सीखें, जानें, जुड़ें, जोड़ें और निडरता से खड़े हों लेखक

12 मार्च 2017 को इंदौर स्थित देवी अहिल्या केंद्रीय पुस्तकालय के अध्ययन कक्ष में प्रगतिशील लेखक संघ, इंदौर इकाई द्वारा एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में प्रलेसं के प्रांतीय महासचिव, कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता विनीत तिवारी ने हाल ही में मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के साथ शहीद लेखकों डॉ नरेंद्र दाभोलकर, कॉ गोविन्द पानसरे और एम एम कलबुर्गी के गृह नगरों क्रमशः सतारा, कोल्हापुर और धारवाड़ की अपनी यात्रा के संस्मरण सुनाए। इस यात्रा का उद्देश्य लेखकों की शहादत के प्रति अपना सम्मान प्रकट करना, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता ज़ाहिर करना एवं शहीद लेखकों के परिजनों के प्रति एकजुटता जताना तथा इस संकल्प का प्रसार करना था कि तर्कशीलता और विचारों की अभिव्यक्ति की आज़ादी का संघर्ष जारी रहेगा।

केजरीवाल पर आरोप : सच की सभावनाएं

कविवर रहीम का कथन है – ”रहिमन अँसुआ नैन ढरि, जिय दुख प्रकट करेइ। जाहि निकासौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ।।”  अर्थात् जिस प्रकार आँसू नयन से बाहर आते ही हृदय की व्यथा को व्यक्त कर देता है उसी प्रकार जिस व्यक्ति को घर से निकाला जाता है, वह घर के भेद बाहर उगल देता है। कुछ ऐसी ही आँसू जैसी स्थिति श्री कपिल मिश्रा की भी है जिन्होंने ‘आप’ के मंत्रिमंडल से बाहर होते ही दो करोड़ की मनोव्यथा जग जाहिर कर दी। रहीमदास के उपर्युक्त दोहे से इस प्रश्न का उत्तर भी मिल जाता है कि श्री कपिल मिश्रा ने दो करोड़ का रहस्य पहले क्यों नहीं प्रकट किया ? आँसू जब तक नेत्र से झरेगा नहीं तब तक मनोगत व्यथा व्यक्त कैसे हो सकती है ? वह तो आँसू के बाहर आने के बाद ही सार्वजनिक होगी।

चचा शिवपाल ने तलाशा अलग रास्ता!

अजय कुमार, लखनऊ
आखिरकार समाजवादी कुनबा बिखर ही गया। इसका दुख नेताजी मुलायम से अधिक शायद ही किसी और को हो। समाजवादी पार्टी को मुलायम ने अपने खून-पसीने से खड़ा किया था। अनु शिवपाल यादव उनके साथ ‘हनुमान’ की तरह डटे रहे तो मुलायम की राह आसान हो गई। मुलायम की मेहनत के बल पर समाजवादी पार्टी ने न केवल उत्तर प्रदेश में अपनी पहचान बनाई बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी सपा का झंडा हमेशा बुलंद रहा। यूपी में सपा को तीन बार सत्ता हासिल हुई इतनी ही बार मुलायम सिंह यूपी के सीएम भी बने।(पहली बार मुलायम जनता दल से सीएम बने थे और बाकी दो बार समाजवादी पार्टी के बल पर सत्ता हासिल की थीं।) केन्द्र में गठबंधन की सियासत के दौर में नेताजी मुलायम सिंह ने रक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभाली थी। दस वर्षो तक यूपीए की मनमोहन सरकार मुलायम के समर्थन से मजबूती हासिल करती रही। मुलायम के दांव के सामने सियासत के बड़े-बडे सूरमाओं को कई बार चारो खाने चित होते देखा गया है,लेकिन वो ही मुलायम अपने बेटे से हार गये।

कोई दलित चेहरा होगा भाजपा का अगला उत्तर प्रदेश अध्यक्ष!

