Connect with us

Hi, what are you looking for?

दुख-सुख

ज़ी मीडिया प्रबंधन ने सभी पत्रकारों का फोन गेट पर जमा करने को कहा

जब ज़ी मीडिया के दो घूसखोर संपादक नवीन जिंदल से 100 करोड़ की घूसख़ोरी मे तिहाड़ गए थे और आपने अपने 9 बजे के बुलेटिन मे पुण्य प्रसून से कहलवाया था कि पत्रकारिता में आपातकाल है पर सच्चाई ये है कि असली आपातकाल वो नहीं, ये है.. जब सूचनाओ के आदान प्रदान के लिए दुनिया में मोबाइल सबसे बड़ा माध्यम हो ऐसे में बिना मोबाइल पत्रकारिता कैसे संभव है.. किसी वेवकूफ आदमी से पूछोगे तो कहेगा मोबाइल तो रिपोर्टर का लाइफ लाइन होता है… लेकिन जब लाइन ही नहीं होगी तो खबरें क्या मिलेगी खाक.

<p>जब ज़ी मीडिया के दो घूसखोर संपादक नवीन जिंदल से 100 करोड़ की घूसख़ोरी मे तिहाड़ गए थे और आपने अपने 9 बजे के बुलेटिन मे पुण्य प्रसून से कहलवाया था कि पत्रकारिता में आपातकाल है पर सच्चाई ये है कि असली आपातकाल वो नहीं, ये है.. जब सूचनाओ के आदान प्रदान के लिए दुनिया में मोबाइल सबसे बड़ा माध्यम हो ऐसे में बिना मोबाइल पत्रकारिता कैसे संभव है.. किसी वेवकूफ आदमी से पूछोगे तो कहेगा मोबाइल तो रिपोर्टर का लाइफ लाइन होता है... लेकिन जब लाइन ही नहीं होगी तो खबरें क्या मिलेगी खाक.</p>

जब ज़ी मीडिया के दो घूसखोर संपादक नवीन जिंदल से 100 करोड़ की घूसख़ोरी मे तिहाड़ गए थे और आपने अपने 9 बजे के बुलेटिन मे पुण्य प्रसून से कहलवाया था कि पत्रकारिता में आपातकाल है पर सच्चाई ये है कि असली आपातकाल वो नहीं, ये है.. जब सूचनाओ के आदान प्रदान के लिए दुनिया में मोबाइल सबसे बड़ा माध्यम हो ऐसे में बिना मोबाइल पत्रकारिता कैसे संभव है.. किसी वेवकूफ आदमी से पूछोगे तो कहेगा मोबाइल तो रिपोर्टर का लाइफ लाइन होता है… लेकिन जब लाइन ही नहीं होगी तो खबरें क्या मिलेगी खाक.

मोबाइल जमा कराने के पीछे प्रबंधन का कहना है कि कर्मचारी सोशल साइट ज्यादा देखते हैं और इससे प्रोडक्टिविटी घटती है… अरे कौन समझाये इन को कि आज ग्लोबल विलेज के दौर में बिना मोबाइल और इंटरनेट के पत्रकारिता क्या होगी.

pk

[email protected]

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

दुख-सुख

: बस में अश्लीलता के लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे यात्रियों को यूं नसीहत दी उस पीड़ित लड़की ने : Sanjna Gupta :...

Advertisement