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उत्‍तराखंड में निशंक से छिनेगी मुख्‍यमंत्री की कुर्सी!

कर्नाटक के बाद अब उत्‍तराखंड में भी चुनाव के पहले मुख्‍यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को बदले जाने की तैयारी हो चुकी है. भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहे मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के विकल्प की तलाश शुरू हो गई है. खबर है कि नए मुख्यमंत्री पद के लिए बीसी खंडूरी व पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोश्यारी के नामों पर विचार चल रहा है. गुरुवार देर शाम भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में यह महसूस किया गया कि चुनाव से पहले प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलना पार्टी की जरूरत हो गई है. इसका प्रमुख कारण बताया जा रहा है भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आडवाणी की निकलने वाली रथयात्रा. भाजपा इस यात्रा से पहले संदेश देना चाहती है कि वह भ्रष्‍टाचार के पूरी तरह खिलाफ है. 

<p>कर्नाटक के बाद अब उत्‍तराखंड में भी चुनाव के पहले मुख्‍यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को बदले जाने की तैयारी हो चुकी है. भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहे मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के विकल्प की तलाश शुरू हो गई है. खबर है कि नए मुख्यमंत्री पद के लिए बीसी खंडूरी व पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोश्यारी के नामों पर विचार चल रहा है. गुरुवार देर शाम भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में यह महसूस किया गया कि चुनाव से पहले प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलना पार्टी की जरूरत हो गई है. इसका प्रमुख कारण बताया जा रहा है भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आडवाणी की निकलने वाली रथयात्रा. भाजपा इस यात्रा से पहले संदेश देना चाहती है कि वह भ्रष्‍टाचार के पूरी तरह खिलाफ है. 

कर्नाटक के बाद अब उत्‍तराखंड में भी चुनाव के पहले मुख्‍यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को बदले जाने की तैयारी हो चुकी है. भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहे मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के विकल्प की तलाश शुरू हो गई है. खबर है कि नए मुख्यमंत्री पद के लिए बीसी खंडूरी व पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोश्यारी के नामों पर विचार चल रहा है. गुरुवार देर शाम भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में यह महसूस किया गया कि चुनाव से पहले प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलना पार्टी की जरूरत हो गई है. इसका प्रमुख कारण बताया जा रहा है भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आडवाणी की निकलने वाली रथयात्रा. भाजपा इस यात्रा से पहले संदेश देना चाहती है कि वह भ्रष्‍टाचार के पूरी तरह खिलाफ है. 

उत्‍तराखंड में फिलहाल फिलहाल नए नेता की दौर में पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी का नाम सबसे आगे चल रहा है. अगर सीएम की कुर्सी खंडूरी को मिलती है तो पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोश्यारी को प्रदेश संगठन की कमान की कमान सौंपी जा सकती है. गौरतलब है कि उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी में गुटबाजी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है. इसको लेकर भाजपा आलाकमान बहुत ज्यादा परेशान है. जानकारी के अनुसार ज्यादातर नेता मुख्यमंत्री को हटाने के पक्ष में बताए जा रहे हैं, लेकिन एक पूर्व अध्यक्ष समेत कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री को हटाने से होने वाली मुसीबतों का भी मामला उठाया, जिसके चलते लंबी चर्चा होने के बावजूद अभी पार्टी ने निशंक को हटाए जाने की घोषणा नहीं की है.

अगर पार्टी सूत्रों से मिल रही खबरों पर भरोसा किया जाए तो निशंक का जाना तो तय है पर इसके लिए सुविधाजनक रास्‍ता तैयार किया जा रहा है. यह भी बताया जा रहा है कि निशंक का पत्‍ता साफ हो गया है बस उस पर मुहर लगना बाकी है. बताया जा रहा है कि सीएम द्वारा उत्तराखंड में अवैध खनन व अन्य कई अनियमितताओं की ओर आंखे मूंदे रहने वाला रवैया और भ्रष्‍टाचार की शिकायते इसका आधार बना है. लंबी चर्चा के बाद पार्टी ने फिलहाल कोई भी औपचारिक ऐलान से परहेज किया है, मगर सूत्रों के मुताबिक निशंक से इस्तीफा लेने पर गंभीरता से विचार हुआ है, मुमकिन है पार्टी जल्द देहरादून में विधायक दल की बैठक करके नए नेता के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करेगी. नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए आलाकमान अपने प्रेक्षक देहरादून भेज सकता है.

सूत्रों का कहना था कि सीएम से 10 सितम्‍बर को इस्‍तीफा लिया जा सकता है और विधायक दल की बैठक 11 सितंबर को संभव हो सकती है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. यह पहला मौका नहीं जब आलाकमान को सीएम के खिलाफ असंतोष से दो-चार होना पड़ा हो. इसके पहले भी हाई कमान इन झमेलों से जूझ चुका है. जून के महीने में भी प्रदेश कोर ग्रुप की केंद्रीय नेताओं से मैराथन बैठक हुई थी, जिस में प्रदेश के दो दिग्‍गज बीसी खंडूरी और भगत सिंह कोश्यारी ने निशंक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. इन नेताओं की नाराजगी को देखते हुए अध्यक्ष नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री के पर कतरते हुए एलान किया था कि आगामी विधानसभा चुनाव तीनों नेताओं के सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा. संकेत साफ था कि निशंक चुनावों में पार्टी का चेहरा नहीं होंगे.

निशंक के खिलाफ कार्रवाई का मुख्‍य कारण भ्रष्टाचार माना जा रहा है. सीएम पर भ्रष्‍टाचार के आरोपों के अलावा मनमानी की शिकायतें भी आलाकमान को मिली हैं. इसके अलावा विधायकों ने भी पार्टी हाई कमान तक यह बात पहुंचाई है कि निशंक के नेतृत्‍व में चुनाव जीत पाना संभव नहीं है. पिछली कोर ग्रुप बैठक के जरिए आलाकमान ने सभी को साथ लेने का संदेश देकर प्रदेश इकाई में बढ़ते असंतोष को काबू करने की कोशिश की थी मगर मामला उल्टा पड़ गया. अब जबकि आडवाणी ने भ्रष्‍टाचार के खिलाफ रथ यात्रा की तैयारी कर ली है तो आलाकमान निशंक को हटाकर दो निशाना लगाना चाहता है. पहला भ्रष्‍टाचार के खिलाफ कार्रवाई के संदेश का तो दूसरा उत्‍तराखंड के चुनाव में साफ छवि के चेहरे को सीएम की कुर्सी पर बैठाने का. यानी येदुयरप्‍पा के बाद निशंक भ्रष्‍टाचार के आरोप में हटने वाले दूसरे सीएम होंगे.

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