Connect with us

Hi, what are you looking for?

समाज-सरोकार

आखिर क्या चाहते हैं बाबा रामदेव?

[caption id="attachment_2139" align="alignleft"]संजय द्विवेदीसंजय द्विवेदी[/caption]एक योग गुरु को आखिर हुआ क्या है? वे योग के साथ अब चुनाव में शत प्रतिशत मतदान की बात क्यों करने लगे हैं? वे क्यों चाहते हैं कि लोग स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करें? भारत में अंतिम आदमी तक योग के प्रचार में लगे बाबा रामदेव का आखिर एजेंडा क्या है? क्या योग गुरू बाबा रामदेव ने अब योग से लोगों की बीमारियाँ भगाने के साथ ही ज़हरीले वायरस की तरह देश की जनता को नोच रहे राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है? यह बड़ा सवाल लोगों को मथ रहा है।

संजय द्विवेदी

संजय द्विवेदीएक योग गुरु को आखिर हुआ क्या है? वे योग के साथ अब चुनाव में शत प्रतिशत मतदान की बात क्यों करने लगे हैं? वे क्यों चाहते हैं कि लोग स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करें? भारत में अंतिम आदमी तक योग के प्रचार में लगे बाबा रामदेव का आखिर एजेंडा क्या है? क्या योग गुरू बाबा रामदेव ने अब योग से लोगों की बीमारियाँ भगाने के साथ ही ज़हरीले वायरस की तरह देश की जनता को नोच रहे राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है? यह बड़ा सवाल लोगों को मथ रहा है।

जिस तरह बाबा रामदेव अब अपने योग शिविरों से लेकर जन जागरण शिविरों में खुलकर भ्रष्ट और बेईमान अधिकारियों व राजनेताओं पर बरस रहे हैं उससे तो यही लगता है। बाबा ने राष्ट्र भक्ति का एक नया अभियान शुरु कर दिया है। पिछले दिनों महाराष्ट्र के सांगली में चल रहे अपने योग शिविर के साथ ही उन्होंने लोक जागरण शिविर को संबोधित करते हुए यह सनसनीखेज खुलासा किया कि देश की जनता स्थानीय स्तर पर पंचायत, नगर-निगम से लेकर राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर विभन्न करों के रूप में राज्य व केंद्र सरकारों को हर साल 25 लाख करोड़ रुपया कर के रूप में चुकाती है, मगर देश के सांसदऔर विधायक जिनकी संख्या मात्र 7 से 8 हजार है इस राशि का बड़ा हिस्सा हजम कर जाते हैं, बचा-खुचा हिस्सा भ्रष्ट अधिकारी खा जाते हैं।

बाबा ने कहा कि अगर मान भी लिया जाए कि इस राशि में से 15 लाख करोड़ रुपया देश की सेना, सरकारी अधिकारियो के वेतन और अन्य मद में खर्च हो जाता हो तो फिर बाकी बचा 10 लाख करोड़ रुपया तो सीधे भ्रष्टाचारियों की जेब में चला जाता है। उन्होंने कहा कि जिस दिन देश का ये लाखों करोड़ों रुपया इन भ्रष्ट राजनेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों की जेब में जाने से बचने लगेगा, देश में खुशहाली और समृध्दि आ जाएगी।

बाबा रामदेव ने कहा कि अब समय आ गया है कि इन भ्रष्ट राजनेताओं और अफसरों को सबक सिखाया जाए। बाबा अब देश भर में ऐसे समर्पित और राष्ट्र भक्त लोगों का संगठन खड़ा करने जा रहे हैं जिनमें सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी, न्यायाधीश, शिक्षक, व्यापारी,वकील और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल होंगें। ये सभी लोग स्थानीय स्तर पर भ्रष्ट और बेईमान अधिकारियों व राजनेताओं के खिलाफ मोर्चा लेंगे। बाबा रामदेव आज भारत की एक ऐसी हस्ती हैं जिसे समाज के सब वर्गों का समर्थन हासिल है, वे सही अर्थों में भारत की आत्मा से जुड़े़ उन प्रश्नों को उठा रहे हैं जो अरसे से जनमन को मथते रहे हैं। बाबा रामदेव की लोकप्रियता और उनकी प्रामणिकता को संदिग्ध बनाने के लिए पहले भी उनपर हमले किए गए पर वे आरोप निर्विवाद रूप से गलत साबित हुए। अब बाबा के निशाने पर देश की भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था है। जाहिर तौर पर यह कहा जा सकता है कि इस व्यवस्था को ठीक करना बहुत आसान नहीं है। लेकिन क्या यदि कोई संत पहल करके एक कठिन संकल्प को ले रहा है, तो समाज को उसके साथ खड़ा नहीं होना चाहिए।रामदेव

