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IAS उमेश सहगल के करप्शन की कहानी

Sheetal P Singh : हे Umesh Sehgal IAS जी! आप विभिन्न चैनलों पर दिल्ली राज्य में दो संवैधानिक पदाधिकारियों के अधिकारों (एल जी बनाम मंत्रिपरिषद) के बाबत और फिर यहाँ काम कर रहे केन्द्रीय सेवा के अधिकारियों के अधिकारों के लिये अपना नैतिक समर्थन व्यक्त करते मिले। आपको याद होगा वर्ष २००३-४ के दौरान आप Hind Agro ltd, ओखला ग्रुप की एक कंपनी के निदेशक/ executive के रूप में संबंधित व्यावसायिक लोगों से मिलते रहे थे।

<p>Sheetal P Singh : हे Umesh Sehgal IAS जी! आप विभिन्न चैनलों पर दिल्ली राज्य में दो संवैधानिक पदाधिकारियों के अधिकारों (एल जी बनाम मंत्रिपरिषद) के बाबत और फिर यहाँ काम कर रहे केन्द्रीय सेवा के अधिकारियों के अधिकारों के लिये अपना नैतिक समर्थन व्यक्त करते मिले। आपको याद होगा वर्ष २००३-४ के दौरान आप Hind Agro ltd, ओखला ग्रुप की एक कंपनी के निदेशक/ executive के रूप में संबंधित व्यावसायिक लोगों से मिलते रहे थे।</p>

Sheetal P Singh : हे Umesh Sehgal IAS जी! आप विभिन्न चैनलों पर दिल्ली राज्य में दो संवैधानिक पदाधिकारियों के अधिकारों (एल जी बनाम मंत्रिपरिषद) के बाबत और फिर यहाँ काम कर रहे केन्द्रीय सेवा के अधिकारियों के अधिकारों के लिये अपना नैतिक समर्थन व्यक्त करते मिले। आपको याद होगा वर्ष २००३-४ के दौरान आप Hind Agro ltd, ओखला ग्रुप की एक कंपनी के निदेशक/ executive के रूप में संबंधित व्यावसायिक लोगों से मिलते रहे थे।

यह कंपनी HSVRP (हाइ सिक्योरिटी वेहिकल रजिस्ट्रेशन प्लेट्स) के एक निर्माता के तौर पर बाज़ार में थी। आप जानते ही हैं कि HSVRP एक बेहद विवादित प्रोजेक्ट था । कोई भी गूगल के कुएँ में झाँककर इसकी कहानी खंगाल सकता है ।इसमें कोई २५ हज़ार करोड़ का चूना देश भर के वाहनमालिकों को लगाये जाने के आरोप Affidavit पर सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचे थे और लगभग हर हाई कोर्ट में इस की स्क्रूटनी हुई थी । समय ने साबित भी कर दिया कि जो आरोप लगे थे वे सही थे। जो HSVRP नागालैंड वालों पर तब ज़बरन १५०० रुपये में थोपी गई वह अब पूरे देश में डेढ़ सौ रुपये की है !

देश में कोई दस करोड़ वर्तमान और पन्द्रह करोड़ भविष्य के वाहन मालिकों को कोई २५००० करोड़ का चूना लगना था ! यह तो भला हो प०बंगाल सरकार के प्रतिरोध का कि सुप्रीम कोर्ट ने इस लूट से देश को बचा दिया।

आपसे सवाल यह है कि आप केजरीवाल की बेटी पर इस बात का मुक़दमा लिखाने चले गये कि वह अपने मुख्यमंत्री पिता की सरकार के भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिये लिये गये एक फ़ैसले की एक साधारण नागरिक की हैसियत से जाँच करने की कोशिश करने पहुँच गई? पर आपने क्या तत्कालीन सरकार (दिल्ली राज्य )/देश को इस घोटाले की बाबत लिखित/अलिखित कभी कुछ बताया था ?

सच यह है कि कभी कुछ नहीं बताया बल्कि आप तो ख़ुद बहती गंगा में हाथ धोने के लिये अपने पूर्व मुख्य सचिव (दिल्ली राज्य सरकार) होने का फ़ायदा उठाने में लगे थे ? दो चार सौ करोड़ इधर भी हो जांय, की फ़रक पैंदा ए? जिसने आपको उस प्लेटफ़ार्म पर देखा जाना हो उसे टीवी पर आपके नकली नैतिक स्वरूप से बेचैनी जायज़ है कि नहीं?

वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह के फेसबुक वाल से।

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