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नन्‍द चतुर्वेदी के 90 वें जन्‍म दिन पर काव्‍य गोष्‍ठी आयोजित

उदयपुर। कविता का सबसे महत्‍वपूर्ण काम अपने समय और समाज को व्‍याख्‍यायित करना है, जो रचनाएं यह करती हैं वे ही कालजयी होती हैं। यह विचार वरिष्‍ठ कवि एवं साहित्‍यकार नन्‍द चतुर्वेदी ने अपने 90 वें जन्‍मदिन पर शनिवार रात को यहां आयोजित काव्‍य गोष्‍ठी के अवसर पर व्‍यक्‍त किए। इस अवसर पर उन्‍होंने अपनी कविताओं का पाठ किया। शहर के साहित्‍यकारों की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम में कवियों ओर शायरों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर डा. महेन्‍द्र भानावत, डा. भगवती लाल व्‍यास, इकबाल सागर, मुश्‍ताक चंचल, प्रभा वाजपेयी, मधु अग्रवाल, शकुंतला सरुपरिया, डा. ज्‍योतिपुंज, डा. सदाशिव श्रोत्रिय ने कविताओं का पाठ किया।

<p>उदयपुर। कविता का सबसे महत्‍वपूर्ण काम अपने समय और समाज को व्‍याख्‍यायित करना है, जो रचनाएं यह करती हैं वे ही कालजयी होती हैं। यह विचार वरिष्‍ठ कवि एवं साहित्‍यकार नन्‍द चतुर्वेदी ने अपने 90 वें जन्‍मदिन पर शनिवार रात को यहां आयोजित काव्‍य गोष्‍ठी के अवसर पर व्‍यक्‍त किए। इस अवसर पर उन्‍होंने अपनी कविताओं का पाठ किया। शहर के साहित्‍यकारों की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम में कवियों ओर शायरों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर डा. महेन्‍द्र भानावत, डा. भगवती लाल व्‍यास, इकबाल सागर, मुश्‍ताक चंचल, प्रभा वाजपेयी, मधु अग्रवाल, शकुंतला सरुपरिया, डा. ज्‍योतिपुंज, डा. सदाशिव श्रोत्रिय ने कविताओं का पाठ किया।

उदयपुर। कविता का सबसे महत्‍वपूर्ण काम अपने समय और समाज को व्‍याख्‍यायित करना है, जो रचनाएं यह करती हैं वे ही कालजयी होती हैं। यह विचार वरिष्‍ठ कवि एवं साहित्‍यकार नन्‍द चतुर्वेदी ने अपने 90 वें जन्‍मदिन पर शनिवार रात को यहां आयोजित काव्‍य गोष्‍ठी के अवसर पर व्‍यक्‍त किए। इस अवसर पर उन्‍होंने अपनी कविताओं का पाठ किया। शहर के साहित्‍यकारों की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम में कवियों ओर शायरों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर डा. महेन्‍द्र भानावत, डा. भगवती लाल व्‍यास, इकबाल सागर, मुश्‍ताक चंचल, प्रभा वाजपेयी, मधु अग्रवाल, शकुंतला सरुपरिया, डा. ज्‍योतिपुंज, डा. सदाशिव श्रोत्रिय ने कविताओं का पाठ किया।

कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि नगर विकास प्रन्‍यास के अध्‍यक्ष रुपकुमार खुराना ने चतुर्वेदी के साथ पिछले चालीस सालों के सम्‍बन्‍धों का जिक्र करते हुए कहा कि साहित्‍यकार शहर की पहचान होते हैं और चतुर्वेदी उदयपुर की पहचान हैं। अध्‍यक्षता वर्धमान खुला विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेश दाधीच ने की। समारोह में अतिथियों का स्‍वागत करते हुए पत्रकार अनुराग चतुर्वेदी ने कहा कि नंद जी द्वारा नागपुर में हुए सम्‍मान समारोह में किए गए काव्‍यपाठ से प्रेरणा लेते हुए ही यह गोष्‍ठी आयोजित की गई। धन्‍यवाद वर्धमान खुला विश्‍वविद्यालय के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. अरुण चतुर्वेदी ने दिया।

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