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जिद से ही मिलता है रास्ता

: फिल्म गीतकार अमिताभ क. बुधौलिया से बातचीत : यदि आपकी जिद में सकारात्मक ऊर्जा है, तो आपके लिए रास्ते अपने आप खुलते जाते हैं। ऐसा कहना है नवोदित फिल्म गीतकार अमिताभ क.बुधौलिया का। अकसर इलाहाबादी के निर्देशन में निर्माणधीन सस्पेंस/थ्रिलर और हॉरर मूवी ‘ये रात फिर न आएगी’के एक मात्र गीत (आइटम) के रचियता अमिताभ मूलत: पत्रकार हैं। करीब 14-15 साल की उम्र से कहानियां/कविताएं/ व्यंग्य लिखते आ रहे अमिताभ ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक भास्कर की अकादमी से की थी। ऐसे मिला ब्रेक : बहुत रोचक बात है कि इस फिल्म से जुडे़ निर्माता/निर्देशक और बाकी लोग फेसबुक फ्रेंड हैं। फिल्म के निर्देशक अकसर इलाहाबादी ने साउथ फिल्म इंडस्ट्री में खूब काम किया है। हिंदी फिल्मों में भी उनका दखल रहा है। वे जितने अच्छे लेखक/गीतकार है, उतने ही बेहतर निर्देशक भी। उनकी एक फिल्म ‘एन अमेरिकन इन इंडिया’15 अगस्त के आसपास रिलीज होगी। यह फिल्म अत्यंत संवेदनशील है, जिसकी कहानी भारत की आम पब्लिक की परेशानियों का कोलाज खींचती है कि कैसे यहां के लोग दो वक्त की रोटी को तरस रहे हैं और अमीर शोषण/भ्रष्टाचार में रमे हुए हैं। 

<p> <p>:<strong> फिल्म गीतकार अमिताभ क. बुधौलिया से बातचीत</strong> : यदि आपकी जिद में सकारात्मक ऊर्जा है, तो आपके लिए रास्ते अपने आप खुलते जाते हैं। ऐसा कहना है नवोदित फिल्म गीतकार अमिताभ क.बुधौलिया का। अकसर इलाहाबादी के निर्देशन में निर्माणधीन सस्पेंस/थ्रिलर और हॉरर मूवी ‘ये रात फिर न आएगी’के एक मात्र गीत (आइटम) के रचियता अमिताभ मूलत: पत्रकार हैं। करीब 14-15 साल की उम्र से कहानियां/कविताएं/ व्यंग्य लिखते आ रहे अमिताभ ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक भास्कर की अकादमी से की थी। ऐसे मिला ब्रेक : बहुत रोचक बात है कि इस फिल्म से जुडे़ निर्माता/निर्देशक और बाकी लोग फेसबुक फ्रेंड हैं। फिल्म के निर्देशक अकसर इलाहाबादी ने साउथ फिल्म इंडस्ट्री में खूब काम किया है। हिंदी फिल्मों में भी उनका दखल रहा है। वे जितने अच्छे लेखक/गीतकार है, उतने ही बेहतर निर्देशक भी। उनकी एक फिल्म ‘एन अमेरिकन इन इंडिया’15 अगस्त के आसपास रिलीज होगी। यह फिल्म अत्यंत संवेदनशील है, जिसकी कहानी भारत की आम पब्लिक की परेशानियों का कोलाज खींचती है कि कैसे यहां के लोग दो वक्त की रोटी को तरस रहे हैं और अमीर शोषण/भ्रष्टाचार में रमे हुए हैं। 

: फिल्म गीतकार अमिताभ क. बुधौलिया से बातचीत : यदि आपकी जिद में सकारात्मक ऊर्जा है, तो आपके लिए रास्ते अपने आप खुलते जाते हैं। ऐसा कहना है नवोदित फिल्म गीतकार अमिताभ क.बुधौलिया का। अकसर इलाहाबादी के निर्देशन में निर्माणधीन सस्पेंस/थ्रिलर और हॉरर मूवी ‘ये रात फिर न आएगी’के एक मात्र गीत (आइटम) के रचियता अमिताभ मूलत: पत्रकार हैं। करीब 14-15 साल की उम्र से कहानियां/कविताएं/ व्यंग्य लिखते आ रहे अमिताभ ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक भास्कर की अकादमी से की थी। ऐसे मिला ब्रेक : बहुत रोचक बात है कि इस फिल्म से जुडे़ निर्माता/निर्देशक और बाकी लोग फेसबुक फ्रेंड हैं। फिल्म के निर्देशक अकसर इलाहाबादी ने साउथ फिल्म इंडस्ट्री में खूब काम किया है। हिंदी फिल्मों में भी उनका दखल रहा है। वे जितने अच्छे लेखक/गीतकार है, उतने ही बेहतर निर्देशक भी। उनकी एक फिल्म ‘एन अमेरिकन इन इंडिया’15 अगस्त के आसपास रिलीज होगी। यह फिल्म अत्यंत संवेदनशील है, जिसकी कहानी भारत की आम पब्लिक की परेशानियों का कोलाज खींचती है कि कैसे यहां के लोग दो वक्त की रोटी को तरस रहे हैं और अमीर शोषण/भ्रष्टाचार में रमे हुए हैं। 