भाजपा का यह एक अचूक निशाना हो सकता है, यदि भाजपा ऐसा करती है तो एक तीर से कई निशाने निश्चित साध लेगी, क्योंकि भाजपा की रणनीति आने वाले लोक सभा चुनाव में सभी समीकरणों को मजबूती से सिद्ध करना होगा, वास्तव में भाजपा आने वाले लोकसभा चुनाव में पुन: अपनी बड़ी जीत दर्ज करवाने का प्रयास करेगी, जिसके लिए भाजपा को उत्तर प्रदेश की धरती पर एक ऐसा प्रदेश अध्यक्ष चाहिए जोकि ऐसी जाति से आता हो जिससे दलित वोट बैंक को भी आसानी से साधा जा सके, आने वाले लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपने राजनीतिक समीकरण को मजबूती से धरातल पर उतारने का प्रयास करेगी जिसमें सभी जातियों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करेगी जिसका मुख्य आधार दलित एवं पिछड़ा वर्ग होगा दलित वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने हेतु भारतीय जनता पार्टी सम्पूर्ण रूप से इस क्षेत्र में सफल होने का प्रयास करेगी। अत: इस समीकरण को एक मजबूत एवं आधारयुक्त स्थिति में धरातल पर उतारने हेतु कर्मठ एवं योग्य व्यक्ति की आवश्यकता होगी, जो कि सभी समीकरणों को संगठन के साथ आसानी बैठा सके|

माओवाद का समाधान है–आर्थिक समानता और कृषि व ग्रामीण विकास

छत्तीसगढ़ के सुकमा क्षेत्र में केन्द्रीय सुरक्षा बलों (सीआरपीएफ) पर योजनाबद्ध तरीके से किये गये हालिया हमले में जिस तरह लगभग तीन सौ माओवादियों ने तकरीबन दो सौ ग्रामीणों को आगे कर अकस्मात् हमला किया वह उनकी हर बार बदलती पैंतरेबाजी का एक नया नमूना है। जिस प्रकार माओवादी प्रहार और विस्तार में निरंतर वृद्धि कर अपने शक्तिशाली होते जाने का संदेश दे रहे हैं, वह और भी चिंता पैदा करता है। सुरक्षा मामलों के जानकार मानते हैं कि नक्सलियों के गढ़ में सेना की छावनी स्थापित करने से आतंकवाद पर अंकुश लगाया जा सकेगा और प्रभावित क्षेत्र में विकास कार्यों को गति मिलेगी। दूसरी तरफ योजनाकारों के लिए विचारणीय तथ्य यह होना चाहिए कि जब तक देश में आर्थिक समानता और कृषि व ग्रामीण विकास के द्वार नहीं खुलेंगे तब तक आंतरिक शांति और सीमाओं पर खतरा मंडराता रहेगा।

देश और प्रदेश में भाजपा की सरकार है और कश्मीर की आग बेकाबू है

कश्मीर में जो कुछ हो रहा है उसे देखकर नहीं लगता कि आग जल्दी बुझेगी। राजनीतिक नेतृत्व की नाकामियों के बीच, सेना के भरोसे बैठे देश से आखिर आप क्या उम्मीद पाल सकते हैं? भारत के साथ रहने की ‘कीमत’ कश्मीर घाटी के नेताओं को चाहिए और मिल भी रही है, पर क्या वे पत्थर उठाए हाथों पर नैतिक नियंत्रण रखते हैं यह एक बड़ा सवाल है। भारतीय सुरक्षाबलों के बंदूक थामे हाथ सहमे से खड़े हैं और पत्थरबाज ज्यादा ताकतवर दिखने लगे हैं।

योगी के सामने नतमस्तक

अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तेजी से फैसले ले रही है। उम्मीद है कि जल्द इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। बात आज तक की कि जाये तो फिलहाल  कानून व्व्यवस्था को छोड़कर अन्य फैसलों का अभी जमीन स्तर पर कोई खास असर नहीं दिखाई पड़ रहा है और यह उम्मीद भी नहीं की जा सकती है,इतनी जल्दी किसी सरकार के फैसले जमीन पर उतर सकते है, लेकिन जनता में योगी सरकार को लेकर विश्वास है। यह बड़ी वजह है। गलत काम करने वालों के हौसले पस्त पड़ रहे हैं। सरकारी धन की लूट पर शिकंजा कसा जा रहा है तो समाज में व्याप्त भेदभाव और भय के माहौल को कम करने के लिये भी योगी सरकार प्रयत्नशील है।

ई.वी.एम. पर आक्षेप : कितना सही?

