श्री अल्तमस कबीर, माननीय मुख्य-न्यायाधीश, भारत का उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली। मान्यवर। न्यायाधीशों के लिए लक्ष्य निर्धारण। देश के न्यायालयों में बकाया तीन करोड से अधिक मुकदमों का अम्बार मान्यवर के लिए चिंता का विषय होना चाहिए| किन्तु मेरा निवेदन यह है कि उक्त अम्बार के बकाया होने के मूल कारण पर पहले विचारण होना चाहिए| सम्पूर्ण भारत वर्ष में मौलिक कानून- संविधान, साक्ष्य अधिनियम, दंड प्रक्रिया संहिता, सिविल प्रक्रिया संहिता और भारतीय दंड संहिता- समान रूप से लागू हैं अत: न्यायिक अनुशासन का सम्मान करते हुई देश के सभी न्यायालयों का कार्य निष्पादन लगभग समान होना चाहिए|
माननीय उच्चतम न्यायालय के आंकडों के अनुसार वर्ष 2009 में मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने 5005 प्रकरण प्रति न्यायाधीश की दर से निपटारा किया है और देश के सभी उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के कुल 900 पद हैं व 43,00,000 मामले बकाया हैं। यदि प्रति न्यायाधीश 5000 प्रकरणों का निपटान दिया जाये तो उक्त समस्त पुराने बकाया मामले मात्र एक वर्ष में और सभी मामले दो वर्ष में निपटाए जा सकते हैं| अधीनस्थ न्यायालयों में भी, केरल राज्य के न्यायाधीशों ने वर्ष 2009 में प्रति न्यायाधीश 2575 प्रकरणों का निस्तारण किया है और देश के सभी अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों के कुल 18000 पद हैं व 2,76,00000 मामले बकाया हैं। यदि प्रति न्यायाधीश 2500 प्रकरणों का निपटान दिया जाये तो उक्त समस्त पुराने और नए मामले मात्र एक वर्ष से भी कम अवधि में निपटाए जा सकते हैं|
अत: उक्त तथ्यों के परिपेक्ष्य में मान्यवर से नम्र निवेदन है कि देश के समस्त न्यायालयों के लिए नव वर्ष 2013 हेतु उपरोक्तानुसार व्यावहारिक और आदर्श लक्ष्य निर्धारित करें व साथ ही निर्देश प्रदान करें कि समस्त न्यायाधीश पूर्ण समय बैठकर दक्षता से निष्ठापूर्वक कार्य करें ताकि देश की जनता को समय पर न्याय मिल सके| आप द्वारा इस प्रसंग में की गयी कार्यवाही का मात्र मुझे ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारतीय गणतंत्र को उत्सुकता से इंतज़ार रहेगा|
सादर,
भवनिष्ठ
मनीराम शर्मा
एडवोकेट
रोडवेज डिपो के पीछे
सरदारशहर 331403
जिला-चुरू(राज)
दिनांक :11:12:12