बहरहाल, अकसरजी ने फेसबुक के जरिये एक बेहतर टीम जुटाई। मैं भी अब इस टीम का एक हिस्सा हूं। पहले इस फिल्म में कोई भी गीत नहीं था, लेकिन फिल्म के प्रोड्यूसर संजय शर्मा बाबा को लगा कि एक आइटम सांग तो होना ही चाहिए। उन्होंने मुझे एक हफ्ते का समय देते हुए गीत लिखने को कहा। सरस्वती की कृपा से जब उनका कॉल आया, उसके 10 मिनिट बाद मैंने उन्हें रिप्लाई किया कि गाना मैंने मेल कर दिया है। उन्हें बड़ा ताज्जुब हुआ कि इतनी जल्दी? वह गाना फिल्म के दूसरे प्रोड्यूसर कल्पेश पटेल और अकसरजी सबको खूब पसंद आया।

’ये रात फिर न आएगी’क्या है? यह एक ऐसे कपल की कहानी है, जो तलाक के मुहाने पर खड़े हैं। अचानक एक दिन उन्हें परिस्थितियोंवश वीराने में बने एक डाक बंगले में रातभर शरण लेनी पड़ती है। यहां मानव तस्करी का घिनौना खेल चल रहा होता है। खुद के सामने मौत देखते हुए भी वे एक-दूसरे को बचाने में जी-जान झोंक देते हैं। आखिरकार उन्हें पता चलता है कि वे वाकई एक-दूसरे से बेइंतिहा प्यार करते हैं, महज गलतफमियों ने उनके बीच दूरियां बना दी थीं। फिल्म की स्क्रिप्ट बहुत सधी और कसी हुई है। हर सीन में सस्पेंस है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पूरी फिल्म इलाहाबाद के जिस होटल में फिल्माई गई उसका इंटीरियर/डिजाइन/प्रॉपर्टी यानी सबकुछ फिल्म के मुताबिक था। कह सकते हैं कि अलग से कोई भी सेट लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। दरअसल, यह होटल अंग्रेजों के समय का रेस्ट हाऊस है यानी लगभग सवा सौ साल पुराना लिहाजा सबकुछ पुरानी हवेली का लुक दे रहा था। महज कुछ सीन ही आउटडोर फिल्माने थे। फिल्म में कुछ चेहरे नये हैं, तो कुछ जाने-पहचाने जैसे जितेन पुरोहित और अंजना तिवारी भी हैं। जितेन जी निर्देशन के साथ-साथ पटकथा और संवाद लेखक भी उम्दा हैं। हाल में उनकी एक गुजरात फिल्म को 5 कैटेगरी में अवार्ड मिले थे। अंजना की यह दूसरी फिल्म है।

अब आगे का क्या प्लान : ‘ये रात फिर न आएगी’मई के अंत से रिलीज हो जाएगी। इसके बाद जून से एक नया प्रोजेक्ट लांच होगा। यह एक कॉमेडी फिल्म होगी। इस फिल्म के गीत भी मुझे ही लिखना है। अकसरजी की एक अन्य फिल्म ‘तालीम’एक एक गीत भी लिखना है। एक फिल्म कन्सेप्ट पर भी वर्क चल रहा है, जिसकी शूटिंग भोपाल में ही होगी। मेरी एक जिद थी कि लेखन में कुछ करना है, फिल्म लाइन में पहचान बनानी है। मैं खुश हूं कि मुझे सराहने वाले बहुत सकारात्मक सोच वाले हैं। फिल्म के प्रोड्यूसर संजय शर्मा बाबा जाने-माने कोरियोग्राफर भी हैं। मेरे गीत की कोरियाग्राफी भी इन्होंने ही की है। जबकि दूसरे प्रोड्यूसर कल्पेश पटेल हैं। अगले प्रोजेक्ट हम सब मिलकर कर रहे हैं। कह सकते हैं कि सरस्वती मां की कृपा से गाड़ी चल पड़ी है।

अपने बारे में कुछ बताइए : मैं मूलत: मां पीताम्बरा की नगरी दतिया का रहने वाला हूं। वर्ष, 2000 में दैनिक भास्कर ने पत्रकारिता अकादमी की शुरू की थी, इसमें मेरा चयन किया गया था। मेरे पिता समाजवादी कंठमणि बुधौलिया समाजवादी नेता रहे हैं। वे अच्छे लेखकों में शुमार भी हैं। हाल में उनका एक गजल संग्रह ‘चचोरबट्टी’प्रकाशित हुआ है। खैर, मुझे बचपन से ही लिखने का शौक रहा है। 8वीं क्लास से लिखने की शुरुआत की। देशभर के अखबारों ने मुझे स्थान दिया, तो हौसला बढ़ा। वर्ष, 1998 में राष्ट्रीय स्तर पर हुई कहानी प्रतियोगिता में मेरी कहानी को पुरस्कार मिला, तो जोश और जिद और तीव्र हो उठी। टेलीविजन और रेडिया के लिए भी समय-समय पर प्रोग्राम लिखता रहता हूं। बहुत जल्द आपको मेरा पहला व्यंग्य संग्रह ‘फोकट की वाहवाही’पढ़ने को मिल जाएगा। मुझे खुशी है कि इस संग्रह का शीर्षक और प्रस्तावना मशहूर फिल्म लेखक अशोक मिश्राजी ने लिखी है।

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