ओस्लो: ट्यूनीशियन सिविल सोसायटी ग्रुप ‘नेशनल डायलॉग क्वार्टेट’ को 2015 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। इस संगठन को यह पुरस्कार ‘अरब स्प्रिंग’ के बाद देश में लोकतंत्र स्थापित करने के लिए मिला है। ट्यूनीशिया में साल 2013 में नेशनल डायलॉग क्वार्टेट की स्थापना पीसफुल पॉलिटिकल प्रोसेस के लिए की गई थी। तब देश में सिविल वॉर और मानवाधिकारों के उल्लंघन से जूझ रहा था।
ओस्लो में नॉर्वे की नोबेल कमेटी के चेयरमैन काकी कुल्लमैन फाइव ने पीस प्राइज की घोषणा करते हुए कहा कि 2010-11 में जब ट्यूनीशिया अरब स्प्रिंग की आग में जल रहा था, तब क्वार्टेट ने जनता के बीच में पीसफुल डायलॉग का जिम्मा संभाला था। क्वार्टेट का गठन 2013 में हुआ था। उस दौरान देश में लकतांत्रिक प्रक्रिया खतरे में थी। इस संगठन ने सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में गृहयुद्ध के संभावना से जूझ रहे देश में बहुमुखी लोकतंत्र का माहौल तैयार करने के लिए काम किया था। इसी वजह से ट्यूनीशिया में कम समय में ही संवैधानिक व्यवस्था और मूल अधिकारों को मुहैया कराने वाली सरकार का गठन हो सका है। फिलहाल ट्यूनीशिया के समक्ष गंभीर राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधी खतरे हैं। नोबेल कमिटी ने क्वार्टेट को पुरस्कृत करने से उम्मीद जताई है कि इससे ट्यूनीशिया में लोकतंत्र स्थापित करने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में शांति और लोकतंत्र लाने की कोशिश करने वालों को भी प्रेरणा मिलेगी।
इस बार पीस प्राइज की दौड़ में जर्मन चांसलर एजेंला मर्केल, पोप फ्रांसिस, अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी और ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ भी शामिल थे। जॉन कैरी और जावेद जरीफ को ईरान न्यूक्लियर डील पर समझौते के लिए लिस्ट में नामांकित किया गया था। बीते साल नोबेल पीस प्राइज भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को दिया गया था।