बाबा रामदेव के द्वारा उठाए जा रहे समाधान वास्तव में महत्वपूर्ण हैं, वे जब देश के नागरिकों में दायित्वबोध भरने के लिए सौ प्रतिशत मतदान की बात कह रहे हैं तो इसके अपने अर्थ हैं। इससे हमारे लोकतंत्र की सफलता और जनता का दोनों सधेगा। वे साफ कह रहे हैं कि हम राजनीति नहीं करेंगें लेकिन भ्रष्ट, अपराधी, कायर लोंगों को सत्ता में आने से रोकेंगें। यह बात समाज के एकजुट होने से संभव है। कहीं न कहीं बाबा रामदेव सोते हुए समाज को सक्रिय बना कर सामाजिक दंड शक्ति के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं। उनका यह संकल्प जनता के सहयोग से ही सफल हो सकता है। बाबा ने दरअसल हमारे लोकतंत्र की विफलता की असल बीमारी पकड़ ली है। शत प्रतिशत मतदान यदि हम संभव कर पाएं तो निश्चय ही हमारी संसद और विधानसभाओं का चेहरा बहुत बदल जाएगा। सही फैसले होंगें और गलत लोग चुनाव जीतकर कम मात्रा में ही पहुचेंगें। दूसरी बात वे स्वदेशी की कर रहे हैं। यह बात भारत की अर्थव्यस्था में नए रंग भर सकती है। इस बात को ही महात्मा गांधी ने पहचाना था।

हिंद स्वराज्य लिखकर गांधी ने जिस क्रांति की शुरूआत की हम उस रास्ते को छोड़ आए। आज जब दुनिया मंदी का शिकार है तो यह मान लेना चाहिए कि अर्थव्यवस्था का अमरीकी माडल भी कहीं न कहीं दरक रहा है। साम्यवादी अर्थचिंतन की विद्रूपताएं पहले ही सामने आ चुकी हैं। बाबा भारत की इस शक्ति को पहचानते हैं और उसी को जगाना चाहते हैं। यह कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि आमजन के बीच इस संत ने जो विश्वसनीयता पाई है उसे एक राष्ट्रवादी सोच के साथ जोड़ना बहुत आवश्यक है। समय के मोड़ पर जब हमें हमारी राजनीति पूरी तरह निराश कर चुकी है तब बाबा रामदेव उम्मीद की एक किरण बनकर उभरे हैं। उनका यह अभियान जितना यशस्वी होगा भारत का भविष्य उतना ही उजला होगा।


लेखक संजय द्विवेदी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के जनसंचार विभाग विभाग में रीडर हैं।

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

मेरी भी सुनो

अपनी बातें दूसरों तक पहुंचाने के लिए पहले रेडियो, अखबार और टीवी एक बड़ा माध्यम था। फिर इंटरनेट आया और धीरे-धीरे उसने जबर्दस्त लोकप्रियता...

साहित्य जगत

पूरी सभा स्‍तब्‍ध। मामला ही ऐसा था। शास्‍त्रार्थ के इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि किसी प्रश्‍नकर्ता के साथ ऐसा अपमानजनक व्‍यवहार...

मेरी भी सुनो

सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने घटिया खाने और असुविधाओं का मुद्दा तो उठाया ही, मीडिया की अकर्मण्यता पर भी निशाना...

समाज-सरोकार

रूपेश कुमार सिंहस्वतंत्र पत्रकार झारखंड के बोकारो जिला स्थित बोकारो इस्पात संयंत्र भारत के सार्वजनिक क्षेत्र का इस्पात संयंत्र है। यह संयंत्र भारत के...

Advertisement