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व्यापमं महाघोटाला : सुनिए पर्दे के पीछे की कहानी… किस तरह डैमेज कंट्रोल में जुटी है प्रदेश भाजपा

इंदौर। व्यापमं महाघोटाले की आंच में झुलस रहे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की बेचैनी साफ महसूस की जा सकती है। अपने लगभग 10 साल के कार्यकाल में यह पहला मौका है जब शिवराज इस तरह घिरे हैं और मध्यप्रदेश के बाहर देश और दुनिया में व्यापमं महाघोटाले की जबरदस्त चर्चा है। प्रदेश के मीडिया को तो लगभग शिव सरकार ने मैनेज कर ही लिया था मगर जब संदिग्ध मौतें एकाएक बढ़ी और इसमें आज तक के पत्रकार अक्षय सिंह का नाम भी जुड़ गया, उसके बाद दिल्ली के न्यूज चैनलों ने व्यापमं की व्यापकता को गंभीरता से महसूस करते हुए जो कवरेज किया उससे शिवराज की नींद हराम हो गई।

<p>इंदौर। व्यापमं महाघोटाले की आंच में झुलस रहे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की बेचैनी साफ महसूस की जा सकती है। अपने लगभग 10 साल के कार्यकाल में यह पहला मौका है जब शिवराज इस तरह घिरे हैं और मध्यप्रदेश के बाहर देश और दुनिया में व्यापमं महाघोटाले की जबरदस्त चर्चा है। प्रदेश के मीडिया को तो लगभग शिव सरकार ने मैनेज कर ही लिया था मगर जब संदिग्ध मौतें एकाएक बढ़ी और इसमें आज तक के पत्रकार अक्षय सिंह का नाम भी जुड़ गया, उसके बाद दिल्ली के न्यूज चैनलों ने व्यापमं की व्यापकता को गंभीरता से महसूस करते हुए जो कवरेज किया उससे शिवराज की नींद हराम हो गई।</p>

इंदौर। व्यापमं महाघोटाले की आंच में झुलस रहे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की बेचैनी साफ महसूस की जा सकती है। अपने लगभग 10 साल के कार्यकाल में यह पहला मौका है जब शिवराज इस तरह घिरे हैं और मध्यप्रदेश के बाहर देश और दुनिया में व्यापमं महाघोटाले की जबरदस्त चर्चा है। प्रदेश के मीडिया को तो लगभग शिव सरकार ने मैनेज कर ही लिया था मगर जब संदिग्ध मौतें एकाएक बढ़ी और इसमें आज तक के पत्रकार अक्षय सिंह का नाम भी जुड़ गया, उसके बाद दिल्ली के न्यूज चैनलों ने व्यापमं की व्यापकता को गंभीरता से महसूस करते हुए जो कवरेज किया उससे शिवराज की नींद हराम हो गई।

