: जय अवधी, जय हिंदी : नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में अवधी विकास संस्थान, लखनऊ की ओर से एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें अवधी माटी से जुड़े तमाम बुद्धिजीवी एकत्रित हुए। इस गोष्ठी की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार व नाटककार श्री असगर वजाहत ने की और कार्यक्रम के मुख्यअतिथि प्रसिद्ध पत्रकार राहुल देव थे। भाषा विज्ञानी विमलेश कांति वर्मा व अवधी भाषा के प्रतिष्ठित कवि और लेखक श्री जगदीश पीयूष ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम के संयोजक व मंच संचालक राकेश पाण्डेय ने कार्यक्रम का आरम्भ करते हुए स्पष्ट किया कि हमारा ध्येय हिंदी को कमजोर करना नहीं है इस लिए न तो हम ८ वी अनुसूची में सम्मिलित होने की मांग करते है और हमारा नारा जय अवधी –जय हिंदी है।
आयोजक शिवकुमार बिलग्रामी ने माल्यार्पण कर सभी अतिथियों का स्वागत किया। लखनऊ से पधारे अवधी के जाने माने कवि डा. अशोक ” अज्ञानी ” ने विचार गोष्ठी का शुभारम्भ एक सरस्वती वंदना से किया। तत्पश्चात डा. रामबहादुर मिश्र संपादक –अवध ज्योति ने अवध क्षेत्र और अवधी भाषा पर विस्तार से अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने इस बात का विशेष उल्लेख किया कि किस तरह नेपाल के प्राथमिक विद्यालयों में अवधी माध्यम से शिक्षा दी जा रही है। लोकसभा के वरिष्ठ निदेशक आर. सी. तिवारी ने अवधी की प्रासंगिकता पर बल दिया। विचार गोष्ठी में भाग लेते हुए प्रसिद्ध कवि डा. सुनील जोगी ने अवधी में लिखे जा रहे प्रचुर साहित्य का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वातंत्र्योतर अवधी काव्य पर शोध करते समय उन्होंने यह पाया कि अवधी में किया गया सृजन ही हिन्दी साहित्य का आधार है।
श्री जगदीश पीयूष ने स्वयं द्वारा सद्यः प्रकाशित अवधी ग्रंथावली का उल्लेख करते हुए कहा कि अवधी भाषा में लिखे गये साहित्य को अवध क्षेत्र वासियों ने जिस तरह से हृदयंगम कर रखा है उसकी कोई मिसाल नहीं है। उन्होंने इस बात का विशेष रूप से उल्लेख किया कि किस तरह तुलसी और जायसी ने काव्य – सृजन में अवधी को अपना माध्यम बनाया और यह परंपरा अब भी हिन्दू और मुसलमान दोनों समुदायों द्वारा जारी है। भाषा विज्ञानी विमलेश कांति वर्मा ने अपने जीवन में लंबे समय तक विदेशो पढ़ाने के अनुभव को बताते हुए प्रमाणित किया की सूरीनाम और फिजी की हिंदी अवधी ही है, जिसका प्रमाण वंहा की रचनायें है साथ ही उनके पूर्वज भी अवध छेत्र के ही थे। विचार गोष्ठी में श्री असगर वजाहत ने अपने विचार व्यव्त् करते हुए कहा कि अवधी भाषा में अभिव्यव्ति की जो सामर्थ्य और पहुंच है वहीं इस बोली को दूसरी बोलियों से विशिष्ट बनाती है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा हिन्दी और अवधी एक दूसरे की पूरक हैं। मूर्धन्य पत्रकार श्री राहुल देव ने अपने विचारों से सभी के मस्तिष्क को झंकृत कर दिया। उन्होंने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बाजारवाद के इस दौर में हिन्दी भाषा और इससे संबद्ध बोलियों को संकट की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए इस बात के प्रयास किये जाने चाहिए कि हम अपनी मौजूदा बोलियों को रोजगार से जोड़ सकें। अवध में बच्चों की आरम्भिक शिक्षा अवधी में हो। अवधी बचेगी तो हिंदी बचेगी, हिन्दी बचेगी तो अवधी बचेगी. उन्होंने बताया आज ३८ बोलियों के लिए सरकार पास अलग से मान्यता के लिए आवेदन पड़े है। विचार गोष्ठी के आयोजक दीपक दिवेदी ने गोष्ठी में पधारे सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया ।
प्रवासी संसार मैग्जीन के संपादक राकेश पांडेय की रिपोर्ट