30 सितंबर को जनसत्ता के फ्रंट पेज पर न्यूज एजेंसी भाषा से जारी खबर छपी है, कि महंत अवैद्यनाथ की याद में केंद्र की भाजपा सरकार के केंद्रीय संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद की मौजूदगी में गोरखपुर में एक डाक टिकट 1 अक्टूबर को जारी किया जाएगा। भाजपा सरकार आजकल जिस तरह के फैसले ले रही है, उसमें यह खबर बहुत चौंकाने वाली तो नहीं थी, लेकिन इससे इतना तो साबित होता ही है कि सांप्रदायिक फासीवादी ताकतों के इरादे कितने बढ़े हुए हैं। यह भाजपा सरकार का खुलेआम फासीवादी कदम होने के साथ ही प्रतिगामी कदम भी है। यहां यह बात भी साबित होती है कि दिल्ली की गद्दी पर बैठी ताकतें फिर से देश को सामंतवादी युग में धकेलने के लिए कितनी उतावली हैं। अवैद्यनाथ जैसा व्यक्ति, जो एक सवर्ण-जातिवादी-सामंतवादी व्यक्ति होने के साथ ही सांप्रदायिकता फैलाने में लिप्त रहा हो और जिसके ऊपर दलितों एवं समाज के वंचित तबकों का दमन-उत्पीड़न करने के साथ ही तरह-तरह के आपराधिक आरोप भी लगते रहे हों, गांधी जयंती के ठीक एक दिन पहले ऐसे व्यक्ति के नाम पर एक केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में डाक टिकट जारी करना, बेहद ही निंदनीय एवं शर्मनाक कृत्य है।
यह एक स्थापित सच है कि अवैद्यनाथ के वारिस, पूरे पूर्वांचल को सांप्रदायिकता की आग में झोंक देने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं, जो अवैद्यनाथ की विरासत के अनुरूप ही यह जहरीला एवं घिनौना प्रयास करते हैं। मोदी सरकार का यह कदम एक संकेत है कि वह आने वाले दिनों में किस एजेण्डे पर काम करेगी। इसके साथ ही यह सवर्ण-जातिवादी-सामंती एवं सांप्रदायिक तत्वों का, जो पूरे पूर्वांचल को सांप्रदायिकता की प्रयोगस्थली बनाने पर आमादा हैं, उन्हें मोदी सरकार की ओर से एक तरह से दिया गया इनाम है।
देश में आधुनिक, प्रगतिशील, समतावादी प्रगतिशील तथा लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था रखने वाले लोगों के लिए निश्चय ही यह एक कठिन समय है। लेकिन ऐसे ही समय में इन पुनरात्थानवादी एवं प्रतिगामी शक्तियों से संघर्ष करने की जरूरत है। इसी रास्ते से हम ऐसी शक्तियों को आगे बढ़ने से रोक सकते हैं तथा अपने लिए भी एक स्पेस का निर्माण कर सकते हैं। उम्मीद है कि इस दिशा में सक्रिय ताकतें जरूर एकजुट होकर इन मानवद्रोही एवं समाजविरोधी ताकतों से संघर्ष करने की दिशा की ओर अग्रसर होंगी।