सीबीआई जांच की घोषणा का भी श्रेय लेने की हड़़बड़ी दिखाई गई और अब सीबीआई जांच से पहले ही शिवराज को बचाने और हाथों हाथ क्लीन चिट देने का फूहड़ ड्रामा भी प्रदेश भाजपा ने शुरू कर दिया है। इंदौर की सांसद और लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन यानि ताई एक बार फिर मामा यानि शिवराज की संकटमोचक साबित हुई है। पहले मुख्यमंत्री निवास जाकर ताई ने  शिवराज से चर्चा की और उन्हें अपना आशीर्वाद दिया और फिर भोपाल आए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से भी चर्चा की। सूत्रों का कहना है कि श्री भागवत के समक्ष ताई ने शिवराज की अच्छी खासी पैरवी की, जिसके फलस्वरूप श्री भागवत ने बाद में शिवराज को भी मिलने का समय दिया। इधर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमारसिंह चौहान ने अत्यंत ही बेतुका बयान दिया है, जिसमें उन्होंने बेशर्मी से कहा कि भाजपा को व्यापमं घोटाले का कोई अफसोस नहीं है और इसमें मरने वालों का आंकड़ा 46 नहीं, बल्कि 31 ही है। यहां लाख टके का सवाल यह है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार रहते 31 छोड़ एक मौत भी संदिग्ध परिस्थितियों में नहीं होना चाहिए और शिवराज सरकार ने इस मामले में राजधर्म का पालन कतई नहीं किया है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने आखरी दम तक पूरे प्रयास किए कि व्यापमं घोटाला उनकी जद यानि मप्र के बाहर ना जाए। एसटीएफ के जरिए इस घोटाले की जांच मुख्यमंत्री ने अपने दावे के मुताबिक भले ही शुरू करवाई हो मगर यह जांच सही तरीके से कभी नहीं हो पाई, जिसके परिणाम स्वरूप हाईकोर्ट ने भी एसटीएफ को कई बार फटकार लगाते हुए इसकी मॉनिटरिंग का जिम्मा एसआईटी को सौंपा, लेकिन ना तो घोटाले के बड़े राज सामने आ सके और ना ही संदिग्ध मौतों का सिलसिला रुका। आज तक के पत्रकार अक्षय सिंह की शहादत के बाद दिल्ली के मीडिया की भी नींद खुली और उसने जबरदस्त हमला बोला, जिसके चलते प्रदेश के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी भाजपा की किरकिरी हो गई।

24 घंटे पहले तक केन्द्र के गृहमंत्री राजनाथ सिंह से लेकर पूरी भाजपा और यहां तक कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान टीवी कैमरों के सामने ही सीबीआई जांच करवाने से साफ इनकार करते रहे और बार-बार यही तर्क दिया जाता रहा कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की निगरानी में एसआईटी और एसटीएफ द्वारा जो जांच की जा रही है, उससे हम यानि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार और पार्टी भाजपा पूरी तरह संतुष्ट है। मगर जब व्यापमं का महाघोटाला देश के साथ-साथ दुनियाभर में छा गया और सोशल मीडिया पर तो व्यापमं घोटाले से संबंधित पोस्ट और जोक्स की मानों बाढ़ आ गई। वहीं प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों, जिनमें बीबीसी से लेकर वॉशिंगटन पोस्ट ने इस महाघोटाले का जबरदस्त कवरेज किया और दुनिया के साथ-साथ देश के तमाम प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोग मध्यप्रदेश रिपोर्टिंग के लिए आए तब उन्हें इस घोटाले की व्यापकता का अंदाजा हुआ। उसके पहले तो इंदौर से लेकर भोपाल तक का मीडिया शिवराज सरकार ने बखूबी मैनेज कर रखा था। प्रिंट मीडिया में अवश्य खबरें आती रही, लेकिन स्थानीय और प्रादेशिक न्यूज चैनलों को विज्ञापनों की बदौलत मैनेज कर लिया गया, लेकिन जब नई दिल्ली के सभी बड़े न्यूज चैनलों ने इस पर लगातार खबरें चलाई और हल्ला मचाया तो उसके बाद फिर स्थानीय और प्रादेशिक मीडिया सक्रिय हुआ।

भाजपा नेतृत्व ने भी मामले की गंभीरता को समझा और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को निर्देश दिए कि वह पहले हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट को पत्र सौंपकर सीबीआई जांच की मांग करे। यह सामान्य बुद्धि की बात है कि जब देश-विदेश में इस महाघोटाले का इतना हल्ला मचा और कई प्रमाण उजागर हुए उसके बाद यह लगभग तय हो गया था कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट भले ही सीबीआई जांच का शासन का आग्रह ना स्वीकार करे मगर 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अवश्य दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट इस महाघोटाले की जांच और संदिग्ध मौतों का मामला सीबीआई को सौंप देगी और अंतत: हुआ भी वही। 24 घंटे में पूरी भाजपा के साथ-साथ शिवराज ने भी पलटी मारी और सीबीआई जांच का स्वागत करते हुए उसका श्रेय लेने का भी अब लगातार प्रयास किया जा रहा है।