एक पुरानी कहावत है – ‘नाच न आवै आँगन टेढ़ा’। इसका सीधा सा अर्थ है — अपनी त्रुटि अथवा अक्षमता के लिए अन्य को दोषी ठहराना । यह बड़ी सहज मानव प्रवृत्ति भी है कि मनुष्य स्वयं को निर्दोष सिद्ध करने और आरोप मुक्त बनाने के लिए अपनी गलतियाँ दूसरों के सिर पर मढ़ देता है। विगत कुछ महीनों में आए चुनाव परिणामों के अनन्तर ई.वी.एम. पर किया गया आक्षेप भी ऐसी ही मानवीय निम्नवृत्ति का परिचायक है। रोचक यह है कि हारे हुए लोग एक स्वर से ई.वी.एम. को दोषी ठहराने लगे हैं जबकि विजयी पक्ष दलीय भेदभाव त्यागकर ई.वी.एम. से चुनाव की निष्पक्षता का समर्थन कर रहें हैं। इस संदर्भ में उ.प्र. और पंजाब के चुनावों में विजयी नेता एकमत हैं , जबकि पराजित दलों के नेता परस्पर सर्मथन करते हुए अपनी पराजय का ठीकरा ई.वी.एम के माथे पर फोड़ रहे हैं।

पत्थरबाजों का उपचार पत्थर से ही संभव

कश्मीर के अलगाववादी संगठनों से प्रेरित और पाकिस्तानी कूटनीतिओं की अमानवीय षडयंत्रकारी मानसिकता से पोषित पत्थरबाजों के विरुद्ध आदिवासी युवाओं की आवाज राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण संदेश है। राष्ट्रीय आपदा के समय राष्ट्र की अस्मिता और गौरव की रक्षा के लिए ; अपने देशवासियों के लिए हम क्या कर सकते हैं ; प्रगति और विकास के इन सोपानों में हमारी रचनात्मक और रक्षात्मक भूमिका क्या हो सकती है, इसका उत्कृष्ट उदाहरण देकर आदिवासी जनसामान्य ने देश के उन बड़े कर्णधारों को आईना दिखाया है जो मानवाधिकारों के नाम पर कश्मीर की आतंकवादी और अलगाववादी शक्तियों के साथ खड़े हैं; उनके पक्ष में बयानवाजी करते हैं।

VVPAT can easily do voter fraud in Indian Elections

Indian political parties, central gov is again fooling you through vvpat machines. These machines can easily do frauds like Evm  and go undetected. All political parties do hunger strike in front of Parliament until gov is forced to ban evm, vvpat and EC agrees for paper ballot System only. Common VVPAT Frauds are:

Video of voter behavior during an actual election revealed that most voters do not “verify” their choices by reading the VVPAT.

डरे-डरे से राहुल और सहमी-सहमी सी कांग्रेस

कार्यकर्ताओं के टूटते मनोबल और चुनाव में लगातार मिल रही  हार ने कांग्रेस और उसके नेता बुरी तरह परेशान है। हालात सुधारने के लिए मंथन किया जा रहा है। लेकिन पहली कोशिश ही फेल हो गई। कांग्रेस अध्य़क्ष सोनिया गांधी ने सांसदों से मिलने के लिए भोज का आयोजन किया। सबको न्यौता दिया। कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने 44 लोकसभा और 59 राज्यसभा सांसदों के लिए पहुंचने की सुविधा का भी खयाल रखा और संसद परिसर में ही इस रात्रि भोज का आयोजन किया। लेकिन फिर भी कुल 103 में से सिर्फ 60 सांसद ही सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे। 43 आए ही नहीं और न ही न आने की कोई सूचना तक दी। जो कांग्रेसी कभी सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ के बाहर घंटों कतार लगाकर अपने नेता की एक झलक पाने के लिए बेताब रहते थे, उनका व्यक्तिगत निमंत्रण पर भी न पहुंचना कांग्रेस को सबसे ज्यादा परेशान कर रहा है। शर्म से बचने के लिए कांग्रेस की तरफ से बहाना यह बनाया गया कि मोतीलाल वोरा की तबियत खराब हो गई थी, सो सांसद वहां चले गए थे। लेकिन देश बेवकूफ नहीं है, वह सब समझता है। मोतीलाल वोरा कोई गांधी परिवार के बुलावे के सामने इतने महत्वपूर्ण है कि सांसद राहुल गांधी और सोनिया की उपेक्षा करके उन्हें देखने चले जाएं। फिर ऐसे बहानों से अब बचाव की कोशिशें उल्टे कांग्रेस की भद्द ही पिटवा रहे है। हालात खराब है और सुधरने की गुंजाइश लगातार कम होती जा रही है।

