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इस्लाम पर ताला जड़ मुसलमान उसके आगे बोर्ड लगा दें- ये दुकान बंद कर दी गयी है!

Ajit Singh : कल मित्र नीरज बधवार जी ने दो लाइन की एक शानदार पोस्ट लिखी। लिखते हैं- ”business idea अगर flop हो जाए तो उस business को बंद किया जा सकता है। जिस idea पे मुल्क बना अगर वो idea fail हो जाए तो मुल्क का क्या करें।” इशारा पाकिस्तान की ओर है। Two nation theory…. हिन्दू मुसलमाँ साथ नहीं रह सकते….. इस मूल सिद्धांत पे पाकिस्तान की स्थापना हुई। पाकिस्तान के लोगों से वादा था कि शरई सरकार होगी। sunnaah पे आधारित।

<p>Ajit Singh : कल मित्र नीरज बधवार जी ने दो लाइन की एक शानदार पोस्ट लिखी। लिखते हैं- ''business idea अगर flop हो जाए तो उस business को बंद किया जा सकता है। जिस idea पे मुल्क बना अगर वो idea fail हो जाए तो मुल्क का क्या करें।'' इशारा पाकिस्तान की ओर है। Two nation theory.... हिन्दू मुसलमाँ साथ नहीं रह सकते..... इस मूल सिद्धांत पे पाकिस्तान की स्थापना हुई। पाकिस्तान के लोगों से वादा था कि शरई सरकार होगी। sunnaah पे आधारित।</p>

Ajit Singh : कल मित्र नीरज बधवार जी ने दो लाइन की एक शानदार पोस्ट लिखी। लिखते हैं- ”business idea अगर flop हो जाए तो उस business को बंद किया जा सकता है। जिस idea पे मुल्क बना अगर वो idea fail हो जाए तो मुल्क का क्या करें।” इशारा पाकिस्तान की ओर है। Two nation theory…. हिन्दू मुसलमाँ साथ नहीं रह सकते….. इस मूल सिद्धांत पे पाकिस्तान की स्थापना हुई। पाकिस्तान के लोगों से वादा था कि शरई सरकार होगी। sunnaah पे आधारित।

इस्लाम का ये मूल सिद्धांत है कि पैगम्बर साहब PBUH का जीवन ही आदर्श है और पूर्णतः अनुकरणीय है। हुज़ूर ने जो कुछ कहा किया कुरआन शरीफ में आदेश दिया और जिन कामों के लिए मौन या मुखर स्वीकृति दी वो सब आदर्श है। मुसलमाँ बेचारा यहीं फंस जाता है। अब हुज़ूर ने तो आज से 1400 पहले इतना कुछ कहा किया है कि सच्चा मुसलमाँ अगर वो सब करने लग जाए तो ज़िन्दगी या तो जेल में बीते या फिर कसाब की तरह भरी जवानी में फांसी हो…..

हुज़ूर ने तो ये फरमाया है कि ऐ मुसलमानों, तुम्हारा जन्म दीन के लिए जिहाद करने के लिए हुआ है, न कि ये काम धंदा नौकरी पेशा कर बीवी बच्चे पालने के लिए। सच्चा मुसलमाँ पूरी दुनिया को दारुल इस्लाम बनाने के लिए विधर्मियों से लड़ते जान दे के ज़न्नत में जाए और वहाँ वो सब 72 हूरों वाला सुख भोगे… यही है सच्चे मुसलमाँ के जीवन का मुख्य उद्देश्य….

कुल 200 करोड़ मुसलमाँ हैं दुनिया भर में। उनमे से कुछ 10-20 हज़ार कुरआन शरीफ पढ़ के सच्चे मुसलमाँ बन जाते है और आतंकी बन जाते हैं। इस्लामिक दुनिया दो भागों में बंट गयी है। असली मुसलमाँ और फ़र्ज़ी मुसलमाँ। आतंकी कहते हैं कि हम हूबहू कुरआन शरीफ और हुज़ूर PBUH को follow कर रहे हैं इसलिए हम हैं असली मुसलमाँ। तुम सब तो अपने रोजी रोज़गार में जुटे बीवी बच्चे पाल रहे हो…. तुम कहाँ के मुसलमाँ?

आम मुसलमाँ बेचारा dilemma में है। सच्चा मुसलमाँ बने कि न बने। पाकिस्तान की स्थापना सच्चे मुसलमाँ के लिए हुई थी जहां शरई व्यवस्था होगी। शरई व्यवस्था माने आधा मुल्क टुंडा और बाकी आधा जमीन में गाड़ के संगसार….. बेचारा मुसलमाँ…. सच्चा मुसलमाँ बने तो रोज़ाना 100-200 काफ़िर मारने पड़ेंगे…. आखिर दारुल इस्लाम जो बनाना है। इसके लिए 400 करोड़ ईसाई हिन्दू और अन्य विधर्मी मारने पड़ेंगे या उन्हें सबको ईमान लाना होगा।

नीरज भाई…… idea पाकिस्तान का नहीं, बल्कि इस्लाम का फेल हो गया। मुसलमानों को चाहिए कि इस्लाम पे ताला लगा दें और board लगा दें- ये दुकान बंद कर दी गयी है।

दक्षिणपंथी विचारधारा के समर्थक और सोशल एक्टिविस्ट अजीत सिंह के फेसबुक वॉल से.

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