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अखिल के साथ और ज्यादती बर्दास्त नहीं : संदीप पांडेय

गुवाहाटी : मैग्सेसे पुरस्कार विजेता तथा कई राष्ट्रीय संगठनों की संस्था जनआंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के वरिष्ठ सदस्य संदीप पांडेय ने कृषक नेता अखिल गोगोई की बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए कहा है कि अखिल के साथ और ज्यादती बर्दास्त नहीं की जाएगी। यदि राज्य सरकार उन्हें रिहा नहीं करती है तो 50  से अधिक सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन करेंगी। जिसकी शुरुआत अगले 3 अगस्त से 5 अगस्त के बीच नई दिल्ली में जंतर-मंतर से होगी। आज यहां गुवाहाटी प्रेस क्लब में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की सरकार आम लोगों के मौलिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले अखिल को यदि माओवादी कहती है तो इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है।

<p>गुवाहाटी : मैग्सेसे पुरस्कार विजेता तथा कई राष्ट्रीय संगठनों की संस्था जनआंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के वरिष्ठ सदस्य संदीप पांडेय ने कृषक नेता अखिल गोगोई की बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए कहा है कि अखिल के साथ और ज्यादती बर्दास्त नहीं की जाएगी। यदि राज्य सरकार उन्हें रिहा नहीं करती है तो 50  से अधिक सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन करेंगी। जिसकी शुरुआत अगले 3 अगस्त से 5 अगस्त के बीच नई दिल्ली में जंतर-मंतर से होगी। आज यहां गुवाहाटी प्रेस क्लब में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की सरकार आम लोगों के मौलिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले अखिल को यदि माओवादी कहती है तो इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है।

गुवाहाटी : मैग्सेसे पुरस्कार विजेता तथा कई राष्ट्रीय संगठनों की संस्था जनआंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के वरिष्ठ सदस्य संदीप पांडेय ने कृषक नेता अखिल गोगोई की बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए कहा है कि अखिल के साथ और ज्यादती बर्दास्त नहीं की जाएगी। यदि राज्य सरकार उन्हें रिहा नहीं करती है तो 50  से अधिक सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन करेंगी। जिसकी शुरुआत अगले 3 अगस्त से 5 अगस्त के बीच नई दिल्ली में जंतर-मंतर से होगी। आज यहां गुवाहाटी प्रेस क्लब में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की सरकार आम लोगों के मौलिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले अखिल को यदि माओवादी कहती है तो इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है।
उन्होंने कहा कि गोगोई सरकार का यह बयान दिवालियेपन और सत्ता में लौटने के अहंकार से भरा है,  लेकिन उन्हें यह जानना चाहिए कि सूचना का अधिकार का उपयोग कर आम लोगों को अधिकार दिलाने वाला और गांधीवादी अन्ना हजारे की सभा यहां आयोजित कराने वाला अखिल माओवादी कैसे हो सकता है। जल, जंगल और जमीन के लिए संघर्ष कर रहे जानेमाने समाजसेवी ने कहा कि पूरे देश के लोग जानते हैं कि अखिल गोगोई आम लोगों को मौलिक अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करते हैं और यहां की सरकार उसे फंसा रही है। क्योंकि सरकार को इस बात का अहसास हो गया है कि उनकी पार्टी का यहां कोई विकल्प नहीं है। श्री पांडेय ने कहा कि गरीबों के लिए लड़ने वाला अखिल अकेले नहीं है। उनके साथ देश देश के सैकड़ों संगठन हैं,  जो गरीबों को उजाड़ने के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। पिछले 22 जून को हुए दिसपुर कांड की भर्त्सना करते हुए श्री पांडे ने कहा कि यदि प्रशासन अहंकारी रूप अख्तियार न कर ज्ञापन ले लेता और मुद्दे पर बातचीत करने का आश्वासन देता तो हिंसा होने की कोई संभावना नहीं थी।

उन्होंने कहा कि वन संरक्षण कानून में कई विसंगतियां हैं और अंग्रेज के जमाने में बने कानून के सहारे सरकार गरीबों को दमन नीति के सहारे भूमि खाली करवाती है और फिर उसे पूंजीपतियों को सौंप देती है। श्री पांडे ने कहा कि यदि कहीं इसकी सख्त जरुरत है कि लोगों को हटाया ही जाए तो पहले सरकार को उन लोगों के आश्रय की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग सरकारी जमीन पर बसे हैं वे कहीं न कहीं मजबूर हैं और उनका अधिकार देना सरकार का काम है। श्री पांडेय ने कहा कि एक तरफ गरीबों को मकान देने के लिए बनी योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार होता है और सरकारें उसे लागू नहीं कर पाती है और दूसरी और उन गरीबों को बुल्डोजर के जरिए उजाड़ा जाता है।

संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित एनईएफपीएफडब्ल्यू के अशोक चौधरी तथा 40 संगठनों की संस्था एनआरबीडब्ल्यूपीएफ के बी राय ने कहा कि उनका संगठन पूरी तरह से अखिल के साथ है और राज्य की सरकार से उनकी मांग है कि अखिल के खिलाफ दायर मुकदमे को वापस लेने के साथ घटना की जांच की जाए और दोषियों को सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि उनका संगठन चाहेगा कि सरकार गरीबों और भूमिहीनों को उजाड़ने के बदले उनका अधिकार दे।

गुवाहाटी से नीरज झा की रिपोर्ट.

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