बालक भीम के बचपन के नायक कबीर थे

ज्ञान और कल्याण के प्रतीक बाबा साहब अंबेडकर… बाबा साहब अंबेडकर जैसे महापुरूष की जयंती मनाने से अपने आप में गर्वबोध महसूस होता है। अंबेडकर जयंती मनाने में हमें एकदम से डूबना नहीं है, बल्कि बाबा साहब द्वारा बताए गए मार्ग को अनुसरण करना है और उनकी विचारधारा को अनुसरण करने लिए आह्वान करना है। डॉ.अंबेडकर के आदर्शों को आत्मसात करने की जरूरत है। वर्तमान परिवेश में उनका जीवन, विचार और आदर्श अतिप्रासंगिक है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू छावनी कस्बे में 14 अप्रैल,1891 को भीमा बाई तथा रामजी की संतान के रूप में हुआ। वे दलित परिवार के महार जाति में जन्म लिए थे। यह वह समय था जब भारतीय समाज पूरी तरह से वर्ण-व्यवस्था के चंगुल में फंसा हुआ था ऐसी स्थिति में एक दलित बालक का संविधान निर्माता बनना तो दूर, पढ़ना और काबिलियत के बल पर अपने लिए एक नई राह का निर्माण किया।

कश्मीर में सरकार आपकी पर ‘राज’ किसका?

कश्मीर में सुरक्षा बलों की दुर्दशा और अपमान के जो चित्र वायरल हो रहे हैं, उससे हर हिंदुस्तानी का मन व्यथित है। एक जमाने में कश्मीर को लेकर हुंकारे भरने वाले समूह भी खामोश हैं। ऐसे में यह सवाल पूछने का मन हो रहा है कि कश्मीर में सरकार तो आपकी है पर ‘राज’ किसका है ? कश्मीर एक ऐसी अंतहीन आग में जल रहा है जो हमारे प्रथम प्रधानमंत्री की नादानियों की वजह से एक नासूर बन चुका है। तब से लेकर आजतक सारा देश कश्मीर को कभी बेबसी और कभी लाचारी से देख रहा है।

तो ‘आधार आधारित पेमेंट’ सिस्टम के कारण उंगलीमार डाकुओं की होगी वापसी!

केंद्र की मोदी सरकार ने भीम एप शुरू कर दिया है| आधार पेमेंट का सिस्टम शुरू हो गया गया है| डिजिटल इंडिया का सपना जल्द ही साकार होगा| हमारा देश भी विकसित हो जाएगा| लेकिन इसी बीच एक और बात ख़ास होगी। वो ये कि अब चोरी और अपराध की वारदातों में कमी आएगी| साथ ही पुलिस को भी अब थोड़ी राहत मिलेगी| लेकिन शायद अब आफत गले पड़ने वाली है| क्यूंकि अब हर पेमेंट एक ऊँगली से हुआ करेगी। तो ऐसे में चोर या ऐसे आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोग उँगलियाँ ही काटा करेंगे| फिर ऊँगली या अंगूठा ही उनकी तिजोरी की चाबी हुआ करेगी|

Minority Coordination Committee Gujarat

C/o- D 404 Hateem 1, Sonal Cinema Road, Juhapura, Ahmedabad, M-9328416230

Press Note

Minority coordination committee Gujarat is formed on 18 December 2016 on Minority rights day to advocate issues of minorities. We see that minority in Gujarat is more underprivileged than others.

We see that No any additional classroom between 2013-2016 is allotted in districts with substantial minority population,  under JNNURM Basic Service to the Urban Poor (BSUP) cities/towns having a substantial minority population No any project is sanctioned, Operationalization of anganwadi centres under Integrated Child Development Services (ICDS) in Blocks having a substantial minority population No any target is framed during 2012-2015, Infrastructure Development for Minority Institutions (IDMI) only 6 institutions got around 17.68 lacs, Number of minority beneficiaries assisted for setting up of Individual and Group micro-enterprises under DAY-NULM (erstwhile SJSRY) no data available, Multi-sectoral Development Programme (MsDP) during 2014-2017 no project approved no fund released.

