एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि युवतियां दिन में कम से कम 48 मिनट से लेकर सप्ताह में पांच घंटे और 36 मिनट तक का समय महज सेल्फी लेने में गुजारती हैं। एक वेबसाइट मिरर के मुताबिक, अच्छी सेल्फी लेने में इतना समय मेकअप, सही रोशनी, सही एंगल के कारण लगता है। सर्वे में हर 10 में से एक लड़की बाथरूम, कार या अपने ऑफिस में ली गई कम से कम 150 तस्वीरें अपने कंप्यूटर, स्मार्टफोन में संजोए पाई गईं। सर्वे में 16 से 25 साल की उम्र की 2000 युवतियों को शामिल किया गया। इनमें से 28 फीसदी युवतियों ने बताया कि वे सप्ताह में कम से कम एक बार अपनी तस्वीरें खींचती हैं।
सर्वे में हिस्सा लेने वाली आधे से अधिक महिलाओं ने स्वीकार किया कि जब वे अपने रूप को लेकर अच्छा महसूस नहीं करतीं, तब आकर्षक सेल्फी लेने से उनका मिजाज अच्छा होता है। लगभग 22 फीसदी महिलाओं ने कहा कि सोशल मीडिया में उनकी तस्वीरों को ‘लाइक’ मिलने से उनका अहं बढ़ता है और यही उनके सेल्फी लेने का मुख्य कारण है। ब्रिटिश वेबसाइट फील यूनीक द्वारा किए गए सर्वे में बताया गया कि युवा पीढ़ी में सेल्फी लेने का चलन बहुत बढ़ा है, जो कि ‘स्वचित्र-सम्मान (सेल्फी-स्टीम)’ से ग्रस्त हैं। सर्वे का हिस्सा रहीं न्यूबी हैंड्स ने बताया, ‘सेल्फी से भरे इंस्टाग्राम फीड से नए मेकअप टिप्स, बालों को बनाने के नुस्खे और फिटनेस संबंधी प्रेरणा मिलती है।’
लगभग 27 फीसदी युवतियों ने बताया कि सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरों को पर्याप्त ‘लाइक’ नहीं मिलने पर वे कुछ मिनटों में ही अपनी तस्वीर हटा लेती हैं। सर्वे में पाया गया कि औसतन छह से सात तस्वीरें लेने के बाद अंतत: एक सबसे अच्छी सेल्फी कम से कम दो सोशल मीडिया साइटों पर अपलोड की जाती है।