नहीं है। आयकर बचाने के लिए नकद ले या चेक से लेकर बताए नहीं – कौन बड़ी बात हो गई।
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.