शरियत की द्रोपदी का चीरहरण कर रहे है टीवी चैनल्स

खामोश क्यों है वोटो की तिजारत करने वाले उलमा!

मौलाना साहब। आप तो सर्जन हैं सर्जरी करिये, दातों के इलाज में ही मत उलझे रहिये! शरियत की हिफाजत करियेगा तो अवकाफ, कौम, मुसलमान और उनके हुकूक खुद महफूज हो जायेंगे। जिस्म तनदुरुस्त रहेगा तो दन्त, केश, नाखून खुदबखुद चमकेंगे। रूहानियत को संवारये… इसका ख्याल रखियेगा तो जिस्म गलत काम करना छोड़ ही देगा।

भाजपा के आंबेडकर प्रेम का सच

उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से चुनाव जीतने के बाद भातीय जनता पार्टी (भाजपा) को यह अहसास हुआ है कि इस चुनाव में उसे सबसे अधिक आरक्षित सीटें मिली हैं क्योंकि दलितों का एक बड़ा हिस्सा उसकी तरफ आ गया है. इस सफलता में उस द्वारा पिछले कुछ वर्षों से आंबेडकर के प्रति दिखाए गए प्रेम का भी काफी बड़ा हाथ है. दलितों को आकर्षित करने के लिए उसने दलित नेताओं को भाजपा में शामिल  करने के साथ साथ आंबेडकर को भी हथियाने के गंभीर प्रयास किये हैं. एक तरफ जहाँ उसने इंग्लॅण्ड में डॉ. आंबेडकर के पढ़ाई के दौरान रहने वाले मकान को खरीद कर स्मारक का रूप दिया है वहीँ दूसरी तरफ बम्बई में उनके रहने के  स्थान पर एक भव्य स्मारक बनाने हेतु भूमि का अधिग्रहण भी किया है. पिछले साल मोदीजी ने दिल्ली में बाबासाहेब के निवास स्थान पर एक भव्य स्मारक बनाने का शिलान्यास भी किया था. 

‘इंदौरी’ भण्डारा..!

`लौन्डा-लपाड़ी मित्रमण्डल’ आप सभी ‘धरम पिरेमी’ जनता का हारदीक-हारदीक अभिनंदन करती है… सुवागत करती है… वंदन करती है… इसी के साथ जनता ‘हेमा’ बन गई… (अब इतना डिपली में मत घुसो और आगे बढ़ो!)

वो हुवा यूं कि अपन भण्डारे में गए थे… ये लिख इसलिए रिया हूं कि भण्डारे की लोकेशन ही कुछ ऐसी थी कि – एकदम खुल्लमखुल्ला जगो… (गंदगी वाला ‘झक्कास कम्पाउण्ड’ बोल सकते हो!)… अपन ने आयोजक को ‘दण्डवत’ तभी कर दिया जब देखा कि एक ओर ‘कल्लू की कलाली’ पर ‘सोमरस’ के लिए ‘श्रद्धालु’ लाइन में लगे थे, वहीं उसके ठीक सामने ‘जिमने का जश्न’ चल रहा था… मतलब इधर पियो… और उधर सूतो…

जानवर क्यों हो रहे हैं आक्रामक?

देहरादून। मनुष्य स्वयं तो स्वतंत्रता चाहता है मगर दूसरे को अपने वश में रखना चाहता है। जैसे पालतू बेजुबानों के साथ करता है। बंधन में रखना, उन पर अत्याचार करना, पालतू जानवरों से उनकी क्षमता से अधिक कार्य लेना अपना अधिकार समझता है। यही नहीं जंगली जानवरों पर भी अपना अधिकार जताता है। अपने को सबसे शक्तिशाली जता कर बेजुबानों के आगे दंभ भरने को शायद अपनी फितरत समझता है।

नए रूप में महुआ प्लस, अब मिलेगा और ज़्यादा मनोरंजन

काफी कम समय में देश विदेश के भोजपुरिया दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाने मे कामयाब रहा महुआ प्लस अब दर्शकों को एक नए कलेवर और नये रंग रूप में नज़र आएगा। महुआ प्लस पहले से ही अपने एक से बढ़कर एक  बेहतरीन रिएलिटी शोज के लिए दर्शकों के बीच काफी प्रसिद्द है जिसके वजह से यह चैनल दर्शकों के बीच पहली पसंद के साथ हमेशा सुर्खियों मे रहा है। भौजी नं वन, सुरवीर जैसे रिएलिटी शोज, नए भोजपुरी फिल्म, हिंदी – भोजपुरी फ़िल्मी गाने , भक्ति भजन आरती जैसे उम्दा कार्यक्रम को दर्शकों ने हमेशा अपना प्यार दिया है।

जब पुलिस अफसर ने कहा- काजू खान, मैं आपकी हिस्ट्री जानता हूं!

