दैनिक भास्कर का नारा है, जिद करो, दुनिया बदलो। लकिन जब से अख़बार का ऑफिस दिल्ली से रेवाड़ी शिफ्ट हुआ है, इसका नारा हो गया है, गलती करो, पाठकों से खेलो। कभी हैडिंग, कभी पेज नंबर गलत तो कभी वर्ष और अंक की गलत जानकारी। आए दिन गलतियां। उसी दिशा में एक कदम और बढ़ाते हुए अख़बार ने अपने राष्ट्रीय संस्करण के 12 सितंबर के अंक में 11 सितंबर का बासी राशिफल परोस दिया। फुल पेज दो कॉलम छपने वाले इस रेगुलर कॉलम की पूरी सामग्री रिपीट है, जो पाठक एक दिन पूर्व ही पढ़ चुके हैं।
पता चला है कि मैनेजमेंट राष्ट्रीय संस्करण को बंद करना चाहता है। इसलिए उसने अख़बार की तरफ ध्यान न देकर गलतियों की खुली छूट दे रखी है, ताकि जो दो-चार हजार कापियां बिक रही हैं, वो भी न बिके और धीरे-धीरे यह संस्करण अपने आप इतिहास में विलीन हो जाए। दिल्ली, गुडगाँव और फरीदाबाद संस्करण के संपादकीय कार्यालय को रेवाड़ी में पटक देने से स्पष्ट है कि मैनेजमेंट को इन संस्करणों की कोई परवाह नहीं है। इसलिए ये गलतियां नहीं, धीमा जहर है।