प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष नंदकुमारसिंह चौहान ने तो अत्यंत ही बचकाना और बेतुका बयान कल मीडिया से चर्चा करते हुए दिया है, जिसमें उन्होंने शिवराज को गंगाजल की तरह पवित्र बताया और संदिग्ध मौतों का आंकड़ा भी 46 की बजाय 31 कहा और साथ ही व्यापमं घोटाले का अफसोस भाजपा को नहीं है, यह बेशर्म बात भी कह डाली। यानि भाजपा अध्यक्ष 31 मौतों को भी अफसोसदायक नहीं मानते और अपने मुख्यमंत्री को पवित्र बताते हुए सीबीआई जांच से पहले ही क्लीन चिट भी थमा रहे हैं, जबकि राजधर्म यह कहता है कि एक भी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में नहीं होना चाहिए। इधर भाजपा के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. विनय सहबुद्धे ने व्यापमं महाघोटाले को प्रशासनिक तंत्र की विफलता बताया और कहा कि व्यापमं कोई कांड नहीं बल्कि एक घोटाला है जिसकी जांच हो रही है।

अब यहां पर डॉ. विनय सहबुद्धे  से सामान्य बुद्धि का यह सवाल अवश्य पूछा जाना चाहिए कि प्रशासन की विफलता क्या मुख्यमंत्री की विफलता नहीं है? मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान प्रशासनिक मोर्चे पर हमेशा ही कमजोर नजर आए हैं और एक तरह से प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहबुद्धे ने अपने बयान में इस बात की पुष्टि भी कर दी है। अगर मुख्यमंत्री स्वच्छ, पारदर्शी, बेहतर और ईमानदार तथा सख्त प्रशासन देने में विफल रहे हैं तो इसके  जिम्मेदार भी तो सीधे-सीधे वे खुद ही हैं और इससे वे बच कैसे सकते हैं? इधर एक बार फिर इंदौर की सांसद और लोकसभा अध्यक्ष ताई ने शिवराज को बचा लिया है। पहले भी जब दिल्ली में शिवराज के खिलाफ माहौल बना और पार्टी नेतृत्व ने लगभग उन्हें हटा देने का मन बना लिया था तब भी ताई ने ही शिवराज की पैरवी की और उन्हें बचाया और अभी जब व्यापमं महाघोटाले की आंच में झुलस रहे शिवराज का जाना तय माना जा रहा है तब फिर ताई ही उनकी संकटमोचक बनकर सामने आई। परसो उन्होंने मुख्यमंत्री निवास भोपाल में शिवराज से मुलाकात की और उन्हें अपना अभयदान दिया और तत्पश्चात संघ प्रमुख मोहन भागवत से चर्चा में भी शिवराज की पैरवी की गई।

