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कांग्रेस और पीएम का बड़प्पन! अच्छे स्वास्थ्य के लिए अन्ना को फूल

अंग्रेजी वाले ‘फूल’ के दो अर्थ होते हैं. एक का अर्थ तो फ्लावर वाला फूल होता है. थोड़ी सी स्पेलिंग बदल देने पर मतलब ‘मूर्ख’ हो जाता है. कांग्रेस ने कभी अन्ना हजारे को मूर्ख वाला फूल मानने-बनाने की कोशिश की थी. जैसे रामदेव को मूर्ख वाला फूल पहना-बना दिया था. पर जब कांग्रेस को अंदाजा हुआ कि ये अन्ना हजारे मूर्ख वाले फूल नहीं पहन-बन सकते तो उन्हें अब फ्लावर वाला फूल भेंट कर दिया गया है.

<p>अंग्रेजी वाले 'फूल' के दो अर्थ होते हैं. एक का अर्थ तो फ्लावर वाला फूल होता है. थोड़ी सी स्पेलिंग बदल देने पर मतलब 'मूर्ख' हो जाता है. कांग्रेस ने कभी अन्ना हजारे को मूर्ख वाला फूल मानने-बनाने की कोशिश की थी. जैसे रामदेव को मूर्ख वाला फूल पहना-बना दिया था. पर जब कांग्रेस को अंदाजा हुआ कि ये अन्ना हजारे मूर्ख वाले फूल नहीं पहन-बन सकते तो उन्हें अब फ्लावर वाला फूल भेंट कर दिया गया है.</p>

अंग्रेजी वाले ‘फूल’ के दो अर्थ होते हैं. एक का अर्थ तो फ्लावर वाला फूल होता है. थोड़ी सी स्पेलिंग बदल देने पर मतलब ‘मूर्ख’ हो जाता है. कांग्रेस ने कभी अन्ना हजारे को मूर्ख वाला फूल मानने-बनाने की कोशिश की थी. जैसे रामदेव को मूर्ख वाला फूल पहना-बना दिया था. पर जब कांग्रेस को अंदाजा हुआ कि ये अन्ना हजारे मूर्ख वाले फूल नहीं पहन-बन सकते तो उन्हें अब फ्लावर वाला फूल भेंट कर दिया गया है.

प्रधानमंत्री मनमोहन ने अन्ना के जल्द स्वस्थ होने की कामना के साथ उन्हें फूलों का गुलदस्ता भेजा है. अन्ना इन दिनों गुड़गांव के मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में दाखिल हैं. 12 दिन तक अनशन के कारण उनका शरीर असामान्य हो चुका था जिसे पटरी पर लाने के लिए डाक्टर रात दिन एक किए हुए हैं. जल्द ही वे सामान्य होकर अस्पताल से बाहर आ जाएंगे, ऐसा डाक्टरों का कहना है. अन्ना के अस्पताल में होने के बावजूद पूरा देश अन्नामय बना हुआ है. अन्ना आंदोलन और उसके प्री व पोस्ट हालात की चर्चा जोरों पर है.

कुछ लोग एक नई बात लेकर आए हैं. जाहिर है. ये कांग्रेस की लाबी है. या फिर कांग्रेस समर्थक लोग हैं. इनका कहना है कि इस देश को सिर्फ कांग्रेस पार्टी चला सकती है. वह अच्छे से इस देश के मिजाज को समझती है. अगर दूसरी कोई पार्टी केंद्र की सत्ता में रही होती तो अब तक देश में अराजकता की स्थिति आ गई होती क्योंकि वह अन्ना के आंदोलन को टैकल नहीं कर पाती. कांग्रेस पार्टी ने हर वह तरीका अपनाया जिससे आंदोलन और अराजकता से निपटा जा सके. अंततः जब लगा कि देश को उपद्रव और अराजकता से बचाने के लिए अन्ना की बात मान लेना ही श्रेयस्कर है तो पार्टी ने यही किया. बिना कोई इगो दिखाए कांग्रेस और पीएम ने अन्ना की बात तेरहवें दिन मान ली. संसद को इसके लिए कनवींस किया गया. और इस प्रकार दोनों पक्षों की लाज बच गई. इन लोगों का यह भी कहना है कि कांग्रेस ने अपने रवैये से देश के लोकतंत्र को मजबूती प्रदान की है और साबित किया है कि इस देश को जनता की इच्छा को सरआंखों पर रखने वाली ही चला सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि अन्ना आंदोलन के दौरान कई मौके आए जब टीम अन्ना ने संसद, मंत्रिमंडल और पीएम पर तीखे हमले किए. और, उधर सरकार और कांग्रेस पार्टी की ओर से भी अन्ना और उनकी टीम पर कई तरह के आरोप मढ़े गए. अन्ना ने भी मनमोहन की अनशन तोड़ने की अपील खारिज कर दिया था और कहा था कि उन्हें मेरी सेहत की फिक्र है तो वह इतने दिनों कहां थे. अन्ना के जवाब से पीएम आहत हुए थे और आगे से कोई अपील न करने की बात कह दी थी. पर पीएम ने फिर बड़प्पन दिखाते हुए अन्ना को जल्द स्वस्थ होने वाले कार्ड के साथ फूलों का गुच्छा भेजा और शुभकामनाएं दीं. कहने वाले कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता. न दोस्ती न दुश्मनी न वादा न घृणा न लगाव न विरोध. सब परिस्थितियों, दबाव और स्वार्थ के हिसाब से तय होता है. रामदेव को दिल्ली से किस कदर इसी सरकार ने पुलिस के जरिए खदेड़वा दिया, यह सभी को पता है. और जब देखा कि अन्ना के पुरजोर जनसमर्थन का सिलसिला थम नहीं रहा तो कांग्रेस ने अन्ना के आगे झुकने में ही भलाई समझी और अब उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए फूल, कार्ड, शुभकामनाएं आदि भेजे जा रहे हैं. इसी को कहते हैं राजनीति.

भड़ास4मीडिया के कंटेंट एडिटर अनिल सिंह की रिपोर्ट

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