: सरकारी दबाव से परेशान होकर मोहम्मद यूनुस ने उठाया यह कदम : सरकारी दखलंदाजी एवं बेतुके हस्तक्षेप के कारण बांग्लादेशी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पितामह ने अपना पद छोड़ दिया है, इसी के साथ एक और कर्मवीर ने घटिया व्यवस्थाओं से तंग आकर अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. बांग्लादेश के विश्व प्रसिद्ध उदार अर्थव्यवस्था के समर्थक गरीबों को स्वावलंबी बनाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने लघु ऋण प्रदाता संस्था ग्रामीण बैंक के प्रबंध निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसा उन्होंने अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार और गबन के आरोपों के चलते किया, जिस में सरकारी कार्यप्रणाली एवं न्यायालय के अनुचित हस्तक्षेप की बहुत बड़ी भूमिका है..कुछ समय पहले उनपर सरकार द्वारा विदेशी धन के लेन-देन का आरोप लगा था, जिस में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया गया.
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”आंदोलन तोड़ने के लिए मीडिया निगेटिव कवरेज देती है यहां मामला उल्टा है”
रात में 10.30 बजे मैं जंतर मंतर पहुंचा। सुबह की शिफ्ट 8 बजे से शाम 4 बजे तक होती है। इसके बाद काम से विश्वविद्यालय गया था। रात को पहुंचने पर जंतर मंतर पर जोश के साथ हमारा स्वागत किया गया। काफी सारे लोग जो पहले से ही इस मुहिम से जुड़े हुए थे, उनसे मिला.. अन्ना जी आराम करने जा चुके थे. वहीं अनुपम खेर जी ने आन्दोलन को अपने समर्थन पर रुख स्पष्ट करते हुए युवाओं से जुड़ने की अपील की। रात 11.30 बजे आज समाज के ग्रुप एडिटर राहुल देव जी से मिला… यूं तो मैं छोटा आदमी उनसे जान-पहचान नहीं फिर भी जिस गर्मजोशी से वे युवाओं से इस चर्चा में जुटे हुए थे वह काबिले तारीफ था।