जानकारों का कहना है कि संघ प्रमुख को 13 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी गई है, जिसमें शिवराज सरकार के कामकाज से लेकर मंत्रियों के कार्यकलाप और खासकर व्यापमं घोटाले के तथ्य बताए गए हैं। यही कारण है कि पहले तो श्री भागवत ने मुख्यमंत्री को मिलने का समय रविवार को नहीं दिया था, लेकिन बाद में शाम को 5 बजे उन्होंने समय दिया और लगभग एक घंटे तक शिवराज की दी हुई सफाई सुनी। सूत्रों का कहना है कि संघ प्रमुख ने भी जनता की अदालत में व्यापमं की सच्चाई को बताने और विपक्ष के साथ-साथ मीडिया के हो रहे हमले का तथ्यों और प्रमाणों के साथ जवाब देने की सलाह दी है। इधर प्रदेश भाजपा शिवराज को क्लीन चिट देने के साथ ही उनकी दागदार हुई छवि को नए सिरे से निखारने के लिए प्रदेशभर में महासम्पर्क अभियान शुरू करने जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार महाघोटाले की जांच सीबीआई के पाले में आ गई है। सीबीआई के प्रवक्ता आर के गौर ने मीडिया को जो जानकारी दी, उसके मुताबिक 40 अफसरों की टीम इस महाघोटाले की जांच के लिए फिलहाल गठित की गई है, जो आज से ही काम शुरू कर देगी और भोपाल पहुंचकर सीबीआई संबंधित दस्तावेजों को अपने कब्जे में लेगी। इस महाघोटाले के साथ ही सीबीआई संदिग्ध मौतों की भी जांच करेगी। एसटीएफ और एसआईटी से संबंधित तमाम दस्तावेज सीबीआई के हवाले किए जाएंगे। सीबीआई का भोपाल स्थित कार्यालय ही इस महाघोटाले की जांच का हेड क्वार्टर भी रहेगा। एक ज्वाइंट डायरेक्टर स्तर के अधिकारी की भी सीबीआई द्वारा नियुक्ति की जाएगी, वैसे एक जानकारी के मुताबिक असम-मेघालय केडर के आईपीएस अधिकारी और सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर आर पी अग्रवाल को इस जांच का जिम्मा सौंपा है। सीबीआई की टीमें इंदौर से लेकर भोपाल, ग्वालियर और प्रदेश के उन तमाम स्थानों पर जाएगी जहां व्यापमं घोटाले के सूत्र और तथ्य बिखरे पड़े हैं।

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आज भाजपा व्यापमं महाघोटाले से लेकर अन्य मामलों पर यह लचर तर्क देती है कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई और कांग्रेस सहित तमाम विपक्षीय दल सिर्फ भाजपा के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं और इसमें मीडिया भी शामिल है। कल भी प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमारसिंह चौहान ने व्यापमं महाघोटाले के मद्देनजर कांग्रेस पर दुष्प्रचार का आरोप लगाया और कहा कि सीबीआई दूध का दूध – पानी का पानी कर देगी। अब यहां सवाल यह है कि क्या दुष्प्रचार का ठेका सिर्फ भाजपा के पास ही है, उसने विपक्ष में रहते हुए क्या 10 साल तक केन्द्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ हमले नहीं बोले, तो क्या वह दुष्प्रचार था या अभी भाजपा उत्तरप्रदेश और बिहार से लेकर नई दिल्ली में चूंकि सरकार में नहीं है और वहां तो छोटी-मोटी बातों को लेकर ही भाजपा हल्ला मचाते हुए मुख्यमंत्रियों से इस्तीफे मांगती रही है। अब जब खुद पर हमले होने लगे तो भाजपा अपने खिलाफ दुष्प्रचार की सफाई दे रही है। यानि भाजपा इस तरह के आरोप लगाए और इस्तीफे मांगे तो वह दुष्प्रचार नहीं है और जब सत्ता में आने पर उसके खिलाफ ऊंगलियां उठे और आरोप लगाए और मीडिया भी सही खबरें दिखाए तो वह दुष्प्रचार हो जाता है।

भाजपा की एक खासियत यह है कि वह फटाफट अपने स्तर पर ही किसी भी घोटाले का खुलासा होने पर क्लीन चिट बांटने लगती है। अभी पिछले दिनों ललित मोदी का मामला उजागर हुआ, जिसमें मीडिया के साथ-साथ विपक्ष ने भी हमला बोला, लेकिन भाजपा ने केन्द्रीय विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज से लेकर राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधराराजे सिंधिया को फटाफट क्लीन चिट दे डाली और अब बारी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की है, जिन्हें व्यापमं महाघोटाले में उलझने पर प्रदेश अध्यक्ष सीबीआई जांच के परिणाम आने से पहले ही क्लीन चिट देने को बेसब्र नजर आ रहे हैं और एक तरह से प्रदेश भाजपा ने शिवराज को गंगाजल की तरह पवित्र बताकर क्लीन चिट दे भी डाली है।

लेखक राजेश ज्वेल हिन्दी पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक हैं. सम्पर्क – 098270-20830 Email : [email protected]

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