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डूब मरना चाहिए देश की चारों जांच एजेंसियों को

मुंबई धमाके के दो दिन बाद भी जांच एजेंसियों के हाथ खाली हैं। जांच एजेंसियों तथा खुफिया तंत्र को आतंकी घटना को अंजाम देने वालों का एक भी सुराग नहीं मिल पाया है। जांच टीमें अंधेर में अपना हाथ-पैर मा रही हैं। मुंबई के दादर, जवेरी बाजार और ओपेरा हाउस में हुए आतंकी विस्‍फोटों में लगभग दो दर्जन लोगों की मौत हो गई थी। जांच के काम में एटीएस समेत कम से कम चार एजेंसियों को लगाया गया है, परन्‍तु उनके हाथ हमले का एक भी सुराग हाथ नहीं आया है।

<p>मुंबई धमाके के दो दिन बाद भी जांच एजेंसियों के हाथ खाली हैं। जांच एजेंसियों तथा खुफिया तंत्र को आतंकी घटना को अंजाम देने वालों का एक भी सुराग नहीं मिल पाया है। जांच टीमें अंधेर में अपना हाथ-पैर मा रही हैं। मुंबई के दादर, जवेरी बाजार और ओपेरा हाउस में हुए आतंकी विस्‍फोटों में लगभग दो दर्जन लोगों की मौत हो गई थी। जांच के काम में एटीएस समेत कम से कम चार एजेंसियों को लगाया गया है, परन्‍तु उनके हाथ हमले का एक भी सुराग हाथ नहीं आया है।</p>

मुंबई धमाके के दो दिन बाद भी जांच एजेंसियों के हाथ खाली हैं। जांच एजेंसियों तथा खुफिया तंत्र को आतंकी घटना को अंजाम देने वालों का एक भी सुराग नहीं मिल पाया है। जांच टीमें अंधेर में अपना हाथ-पैर मा रही हैं। मुंबई के दादर, जवेरी बाजार और ओपेरा हाउस में हुए आतंकी विस्‍फोटों में लगभग दो दर्जन लोगों की मौत हो गई थी। जांच के काम में एटीएस समेत कम से कम चार एजेंसियों को लगाया गया है, परन्‍तु उनके हाथ हमले का एक भी सुराग हाथ नहीं आया है।

मुंबई हमले को किस आतंकी संगठन ने अंजाम दिया है, इसमें कौन कौन लोग शामिल थे अभी तक इसका पता नहीं लगाया जा सका है। जांच टीमें भटकल भाई तथा इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ मानकर चल रही हैं, परन्‍तु अभी तक कोई स्‍पष्‍ट सुराग नहीं मिला है। सूत्रों की माने तो जांच एजेंसियां इस बात पर भी एकमत नहीं हैं कि ये धमाके असल में किस तरह के थे। सरकार ने इस पूरे मामले की जांच एटीएस को सौंप दी है। एनआईए समेत बाकी सभी एजेंसियों को  जांच में एटीएस का सहयोग करने को कहा गया है।

मुंबई और अन्‍य कई स्‍थानों पर हुए पिछले आतंकी हमलों की तरह इस बार भी मुंबई हमले से जुड़ा कोई ठोस सुराग या सबूत जांच एजेंसिंयों को नहीं मिले हैं। बुधवार की शाम हुए धमाके की जांच में एजेंसिया हर तरफ हाथ पैर मार रही हैं। इस काम में एटीएस के अलावा एनआईए, एनएसजी, क्राइम ब्रांच और खुफिया एजेंसियों को लगाया गया है। परन्‍तु 40 घंटे से ज्‍यादा समय बीत जाने के बाद भी सुरक्षा एजेंसियों के हाथ खाली हैं। 

इन धमाकों के पीछे आईएम और भटकल भाइयों का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। परन्‍तु घटना स्‍थल से ऐसा कोई सुराग नहीं मिला है जिससे इसमें इनका हाथ होने की पुष्टि हो सके। गृह मंत्री पी चिंदम्‍बरम ने धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट के इस्‍तेमाल की बात कही थी, जिसका इस्‍तेमाल करने के लिए आईएम को जाना जाता है, इसके अलावा अन्‍य कोई सुराग जांच टीमों के पास नहीं है। फोरेंसिक टीम को जांच में धमाकों वाली जगहों से न तो कोई टाइमर मिला है और न ही आईईडी के निशान। जिससे ये साबित हो सके कि जवेरी बाजार, ओपेरा हाउस और दादर में भी धमाकों को उसी तरह अंजाम दिया गया, जैसे पहले धमाके किए गए थे।

बारिश ने जांच एजेंसियों की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। जब तक धमाका स्‍थलों पर फोरेंसिक टीम पहुंचकर मौके से सारे सबूत जुटा पानी तब तक बारिश ने पूरे घटना स्‍थल को ही पानी से धो डाला, जिससे विस्‍फोटकों से जुड़े कई अहम सुराग पानी के साथ खतम हो गए। इसके साथ ही जांच टीम की मुश्किलें भी बढ़ गईं. वैसे जांच टीम को एक ऐसा शव मिला है, जिसके शरीर पर तार लिपटे हुए हैं। टीम इसे फिदाइन हमला मानकर भी जांच कर रही है।

 

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