एक पुलिस अधिकारी के वक्तत्व पर समर्पित मेरा यह आलेख! हुआ यूं की मैंने एक मामले को लेकर पुलिस अधिकारी से कल बात की। उस अधिकारी ने अपने पद के रौब में आकर मुझे अर्दब देने के लिए कहा “काजू खान” मैं आपकी हिस्ट्री जानती हूं। पुलिस अधिकारी का यह कहना कितना जायज है, और उसके क्या मायने हैं। मैंने सच को हमेशा सच कहा है कभी कोई प्रशासनिक अधिकारी अगर गलत रहा है तो मैंने उसे गलत ही कहा है। मैं दिन को दिन ही कहूंगा, किसी के दबाव में रात नहीं कह सकता हूं। रही बात मेरी हिस्ट्री की तो इतना समझ लो, किसी ने बदतमीजी की तो मैंने उसे मुंह तोड़ जवाब दिया है, फिर चाहे पुलिस विभाग के सब इंस्पेक्टर ने मुझे गोली ही क्यों न मार दी हो।

डीयू नॉर्थ कैंपस के हॉस्टलस की अनसुनी कहानियां पर है मूवी ‘माय वर्जिन डायरी’

वर्जिन ट्री की पूजा के बारे में आपने तो सुना ही होगा, हिन्दू कॉलेज के हॉस्टलर्स अपनी वर्जिनिटी से छुटकारा पाने के लिए हर साल 14th Feb को इसकी धूमधाम से पूजा करते है, ये एक बहुत ही बड़ा उत्सव होता हैं!  मूवी के बारे में : “माय वर्जिन डायरी” मूवी, नॉर्थ कैंपस दिल्ली विश्विद्यालय, के हॉस्टलस की उन अनसुनी कहानियों के बारे में है! वहां ज़िन्दगी की शुरआत रात में होती है, सिगरेट और चाय के प्याले पर ज़िन्दगी की सारी उलझनों का समाधान खोजा जाता हैं !

सरकार के संरक्षण में युवा वाहिनी कर रही है ईसाइयों पर हमले!

उत्तर प्रदेश की पुलिस हिन्दू वाहिनी की लठैत बन गयी है…. दलितों पर हमले करने वाले सवर्णों को पता है कि मुख्यमंत्री उनके समर्थक हैं…

लखनऊ : रिहाई मंच में महाराजगंज में हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं द्वारा धर्मान्तरण का आरोप लगाकर जबरन चर्च में प्रार्थना रोकने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हिन्दू युवा वाहिनी के लोग अल्पसंख्यक समुदाय के मौलिक अधिकारों का हनन कर रहे है जिसको बर्दाश्त नही किया जायेगा. मंच ने राजधानी लखनऊ में दलित परिवार के ऊपर हमले और आगरा,प्रतापगढ़ और फिरोजाबाद में पुलिसकर्मियों की हत्या पर टिप्पणी करते हुए कहा कि योगी की कानून व्यवस्था की यही सच्ची तस्वीर है.

यशोधरा जी..तो क्या सिर्फ लाल बत्ती के लिए ‘अम्मा महाराज’ का अपमान भी सह लिया?

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न जाने किस झोंक में कह दिया कि “सिंधिया परिवार” ने अंग्रेजों से मिल कर भिण्ड के लोगों पर बहुत ज़ुल्म किये… शायद वे भूल गए कि जिस पार्टी ने उन्हें यहाँ तक पहुँचाया उसकी रक्त मज्जा में राजमाता विजया राजे सिंधिया का खून पसीना लगा है…और तो और उसी सिंधिया परिवार की वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं और खुद उनकी कैबीनेट में यशोधरा राजे मंत्री हैं…!

