: सर्वजनहिताय संरक्षण समिति का दावा- सरकारी विभागों में कायम हो चुका है माफियाओं का वर्चस्व : लगातार हो रही हत्याओं और आत्महत्याओं से विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित : अपराधों को लेकर चारों ओर से घिरी बसपा सरकार पहले से ही गंभीर राजनीतिक घेराबंदी में फंसी हुई है! और अब, प्रदेश में बढते अपराधों को लेकर सूबे के अफसरों और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
प्रमुख राज्यकर्मी और सामाजिक संगठनों के संयुक्त संगठन उप्र सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने प्रदेष के अधिकारियों और कर्मचारियों पर हो रही घटनाओं और उसे रोक पाने में असफल प्रदेष सरकार पर आक्रोष जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री से ऐसी घटनाओं पर तत्काल अंकुष लगाने की मांग की है। समिति का आरोप है कि सरकारी विभागों में माफियाओं का वर्चस्व कायम हो चुका है। समिति का कहना है कि इन घटनाओं पर प्रभावी हस्तक्षेप न करने तक ईमानदार कार्मिकों को समुचित सुरक्षा और कार्य का स्वस्थ वातावरण नहीं बनाया जा सकता है। जाहिर है कि इसका असर प्रदेष के विकास पर गंभीर रूप से भी पडेगा।
समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे, एए फारूकी, ओम प्रकाश पाण्डेय, एसएस निरंजन, रामसेवक शुक्ल, देवेन्द्र द्विवेदी, चन्द्रभूषण पाण्डेय, डीपी गुप्ता ने आज जारी बयान में कहा कि सरकारी विभागों व निगमों में माफिया ठेकेदार के बढ़ते वर्चस्व व भ्रष्टाचार के चलते असुरक्षा का भय व्याप्त है और ईमानदार लोगों के लिये कार्य करना दुरूह हो गया है। समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने मुख्यमंत्री मायावती को आज पत्र भेजकर माँग की है कि हत्याओं व आत्महत्याओं की लम्बी श्रंखला के दोषी लोगों पर कठोर कार्यवाही की जाये और भ्रष्टाचार पर निर्णायक प्रहार कर कार्य का स्वस्थ वातावरण बनाया जाये जिससे प्रदेश के विकास कार्यो पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में विगत कुछ वर्षों में छह अधिकारियों की हत्या, तीन अधिकारियों की रहस्यमय मृत्यु और 4 अधिकारियों पर प्राण घातक हमले का विवरण देते हुये कहा गया है कि इन घटनाओं से ईमानदार अधिकारी भारी असुरक्षा महसूस कर रहे हैं और कल लखनऊ विकास प्राधिकरण के श्री हृदयेश की रहस्यमय मृत्यु से कार्मिकों में भारी गुस्सा है। पत्र में हवाला देते हुये कहा गया है, कि 24 दिसम्बर 2008 को इटावा में हुयी लोनिवि के अधिशाषी अभियन्ता इ0 मनोज गुप्ता की बर्बर हत्या, 02 अगस्त’2009 को गोरखपुर में सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियन्ता इ0 मनोज सिंह की हत्या, अक्टूबर 2009 में गोन्डा में सहायक अभियन्ता इ. रूप राम भास्कर की हत्या, अक्टूबर 2010 में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आर्य की हत्या, अप्रैल 11 में डा. बीपी सिंह की हत्या, अगस्त’07 में शक्ति भवन के मुख्य अभियन्ता इ. बीके अग्रवाल की आत्म हत्या, लखनऊ जेल में डा0 सचान की हत्या और एलडीए के हृदयेश के क्षत विक्षत शव के मिलने से प्रदेश के लाखों कार्मिकों में तीव्र आक्रोश व्याप्त है। पत्र में 18 मई’10 को सिंचाई विभाग के मुख्य अभियन्ता आनन्द मोहन प्रसाद, 25 मार्च’2010 को वाराणसी में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियन्ता जेके सिंह, जून’2009 में सुल्तानपुर में लोनिवि के सहायक अभियन्ता राजीव कुमार, अप्रैल’2009 में सैफई में राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट इन्जीनियर प्रकाश बिहारी और जनवरी’2009 में लोक निर्माण विभाग के अवर अभियन्ता एस के श्रीवास्तव पर माफिया ठेकेदार व राजनेताओं की मिली भगत से किये गये जान लेवा हमलों का हवाला देते हुये कहा गया है कि स्पष्ट है कि प्रदेश में कार्य का वातावरण पूरी तरह समाप्त हो गया है।