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वर्ल्ड स्पेस रेडियो जैसा कोई नहीं

Sanjaya Kumar Singh : एक होता था वर्ल्ड स्पेस रेडियो। बंगलौर से चलता था और सारी दुनिया को गाने सुनाता था। बगैर विज्ञापनों के ग्राहकी के आधार पर। जब बंद हुआ तो अफसोस हुआ पर लगा इतने रेडियो स्टेशन हैं कोई ना कोई तो उनकी जगह ले ही लेगा। पर नहीं हो पया। वर्ल्ड स्पेस में बड़ा आराम था – सिर्फ ऑन करना होता। जो बजता था वही अच्छा होता था। कभी नहीं लगा कि ये क्या बज रहा है या मैं इसे क्यों सुन रहा हूं। पर बंद हो गया तो हो गया।

<p>Sanjaya Kumar Singh : एक होता था वर्ल्ड स्पेस रेडियो। बंगलौर से चलता था और सारी दुनिया को गाने सुनाता था। बगैर विज्ञापनों के ग्राहकी के आधार पर। जब बंद हुआ तो अफसोस हुआ पर लगा इतने रेडियो स्टेशन हैं कोई ना कोई तो उनकी जगह ले ही लेगा। पर नहीं हो पया। वर्ल्ड स्पेस में बड़ा आराम था – सिर्फ ऑन करना होता। जो बजता था वही अच्छा होता था। कभी नहीं लगा कि ये क्या बज रहा है या मैं इसे क्यों सुन रहा हूं। पर बंद हो गया तो हो गया।</p>

Sanjaya Kumar Singh : एक होता था वर्ल्ड स्पेस रेडियो। बंगलौर से चलता था और सारी दुनिया को गाने सुनाता था। बगैर विज्ञापनों के ग्राहकी के आधार पर। जब बंद हुआ तो अफसोस हुआ पर लगा इतने रेडियो स्टेशन हैं कोई ना कोई तो उनकी जगह ले ही लेगा। पर नहीं हो पया। वर्ल्ड स्पेस में बड़ा आराम था – सिर्फ ऑन करना होता। जो बजता था वही अच्छा होता था। कभी नहीं लगा कि ये क्या बज रहा है या मैं इसे क्यों सुन रहा हूं। पर बंद हो गया तो हो गया।

मैंने उसका रिसीवर हटा दिया। एफएम रिसीवर लगा लिया। बदलता और बेहतर होता गया – पर सुनूंगा तो वही जो प्रसारित होता है और उसपर अपना कोई नियंत्रण नहीं है। दिन भर के 16-18 घंटे में पैसे कमाने वाला चाहता है कि सब कुछ परोस दिया जाए ताकि जो भी घूमता-फिरता आए ठहर जाए। जो ठहरा हुआ है, नियमित सुनता है, सुनता रहे दूसरे स्टेशन या चैनल पर ना जाए इसके लिए कोई गंभीर कोशिश नहीं होती है। और मैं दिन भर चैनल बदलता रहता हूं। कभी विज्ञापनों से चिढ़ होती है, कभी अनाउंसर की बक-बक से, कभी गानों के चुनाव से और कभी कहानी या मन की बात जैसे प्रोग्राम से।

अब आप पूछेंगे मुझे पसंद क्या है – अन्नू कपूर का कार्यक्रम। मुझे लगता है कि जब शुरू हुआ था तबसे अभी तक इतने कार्यक्रम रिकॉर्ड हो गए होंगे कि उसे ही लगातार चलाया जाए तो सुनने लायक गाने, मनोरंजन और जानकारी सब है उसमें। वर्ल्ड स्पेस के पास ऐसे कई प्रस्तोता थे पर एफएम रेडिया का तो बहुत ही बुरा हाल है। ज्यादातर फूहड़ और द्विअर्थी संवादों के जरिए बने हुए हैं। इन लोगों को झेलते हुए अपने पास सीडी और पेन ड्राइव में इतने गाने हो गए हैं कि दो चार दिन आराम से कट जाता है। और वह दोबारा बजाकर काम चलाया जा सकता है। इन एफएम रेडियो चैनलों को बाय कहा जा सकता है। पर उसमें एक ही समस्या है। सीडी कौन बदले और उसके गाने एक ही क्रम में ना बजें। उसका भी उपाय है। हो जाएगा। पर जब मैं यह सब कर ही लूंगा तो ये एफएम रेडियो वाले क्या करेंगे। क्या मेरे जैसे और स्रोता नहीं हैं जिन्हें रेडियो पर सिर्फ पुराने गाने सुनना होता है। और पेन ड्राइव या सीडी बदलने में भी आलस लगता है। वर्ल्ड स्पेस रेडियो जब बंद हुआ था तो मैंने जो लिखा था वह यह रहा http://old.bhadas4media.com/viv…/3652-world-space-radio.html (शुक्रिया Yashwant Singh का इस सुविधा के लिए।)

वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.

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