National Song “Vandemataram” is more important than National Anthem “Jana-Gana-Mana”

The poem ‘Vande Mataram’ is written by Sh. Bankim Chandra Chatterjee. It literally means ‘I praise thee Mother’ but the translation by Sh. Aurobindo  is rendered as ‘I bow to thee Mother’.  It played a vital role in the Indian independence movement, the first sung in a political context by Sh. Tagore at the 1896 session of the Indian National Congress.  English translation of first two versus by Sh. Arvindo is thus: “Mother, I bow to thee, Rich with thy hurrying streams, bright with orchard gleams, Cool with thy winds of delight, Dark fields waving Mother of might, Mother free.

राम जेठमलानी की कहानी

न्यूज चैनलों पर चलने वाले खबरों के ज्वार – भाटे से अक्सर ऐसी – ऐसी जानकारी ज्ञान के मोती की तरह किनारे लगते रहती हैं जिससे कम समझ वालों का नॉलेज बैंक लगातार मजबूत होता जाता है। अभी हाल में एक महत्वपूर्ण सूचना से अवगत होने का अवसर मिला कि देश के एक बड़े राजनेता अरविंद केजरीवाल का केस लड़ रहे वकील राम जेठमलानी ने उन्हें मात्र चार करोड़ रुपए की फीस का बिल भेजा है। इस बिल पर हंगामा ही खड़ा हो गया। इसलिए नहीं कि बिल बहुत ज्यादा है, बल्कि इसलिए कि बिल का पेमेंट राजनेता करें या वह सरकार जिसके वे मुख्यमंत्री हैं।

मंत्री प्रकाश पन्त द्वारा एक क्रांतिकारी पहल

देहरादून । प्रकाश पन्त माननीय वित्त, पेयजल, आबकारी, संसदीय कार्य, व विधाई मंत्री उत्तरारखण्ड सरकार द्वारा कल दिनांक 8 अप्रैल 2017 को उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगीजी से लखनऊ स्थित उनके कार्यालय में शिष्टाचारपूर्ण भेंट की गई। सौहार्दपूर्ण वातावरण में मा0 मंत्री श्री पन्तजी द्वारा उत्तर प्रदेश के मा0 मुख्यमंत्री जी के सामने उत्तराखण्ड से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा की गई और उत्तराखण्ड की परिसम्पत्तियों को हस्तांतरित करने का अग्रहपूर्ण निवेदन किया गया।

कब ख़त्म होगा अयोध्या का वनवास?

वैसे तो आस्था इतिहास एवं कानून की जटिलताओं में दीर्घकाल से जकड़ी अयोघ्या नगरी के लिए 30 सितंबर 2010 का दिन स्वतंत्रता दिवस के समान साबित हो सकता था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस संवेदनशील मुद्दे पर अपना फैसला सुनाकर वह रोशनी दिखाने का प्रयास किया था, जो सम्पूर्ण राष्ट्र को अतीत के अन्धेरे से बाहर निकाल सकती थी। मालूम हो कि भारत के इतिहास में अयोध्या का यह मामला पिछले 500 – 600 वर्षो से धार्मिक विवादों में फंसा है एवं गत 67 वर्षो से न्यायालय में चल रहा है। देखा जाए तो यह समय अपने आप में राम के वनवास से भी काफी लम्बा है। साल 2010 से उच्चतम न्यायालय में लंबित पड़ा ये मामला एक बार फिर फ़रवरी 2016 में सुब्रमण्यम स्वामी के इस विवाद को लेकर काफी सक्रिय हो जाने के बाद  मीडिया की सुर्ख़ियों में आ गया था।

मंदिर-मस्जिद मामले में एक प्वाइंट यह भी है…

इलाहाबाद के संगम तट पर अकबर का किला है और किले के अंदर अक्षयवट और सरस्वती कूप है। जिक्र की गई इन दोनों चीजो के बारे में बात की जाये तो ये दोनों चीजे हिंदुधर्म को मानने वालों के लिए बहुत महत्व की चीज है।

अक्षयवट को लेकर मान्यता है कि इस वट के नीचे वनगमन के दौरान भगवान राम ने शयन किया था और उन्हें जब उस पेड़ के नीचे बेहद आराम मिला तो उन्होंने उसे कभी भी नष्ट न होने का वरदान दिया था।