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बिहार के पत्रकार भाइयों, वोट को बनाएं ताकत, जो दिलवाए मजीठिया, उसका दें साथ

पटना। बिहार के पत्रकार और गैर-पत्रकार साथियों यही वह समय है जब हम अपनी वोट की ताकत का अहसास राज्‍य विधानसभा चुनाव में करवा सकते हैं। केवल हमारे ही नहीं बल्कि हमारे पूरे परिवार के वोटों की संख्‍या की गिनती की जाए तो वे हजारों-लाखों में हैं। ऐसे में यदि हम चाहे तो क्‍या कुछ नहीं कर सकते। बस इसका सही समय पर सही इस्‍तेमाल करके। चुनाव के समय जिस तरह कई राज्‍यों में कार्यरत बिहार के लोग अपने परिजनों को एक पार्टी विशेष को वोट देने के लिए प्रेरित कर सकते हैं तो उसी तरह पत्रकार और गैर-पत्रकार भाई क्‍यों नहीं कर सकते।

<p>पटना। बिहार के पत्रकार और गैर-पत्रकार साथियों यही वह समय है जब हम अपनी वोट की ताकत का अहसास राज्‍य विधानसभा चुनाव में करवा सकते हैं। केवल हमारे ही नहीं बल्कि हमारे पूरे परिवार के वोटों की संख्‍या की गिनती की जाए तो वे हजारों-लाखों में हैं। ऐसे में यदि हम चाहे तो क्‍या कुछ नहीं कर सकते। बस इसका सही समय पर सही इस्‍तेमाल करके। चुनाव के समय जिस तरह कई राज्‍यों में कार्यरत बिहार के लोग अपने परिजनों को एक पार्टी विशेष को वोट देने के लिए प्रेरित कर सकते हैं तो उसी तरह पत्रकार और गैर-पत्रकार भाई क्‍यों नहीं कर सकते।</p>

पटना। बिहार के पत्रकार और गैर-पत्रकार साथियों यही वह समय है जब हम अपनी वोट की ताकत का अहसास राज्‍य विधानसभा चुनाव में करवा सकते हैं। केवल हमारे ही नहीं बल्कि हमारे पूरे परिवार के वोटों की संख्‍या की गिनती की जाए तो वे हजारों-लाखों में हैं। ऐसे में यदि हम चाहे तो क्‍या कुछ नहीं कर सकते। बस इसका सही समय पर सही इस्‍तेमाल करके। चुनाव के समय जिस तरह कई राज्‍यों में कार्यरत बिहार के लोग अपने परिजनों को एक पार्टी विशेष को वोट देने के लिए प्रेरित कर सकते हैं तो उसी तरह पत्रकार और गैर-पत्रकार भाई क्‍यों नहीं कर सकते।

राज्‍य के कई हजार पत्रकार और गैर-पत्रकार साथी देश के विभिन्‍न अखबारों और मीडिया हाउसों में कार्यरत हैं। इसके अलावा राज्‍य में कार्यरत साथियों की संख्‍या भी हजारों में है। एक परिवार में कम से कम 5 वोट हों तो आप खुद जान सकते हैं कि यह संख्‍याबल कितना हो जाएगा। यह संख्‍याबल किसी भी पार्टी के वोट प्रतिशत को प्र‍भावित तो कर ही सकता है। साथियों, चुनाव के दौरान पूंजीपति अपने फायदे के लिए राजनीतिक पार्टियों पर नोटों की बारिश कर देते हैं। परंतु जहां की जनता जागरुक होती है वहां ‘नोट’ पर ‘वोट’ भारी पड़ जाता है अर्थात् चुनाव ‘नोट’ नहीं ‘वोट’ जीतवाता है। मजीठिया वेतनमान की चाह रखने वाले साथियों, राज्‍य में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अपने और अपने परिजनों के वोट का सही इस्‍तेमाल करें। इसके बाद संभव हो तो अगले चरणों के दौरान पत्रकार यूनियनों के साथ या समूह बनाकर राज्‍य के बड़े-बड़े नेताओं से मिलें और उनसे मजीठिया पर उनका स्‍पष्‍ट रुख पूछे। जो इसपर ना-नुकर करें तो उसे अपने वोट और कलम की ताकत का अहसास करवा दें।

पत्रकारों के एक समूह द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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